नई दिल्ली: 1 दिसंबर, 2024 से भारत कई क्षेत्रों को प्रभावित करने वाले कई विनियामक परिवर्तन लागू करेगा. इनमें फर्जी OTP को रोकने के लिए अपडेट भी शामिल है. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) 1 दिसंबर, 2024 से अपने नए ट्रेसेबिलिटी दिशानिर्देशों को लागू करेगा. इस कदम का उद्देश्य स्पैम और धोखाधड़ी वाले संदेशों के खिलाफ उपभोक्ता संरक्षण को मजबूत करना है. लेकिन इसने वन-टाइम पासवर्ड (ओटीपी) जैसे महत्वपूर्ण संचार में संभावित देरी के बारे में चिंता भी जताई है.
ट्राई की ट्रेसेबिलिटी गाइडलाइन क्या हैं?
ट्रेसेबिलिटी गाइडलाइन्स के अनुसार टेलीकॉम ऑपरेटर्स और मैसेजिंग सर्विस प्रोवाइडर्स को हर मैसेज की ऑथेंसिटी की पुष्टि करनी होगी. यह डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (DLT) फ्रेमवर्क का हिस्सा है, जिसे स्पैम से निपटने और मैसेज ट्रेसेबिलिटी सुनिश्चित करने के लिए पेश किया गया था. इस सिस्टम के तहत, व्यवसायों को टेलीकॉम प्रोवाइडर्स के साथ अपने हेडर (प्रेषक आईडी) और टेम्प्लेट रजिस्टर करने होंगे. कोई भी मैसेज जो पहले से रजिस्टर्ड फॉर्मेट से मेल नहीं खाता है या अपंजीकृत हेडर से भेजा गया है, उसे फ्लैग या ब्लॉक कर दिया जाएगा.
ट्राई ने क्या कहा?
ट्राई ने हाल ही में एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि मैसेज ट्रेसेबिलिटी गाइडलाइन्स के कारण ओटीपी डिलीवरी में कोई देरी नहीं होगी.
▶️ट्राई ने स्पैम कॉल्स/ संदेशों के माध्यम से होने वाली ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने के लिए,
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) November 28, 2024
एक्सेस प्रदाताओं को संदेशों की ट्रेसेबिलिटी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं
▶️ इससे संदेश प्राप्तकर्ताओं तक ओटीपी पहुंचने में देरी नहीं होगी
खबर से फैली गलत सूचना को संबोधित करते हुए, जिसमें आरोप लगाया गया था कि नए नियमों के तहत उपयोगकर्ताओं को ओटीपी देरी का सामना करना पड़ सकता है. ट्राई ने एक्स पर पोस्ट किया कि यह तथ्यात्मक रूप से गलत है. ट्राई ने एक्सेस प्रोवाइडर्स को मैसेज ट्रेसेबिलिटी सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य किया है. यह किसी भी मैसेज की डिलीवरी में देरी नहीं करेगा.