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POLL CASH CASE: ठंडी पड़ी EOW की कार्रवाई, अब तक दर्ज नहीं हुई FIR

लोकसभा चुनाव के दौरान काले धन के लेनदेन (POLL CASH CASE) मामले में EOW की कार्रवाई ठंडे बस्ते में जाति नजर आ रही है.

EOW did not register FIR in POLL CASH CASE
EOW
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Published : Feb 7, 2021, 3:22 PM IST

भोपाल। साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान काले धन के लेनदेन (POLL CASH CASE) मामले में EOW की कार्रवाई ठंडे बस्ते में जाति नजर आ रही है. इस मामले में चार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिक जांच दर्ज हुए को लगभग एक महीना बीत गया है इसके बावजूद भी अब तक इस मामले में FIR दर्ज नहीं की गई है. ना ही इस मामले में अभी किसी पुलिस अधिकारी को पूछताछ के लिए तलब किया गया है.

कब दर्ज होगी FIR

CBDT (Central Board of Direct Taxes) की रिपोर्ट सामने आने के बाद माना जा रहा था कि इस मामले में ताबड़तोड़ कार्रवाईयां होंगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. चुनाव आयोग के मध्यप्रदेश के अधिकारियों को तलब करने से पहले इस मामले में EOW ने 3 IPS अधिकारी और एक राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी के खिलाफ प्राथमिक जांच दर्ज की थी. लेकिन इस बात को भी लगभग एक माह बीत गया है और कार्रवाई रुकी हुई है.

राज्य सरकार से नहीं मिली अनुमति

बताया जा रहा है कि गृह विभाग ने 10 जनवरी को ही CBDT रिपोर्ट सचिवालय भेज कर आगे की कार्रवाई के लिए अनुमती मांगी थी, लेकिन एक माह से भी ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी अनुमति नहीं मिल सकी है. यही कारण है कि इस मामले में अब तक विभागीय जांच शुरू नहीं हो सकी है. जबकी केंद्र सरकार ने 8 जनवरी को ही तीनों IPS अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए अनुमति प्रदान की थी.

बताया जा रहा है कि गृह विभाग ने चारों पुलिस अधिकारियों को आरोप पत्र देकर जवाब तलब करने की पूरी तैयारी कर ली है, लेकिन इसके लिए अब तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की हरी झंडी नहीं मिल सकी है.

चारो अधिकारियों ने भेजा था सरकार को पत्र

POLL CASH मामले से जुड़े चारों पुलिस अधिकारियों ने प्राथमिक जांच दर्ज होने के बाद सरकार को पत्र भेजा था. इन पत्र में साफ तौर पर लिखा हुआ था कि किस आधार पर उनके खिलाफ EOW ने प्राथमिकी दर्ज की है. पत्र में यह भी कहा गया था कि CBDT की रिपोर्ट में उनके अलावा लगभग 64 विधायकों, नेताओं और कारोबारियों के नाम शामिल है. इसके बावजूद भी सिर्फ उनके खिलाफ ही प्राथमिक जांच क्यों दर्ज की गई है.

पुलिस अधिकारियों पर से है आरोप

3 आईपीएस अधिकारी सुशोभन बनर्जीस संजय माने और वी मधु कुमार समेत राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा ने मध्य प्रदेश में हुए साल 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान अपने निजी वाहनों से भोपाल से दिल्ली करोड़ों रुपए का ट्रांजैक्शन करने का आरोप है.

आयकर विभाग की जो रिपोर्ट सामने आई है उसमें साफ तौर पर आईपीएस अधिकारी सुशोभन बनर्जी के नाम के आगे 25 लाख रुपये की राशि लिखी हुई है. इसी तरह आईपीएस अधिकारी संजय माने के नाम के आगे 30 लाख रुपए की राशि लिखी हुई है. तो वही आईपीएस अफसर वी मधुकुमार के नाम के सामने 12.50 करोड़ और राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा के नाम के आगे 7.5 करोड़ रुपये की राशि लिखी हुई है. आयकर विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक इन सभी अधिकारियों ने भोपाल से दिल्ली यह रुपये पहुंचाए है.

क्या है पूरा मामला

मध्यप्रदेश में तत्कालीन कमलनाथ सरकार के दौरान लोकसभा चुनाव के वक्त दिल्ली आयकर विभाग की टीम ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी आरके मिगलानी प्रवीण कक्कड़ और भांजे रतुल पुरी समेत एक कारोबारी अश्विन शर्मा के 52 ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी. इस दौरान आयकर विभाग की टीम ने इन ठिकानों से बड़ी संख्या में दस्तावेज कंप्यूटर और फाइलें जब्त की थी. इसके अलावा करोड़ों रुपए कैश भी बरामद किए गए थे.

जब आयकर विभाग की शीर्ष संस्था ने इन पूरे दस्तावेजों की जांच की तो काले धन के लेन-देन के पुख्ता सबूत आयकर विभाग के हाथ लगे जिसके बाद आयकर विभाग ने एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्रीय चुनाव आयोग को सौंपी जिस पर चुनाव आयोग ने ईओडब्ल्यू को इस मामले में प्राथमिक की जांच दर्ज करने के आदेश दिए. चुनाव आयोग के आदेशों पर अब इस मामले में ईओडब्ल्यू ने प्राथमिक जांच दर्ज कर एसआईटी का गठन कर दिया है.

