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राजधानी में सामने आया चाइल्ड ट्रैफिकिंग का मामला, 29 बच्चों को बचाया गया

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Published : Jul 22, 2019, 8:27 PM IST

बालाघाट में रहने वाला एक युवक बच्चों को काम दिलाने का लालच देकर तमिलनाडु के चेन्नई ले गया. वहीं काम बंद होने पर वापस ला रहे बच्चों पर जीआरपी पुलिस की नजर उन पर पड़ गई. जीआरपी की तरफ से बच्चों की काउंसलिंग कर उन्हें परिजनों को सौंपने की कार्रवाई की जा रही है.

29 बच्चों को बचाया गया

भोपाल। राजधानी में चाइल्ड ट्रैफिकिंग का एक मामला सामने आया है. बालाघाट में रहने वाला एक युवक बच्चों को काम दिलाने का लालच देकर तमिलनाडु के चेन्नई ले गया था. युवक अंडमान एक्सप्रेस से बच्चों को लेकर वापस आ रहा था तो जीआरपी पुलिस की उन पर नजर पड़ गई. पुलिस ने बच्चों से पूछताछ की तो मामले का खुलासा हुआ.


दरअसल जीआरपी पुलिस ने जिन बच्चों को पकड़ा है वे सभी बालाघाट के रहने वाले हैं. बताया जा रहा है कि बालाघाट में रहने वाले एक युवक ने तमिलनाडु के चेन्नई में काम का लालच देकर बच्चों को तमिलनाडु के चेन्नई ले गया था. जहां आम की कंपनी में 500 रुपए में काम उन्हें काम दिलवाया. लेकिन डेढ़ महीने में ही कंपनी बंद हो गई.

29 बच्चों को बचाया गया


जिसके बाद युवक सभी बच्चों को अंडमान एक्सप्रेस से वापस ला रहा था. उस दौरान तेलंगाना के खम्मा जिले में पास जीआरपी पुलिस की नजर बच्चों पर पड़ी. जीआरपी पुलिस ने जब बच्चों से पूछताछ की तो पूरे मामले का खुलासा हुआ. जबकि बच्चों को चेन्नई ले जाने वाला युवक मौके से फरार हो गया. फिलहाल सभी बच्चों को चाइल्ड लाइन और जीआरपी की मदद से भोपाल लाया गया है. जहां से बच्चों को उनके गृह जिले बालाघाट भेजने की तैयारी की जा रही है.


जिन बच्चों को काम करने चेन्नई ले जाया गया था, उनमें 29 बच्चे थे, जिसमें 13 लड़कियां और 16 लड़के हैं. चाइल्ड लाइन के अधिकारी का कहना है कि लड़कियों का मेडिकल करवाया गया है. उनके साथ किसी भी तरह की शारीरिक दुर्व्यवहार नहीं किया गया है. बच्चों से 14- 14 घंटे काम करवाया जाता था और सिर्फ 500 रूपए दिए जाते थे.

भोपाल। राजधानी में चाइल्ड ट्रैफिकिंग का एक मामला सामने आया है. बालाघाट में रहने वाला एक युवक बच्चों को काम दिलाने का लालच देकर तमिलनाडु के चेन्नई ले गया था. युवक अंडमान एक्सप्रेस से बच्चों को लेकर वापस आ रहा था तो जीआरपी पुलिस की उन पर नजर पड़ गई. पुलिस ने बच्चों से पूछताछ की तो मामले का खुलासा हुआ.


दरअसल जीआरपी पुलिस ने जिन बच्चों को पकड़ा है वे सभी बालाघाट के रहने वाले हैं. बताया जा रहा है कि बालाघाट में रहने वाले एक युवक ने तमिलनाडु के चेन्नई में काम का लालच देकर बच्चों को तमिलनाडु के चेन्नई ले गया था. जहां आम की कंपनी में 500 रुपए में काम उन्हें काम दिलवाया. लेकिन डेढ़ महीने में ही कंपनी बंद हो गई.

29 बच्चों को बचाया गया


जिसके बाद युवक सभी बच्चों को अंडमान एक्सप्रेस से वापस ला रहा था. उस दौरान तेलंगाना के खम्मा जिले में पास जीआरपी पुलिस की नजर बच्चों पर पड़ी. जीआरपी पुलिस ने जब बच्चों से पूछताछ की तो पूरे मामले का खुलासा हुआ. जबकि बच्चों को चेन्नई ले जाने वाला युवक मौके से फरार हो गया. फिलहाल सभी बच्चों को चाइल्ड लाइन और जीआरपी की मदद से भोपाल लाया गया है. जहां से बच्चों को उनके गृह जिले बालाघाट भेजने की तैयारी की जा रही है.


जिन बच्चों को काम करने चेन्नई ले जाया गया था, उनमें 29 बच्चे थे, जिसमें 13 लड़कियां और 16 लड़के हैं. चाइल्ड लाइन के अधिकारी का कहना है कि लड़कियों का मेडिकल करवाया गया है. उनके साथ किसी भी तरह की शारीरिक दुर्व्यवहार नहीं किया गया है. बच्चों से 14- 14 घंटे काम करवाया जाता था और सिर्फ 500 रूपए दिए जाते थे.

Intro:(नोट: बच्चों को प्लीज ब्लर करें)

भोपाल में चाइल्ड ट्रैफिकिंग का एक मामला सामने आया है...ये सभी बच्चे बालाघाट जिले के रहने वाले हैं... इन बच्चों को बालाघाट के रहने वाले एक युवक ने तमिलनाडु के चेन्नई में काम करने का लालच देकर चेन्नई ले गया जहां पर आम की कंपनी में 500 रूपए महीने पर काम दिलवाया... लेकिन डेढ़ महीने मे कंपनी बंद हो गई जिसके बाद युवक तमाम बच्चों को अंडमान एक्सप्रेस से वापस ला रहा था...


Body:बच्चों को लाते समय जीआरपी पुलिस की तेलंगाना के खम्मा जिले के पास बच्चों पर नजर पड़ी...जीआरपी पुलिस ने जब बच्चों से पूछताछ की तो पूरे मामले का खुलासा हुआ इस दौरान बच्चों को चेन्नई ले जाने वाला युवक मौका पाकर फरार हो गया.... सभी बच्चों को चाइल्ड लाइन और जीआरपी की मदद से भोपाल लाया गया और यहां से उनके गृह जिले बालाघाट भेजने की तैयारी की जा रही है


Conclusion:जिन बच्चों को काम करने चेन्नई ले जाया गया था इनमें 29 बच्चे थे जिसमें 13 लड़कियां और 16 लड़के थे... चाइल्ड लाइन के अधिकारी का कहना है कि हमने लड़कियों का मेडिकल करवाया है उनके साथ कोई भी गलत काम नहीं किया गया है बच्चों से 14-14 घंटे काम करवाया जाता था और सिर्फ 500 रूपए दिए जाता था... वहीं उनका ये भी कहना है कि कुछ परिवार ने जरूर बालाघाट में अपने बच्चों की लापता की रिपोर्ट लिखवाई है और कुछ को खुद परिवार ने काम करने के लिए भेजा था लेकिन ये सभी 14 से 15 साल के हैं इसके कारण ये मामला मानव तस्करी के साथ साथ बाल अपराध में भी आता है..


बाइट, त्रिपाशंकर चौबे, चाइल्ड लाइन , सदस्य

बाइट, डॉक्टर, निवेदिता शर्मा , चाइल्ड लाइन, सदस्य

(नोट: बच्चों को प्लीज ब्लर करें)






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