भोपाल। कोरोना काल में कोरोना योद्धा जिंदगी और मौत की परवाह किए बिना सेवाएं दे रहे हैं. बुंदेलखंडी इलाके के कोरोना मरीजों का सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में पिछले एक साल से लगातार इलाज किया जा रहा है. BMC के डॉक्टर सत्येंद्र मिश्रा पिछले एक साल से लगातार कोविड-19 वार्ड में सेवाएं दे रहे हैं. दुर्भाग्य से वे खुद पिछले कई दिनों से कोरोना संक्रमित हैं. बताया जा रहा है कि दिन-ब-दिन उनकी हालत बिगड़ती जा रही है. लिहाजा उन्हें भोपाल के राजा भोज एयरपोर्ट से एयरलिफ्ट कर इलाज के लिए हैदराबाद ले जाया गया है. बता दें कि, डॉक्टर सत्येंद्र मिश्रा के फेफड़े 80 फीसदी तक संक्रमित हो चुके हैं.
डॉक्टर को किया गया हैदराबाद एयरलिफ्ट
डॉक्टर सत्येंद्र मिश्रा बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. पिछले एक साल से कोविड मरीजों का इलाज कर रहे थे. वे खुद कोरोना संक्रमित हो गए, जिसके बाद उन्हें प्रदेश सरकार की मदद से हैदराबाद एयरलिफ्ट किया गया, जहां पर उनका इलाज किया जाएगा. इस दौरान देर रात ही हैदराबाद से एक डॉक्टर्स की टीम भोपाल पहुंची थी.
कोरोना मरीजों का इलाज करते-करते डॉ सत्येंद्र की बिगड़ी तबीयत, हैदराबाद में होगा इलाज
हैदराबाद में होगा डॉक्टर का इलाज
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में कार्यरत डॉ. सत्येंद्र मिश्रा कोरोना संक्रमितों का इलाज करते-करते स्वयं कोरोना संक्रमित हो गए. अब संक्रमण का प्रतिशत ज्यादा हो जाने के कारण उनका इलाज हैदराबाद में किया जायेगा. उनकी बिगड़ती हालत देखकर उनके साथी चिकित्सकों ने मदद की गुहार लगाई थी. शहर के कई लोग मदद के लिए आगे भी आए थे. विधायक शैलेंद्र जैन ने इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से बात की थी. मुख्यमंत्री ने तत्परता दिखाते हुए डॉ. सत्येन्द्र मिश्रा की मदद की.
मुख्यमंत्री ने दिखाई तत्परता और संवेदनशीलता
विधायक शैलेंद्र जैन ने बताया कि जैसे ही मेरे संज्ञान में यह विषय आया. मैंने तुरंत मुख्यमंत्री को इस विषय से अवगत करा कर उन्हें तत्काल एयरलिफ्ट करने के लिए आग्रह किया था, जिसके लिए उन्होंने अपने ओएसडी मनीष पांडे को नियुक्त कर दो-ढाई घंटे के अंदर सारी अनुमतियां प्राप्त की और सारी चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने के लिए उन्होंने अनुमति दी थी.
पिछले साल डॉक्टर शुभम इलाज करते-करते हो गए थे कोरोना के शिकार
पिछले साल सागर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर शुभम उपाध्याय भी कोरोना वार्ड में सेवाएं देते-देते गंभीर रूप से संक्रमित हो गए थे. चेन्नई में उनके फेफड़े ट्रांसप्लांट होने थे. सरकार की लेटलतीफी और मौसम की गड़बड़ी के कारण चेन्नई पहुंचने से पहले ही उनका निधन हो गया था. तब भी सागर शहर वासियों और जनप्रतिनिधियों ने एकजुट होकर डॉक्टर शुभम उपाध्याय को बचाने के लिए मुहिम चलाई थी.