भोपाल। साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान काले धन के लेनदेन (POLL CASH CASE) मामले में EOW की कार्रवाई ठंडे बस्ते में जाति नजर आ रही है. इस मामले में चार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिक जांच दर्ज हुए को लगभग एक महीना बीत गया है इसके बावजूद भी अब तक इस मामले में FIR दर्ज नहीं की गई है. ना ही इस मामले में अभी किसी पुलिस अधिकारी को पूछताछ के लिए तलब किया गया है.

कब दर्ज होगी FIR

CBDT (Central Board of Direct Taxes) की रिपोर्ट सामने आने के बाद माना जा रहा था कि इस मामले में ताबड़तोड़ कार्रवाईयां होंगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. चुनाव आयोग के मध्यप्रदेश के अधिकारियों को तलब करने से पहले इस मामले में EOW ने 3 IPS अधिकारी और एक राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी के खिलाफ प्राथमिक जांच दर्ज की थी. लेकिन इस बात को भी लगभग एक माह बीत गया है और कार्रवाई रुकी हुई है.

राज्य सरकार से नहीं मिली अनुमति

बताया जा रहा है कि गृह विभाग ने 10 जनवरी को ही CBDT रिपोर्ट सचिवालय भेज कर आगे की कार्रवाई के लिए अनुमती मांगी थी, लेकिन एक माह से भी ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी अनुमति नहीं मिल सकी है. यही कारण है कि इस मामले में अब तक विभागीय जांच शुरू नहीं हो सकी है. जबकी केंद्र सरकार ने 8 जनवरी को ही तीनों IPS अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए अनुमति प्रदान की थी.

बताया जा रहा है कि गृह विभाग ने चारों पुलिस अधिकारियों को आरोप पत्र देकर जवाब तलब करने की पूरी तैयारी कर ली है, लेकिन इसके लिए अब तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की हरी झंडी नहीं मिल सकी है.

चारो अधिकारियों ने भेजा था सरकार को पत्र

POLL CASH मामले से जुड़े चारों पुलिस अधिकारियों ने प्राथमिक जांच दर्ज होने के बाद सरकार को पत्र भेजा था. इन पत्र में साफ तौर पर लिखा हुआ था कि किस आधार पर उनके खिलाफ EOW ने प्राथमिकी दर्ज की है. पत्र में यह भी कहा गया था कि CBDT की रिपोर्ट में उनके अलावा लगभग 64 विधायकों, नेताओं और कारोबारियों के नाम शामिल है. इसके बावजूद भी सिर्फ उनके खिलाफ ही प्राथमिक जांच क्यों दर्ज की गई है.

पुलिस अधिकारियों पर से है आरोप

3 आईपीएस अधिकारी सुशोभन बनर्जीस संजय माने और वी मधु कुमार समेत राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा ने मध्य प्रदेश में हुए साल 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान अपने निजी वाहनों से भोपाल से दिल्ली करोड़ों रुपए का ट्रांजैक्शन करने का आरोप है.

आयकर विभाग की जो रिपोर्ट सामने आई है उसमें साफ तौर पर आईपीएस अधिकारी सुशोभन बनर्जी के नाम के आगे 25 लाख रुपये की राशि लिखी हुई है. इसी तरह आईपीएस अधिकारी संजय माने के नाम के आगे 30 लाख रुपए की राशि लिखी हुई है. तो वही आईपीएस अफसर वी मधुकुमार के नाम के सामने 12.50 करोड़ और राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा के नाम के आगे 7.5 करोड़ रुपये की राशि लिखी हुई है. आयकर विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक इन सभी अधिकारियों ने भोपाल से दिल्ली यह रुपये पहुंचाए है.

क्या है पूरा मामला

मध्यप्रदेश में तत्कालीन कमलनाथ सरकार के दौरान लोकसभा चुनाव के वक्त दिल्ली आयकर विभाग की टीम ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी आरके मिगलानी प्रवीण कक्कड़ और भांजे रतुल पुरी समेत एक कारोबारी अश्विन शर्मा के 52 ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी. इस दौरान आयकर विभाग की टीम ने इन ठिकानों से बड़ी संख्या में दस्तावेज कंप्यूटर और फाइलें जब्त की थी. इसके अलावा करोड़ों रुपए कैश भी बरामद किए गए थे.

जब आयकर विभाग की शीर्ष संस्था ने इन पूरे दस्तावेजों की जांच की तो काले धन के लेन-देन के पुख्ता सबूत आयकर विभाग के हाथ लगे जिसके बाद आयकर विभाग ने एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्रीय चुनाव आयोग को सौंपी जिस पर चुनाव आयोग ने ईओडब्ल्यू को इस मामले में प्राथमिक की जांच दर्ज करने के आदेश दिए. चुनाव आयोग के आदेशों पर अब इस मामले में ईओडब्ल्यू ने प्राथमिक जांच दर्ज कर एसआईटी का गठन कर दिया है.

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