भोपाल। कोरोना महामारी के चलते देशभर में शैक्षणिक संस्थाएं ऑनलाइन चलाई जा रही हैं. सरकारी कॉलेज और शासकीय स्कूलों में भी छात्रों को ऑनलाइन कक्षाएं दी जा रही हैं. वहीं स्कूल शिक्षा विभाग लगातार शिक्षकों को ऑनलाइन कक्षाएं लगाने के लिए निर्देश पर निर्देश दे रहा है, लेकिन शिक्षकों के लिए शासकीय स्कूलों के छात्रों को ऑनलाइन के माध्यम से पढ़ाना बेहद मुश्किल होता जा रहा है. वहीं शिक्षकों का कहना है शासकीय स्कूलों में ज्यादातर बच्चे मजदूर वर्ग के पढ़ते हैं. ऐसे में उनके अभिभावक राशन पानी की व्यवस्था करने में लगे हैं और सरकार उनके बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने के लिए शिक्षकों पर दबाव बना रही है. जब उनके पास डिजिटल माध्यम ही नहीं है तो वह ऑनलाइन कैसे पढ़ेंगे.
प्राचार्य सुभाष सक्सेना ने बताया सरकारी स्कूलों के छात्रों को ऑनलाइन कक्षाएं देना केवल एक औपचारिकता बनकर रह गया है. क्योंकि यहां छात्र ऑनलाइन कक्षाओं से नहीं जुड़ पाते उनके पास माध्यम ही नहीं होते, जो छात्र सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं, उनके अभिभावकों के लिए दो वक्त की रोटी जुगाड़ना भी मुश्किल होता है. ऐसे में स्मार्टफोन की व्यवस्था छात्रों के लिए कहां से करेंगे.
उन्होंने बताया कि आज जितनी भी ऑनलाइन क्लासेस लग रही हैं, यह केवल औपचारिकता है. इससे बच्चों को कोई फायदा नहीं हो रहा है. इसके साथ ही शिक्षकों को भी ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जिसके लिए शिक्षकों से दीक्षा ऐप डाउनलोड करवाई गई है, लेकिन इस ऐप का भी शिक्षकों को कोई खास फायदा नहीं हो रहा है. ऐसे में शिक्षा विभाग के आदेशों का पालन करना शिक्षकों के लिए मुश्किल है.