भोपाल। श्रमिकों पर खर्च होने वाली 416 करोड़ की राशि अवैधानिक रूप से बिजली कंपनी को दिए जाने के मामले में मध्य प्रदेश सरकार को भवन अन्य संनिर्माण एवं असंगठित श्रमिक संघ इंटक ने लीगल नोटिस भेजा है. इंटक ने इसकी शिकायत देश के नियंत्रक एवं लेखा परीक्षक से भी की है. नोटिस में इंटक ने कहा है कि भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, उपकर से वसूली जाने वाली राशि श्रमिक कल्याण पर ही खर्च की जा सकती है, लेकिन राज्य शासन ने इसकी अनदेखी कर 416 करोड़ रुपए की राशि ऊर्जा विभाग को दे दी.
30 सितंबर को जारी की राशि
एडवोकेट उपेन्द्र यादव द्वारा भेजे गए लीगल नोटिस में कहा गया है कि भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार अधिनियम 1996 के तहत बोर्ड के द्वारा जो क्रियाकलाप श्रमिकों के हित में किए जाएंगे या कल्याण में जो योजनाएं चलाई जाएंगी उसका 5 प्रतिशत ही प्रशासनिक व्यय किया जा सकेगा. इसी तरह मध्यप्रदेश सह पठित नियम 2005 नियम 280 के तहत निर्देश दिए गए हैं कि बोर्ड के फंड का उपयोग सिर्फ श्रमिकों के हित में चलाई जाने वाले योजनाओं पर भी खर्च होंगे. यह राशि किसी अन्य विभाग को डायवर्ट नहीं की जा सकेंगी और न ही बिना अधिनियम के प्रावधान के विपरीत व्यय ही की जाएगी. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट भी सभी राज्यों को आदेश जारी कर चुका है, इसकी अनदेखी करते हुए राज्य सरकार ने पिछले माह 30 सितंबर को 416 करोड़ रुपए की राशि ऊर्जा विभाग को डायवर्ट कर दी, जो कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है.
नियंत्रक एवं लेखा परीक्षक से शिकायत
इंटक ने इसको लेकर भारत सरकार के नियंत्रक एवं लेखा परीक्षक (CAG) और प्रदेश के प्रधान महालेखाकार के पास भी शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत में कहा गया है कि संनिर्माण कर्मकार मंडल के उपकर से प्राप्त राशि का दुरूपयोग किया जा रहा है. साल 2016 में भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मचारी कल्याण मंडल द्वारा 20 करोड़ की राशि जन अभियान परिषद के खाते में ट्रांसफर की गई. इस राशि से मंडल की योजनाओं का प्रचार प्रचार करना था, लेकिन राशि का दुरूपयोग किया गया. खर्च की गई राशि के उपयोगिता प्रमाण-पत्र भी नहीं दिए गए. इंटक ने व्यय की गई राशि की ऑडिट कराकर कार्रवाई करने की मांग की है.