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कृषि मंत्री की घोषणा पर मुख्य सचिव ने लगाई रोक: कहा-नहीं ली मंजूरी, मंडी बोर्ड ने कोरोना से मौत पर 25 लाख देने का किया था ऐलान

मध्य प्रदेश में मंडी बोर्ड ने अपने कर्मचारियों और अधिकारियों की कोरोना से मौत के बाद परिजनों को 25 लाख का मुआवजा देने का ऐलान किया है. लेकिन अब इस आदेश को लेकर मंडी बोर्ड और राज्य शासन के बीच खींचतान शुरू हो गई है.

Minister Kamal Patel
मंत्री कमल पटेल
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Published : Jun 15, 2021, 10:22 AM IST

Updated : Jun 15, 2021, 3:01 PM IST

भोपाल। मंडी बोर्ड में काम करने वाले कर्मचारी और अधिकारियों की कोरोना से मौत के बाद मुआवजे को लेकर गफलत की स्थिति पैदा हो गई है. कृषि मंत्री ने साफ किया है कि इसको जल्द ही सुधार लिया जाएगा. मंत्री के इस बयान के बाद उन कर्मचारियों और अधिकारियों के परिवारों को राहत की उम्मीद जगी है जिनके परिजनों की कोरोना से मौत हुई थी. वहीं मंडी के कर्मचारी-अधिकारी संगठनों का कहना है कि मंडी बोर्ड मप्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड (मंडी बोर्ड) एक स्वतंत्र स्व वित्तपोषित निकाय है. आर्थिक मामलों में मंडी बोर्ड को शासन से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

मंडी बोर्ड निगम-मंडल में नहीं

मंडी बोर्ड कर्मचारी एकता संघ के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र कुमार नरवरिया के अनुसार प्रदेश सरकार द्वारा जारी निगम-मंडलों की सूची में मंडी बोर्ड नहीं आता है. मंडी अधिनियम के तहत चेयरमैन को पूरे अधिकार हैं. कृषि मंत्री मंडी बोर्ड के चेयरमैन हैं. मंडी बोर्ड को शासन या वित्त विभाग से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. नरवरिया ने बताया कि मंडी बोर्ड एक स्वतंत्र स्व वित्तपोषित निकाय है.

स्वतंत्र निकाय है मंडी बोर्ड

वहीं मंडी बोर्ड के संयुक्त संघर्ष मोर्चा के प्रदेश संयोजक ब्रजभूषण फौजदार ने बताया कि कोरोना से कर्मचारी-अधिकारियों की मौतों के मुआवजे को लेकर परिवारों से फार्म भरवाए जा रहे हैं. इस मामले में मंडी बोर्ड को अनुमति की जरूरत नहीं है. मंडी बोर्ड तो शासन को पैसा देता है. यह एक स्वतंत्र निकाय हैं.

ये है विवाद की वजह

कृषि मंत्री कमल पटेल ने मध्य प्रदेश मंडी बोर्ड के अधिकारी और कर्मचारी की कोरोना से मौत होने पर 25 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की थी. मंत्री के ऐलान के बाद मंडी बोर्ड ने आदेश तो जारी कर दिए लेकिन राज्य सरकार ने यह कहते हुए रोक लगा दी कि सभी निगम-मंडलों को इस तरह के आदेश निकालने के पहले राज्य शासन से अनुमति लेना जरूरी है. इसकी मंजूरी वित्त विभाग से लेना होगी.

कृषि मंत्री ने मंडी बोर्ड के कार्यों की समीक्षा, रुके कामों को जल्द पूरा करने के निर्देश

42 कर्मचारी-अधिकारियों की हो चुकी है मौत

मंडी बोर्ड में 6500 से अधिक कर्मचारी-अधिकारी कार्यरत हैं. कोरोना की दूसरी लहर में 42 अधिकारी-कर्मचारियों की मौत हो चुकी है. अगर किसी की 1 अप्रैल से 31 अप्रैल 2021 के बीच कोरोना से मौत हुई है, तो उसके परिजनों को मुआवजा दिया जाएगा.

भोपाल। मंडी बोर्ड में काम करने वाले कर्मचारी और अधिकारियों की कोरोना से मौत के बाद मुआवजे को लेकर गफलत की स्थिति पैदा हो गई है. कृषि मंत्री ने साफ किया है कि इसको जल्द ही सुधार लिया जाएगा. मंत्री के इस बयान के बाद उन कर्मचारियों और अधिकारियों के परिवारों को राहत की उम्मीद जगी है जिनके परिजनों की कोरोना से मौत हुई थी. वहीं मंडी के कर्मचारी-अधिकारी संगठनों का कहना है कि मंडी बोर्ड मप्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड (मंडी बोर्ड) एक स्वतंत्र स्व वित्तपोषित निकाय है. आर्थिक मामलों में मंडी बोर्ड को शासन से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

मंडी बोर्ड निगम-मंडल में नहीं

मंडी बोर्ड कर्मचारी एकता संघ के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र कुमार नरवरिया के अनुसार प्रदेश सरकार द्वारा जारी निगम-मंडलों की सूची में मंडी बोर्ड नहीं आता है. मंडी अधिनियम के तहत चेयरमैन को पूरे अधिकार हैं. कृषि मंत्री मंडी बोर्ड के चेयरमैन हैं. मंडी बोर्ड को शासन या वित्त विभाग से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. नरवरिया ने बताया कि मंडी बोर्ड एक स्वतंत्र स्व वित्तपोषित निकाय है.

स्वतंत्र निकाय है मंडी बोर्ड

वहीं मंडी बोर्ड के संयुक्त संघर्ष मोर्चा के प्रदेश संयोजक ब्रजभूषण फौजदार ने बताया कि कोरोना से कर्मचारी-अधिकारियों की मौतों के मुआवजे को लेकर परिवारों से फार्म भरवाए जा रहे हैं. इस मामले में मंडी बोर्ड को अनुमति की जरूरत नहीं है. मंडी बोर्ड तो शासन को पैसा देता है. यह एक स्वतंत्र निकाय हैं.

ये है विवाद की वजह

कृषि मंत्री कमल पटेल ने मध्य प्रदेश मंडी बोर्ड के अधिकारी और कर्मचारी की कोरोना से मौत होने पर 25 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की थी. मंत्री के ऐलान के बाद मंडी बोर्ड ने आदेश तो जारी कर दिए लेकिन राज्य सरकार ने यह कहते हुए रोक लगा दी कि सभी निगम-मंडलों को इस तरह के आदेश निकालने के पहले राज्य शासन से अनुमति लेना जरूरी है. इसकी मंजूरी वित्त विभाग से लेना होगी.

कृषि मंत्री ने मंडी बोर्ड के कार्यों की समीक्षा, रुके कामों को जल्द पूरा करने के निर्देश

42 कर्मचारी-अधिकारियों की हो चुकी है मौत

मंडी बोर्ड में 6500 से अधिक कर्मचारी-अधिकारी कार्यरत हैं. कोरोना की दूसरी लहर में 42 अधिकारी-कर्मचारियों की मौत हो चुकी है. अगर किसी की 1 अप्रैल से 31 अप्रैल 2021 के बीच कोरोना से मौत हुई है, तो उसके परिजनों को मुआवजा दिया जाएगा.

Last Updated : Jun 15, 2021, 3:01 PM IST
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