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Mahakal Stotra: भैरवी को शिव ने सुनाया था ये स्तोत्र, दिन में एक बार जपने से खुलते हैं सफलता के द्वार

भगवान शिव का एक ऐसा स्तोत्र है जिसके लिए कहा जाता है कि दिन में एक बार, खासकर सावन मास में इसे जपा तो जीवन की दुविधाएं समाप्त हो जाती हैं. महामृत्युंजय मंत्र के बारे में सब लोग जानते हैं किंतु ये एक ऐसा मंत्र है जिससे मानव बड़े-बड़े दुख दर्द को भूल जाता है. आइए जानते हैं आज उस स्तोत्र को जिसको कहतें है महाकालेश्वर स्तोत्र. एक स्तोत्र जिससे खुलते हैं सफलता के द्वार. प्रतिदिन बस एक बार इस स्तोत्रं का जाप भक्त के भीतर नई ऊर्जा और शक्ति का संचार कर सकता है.

Mahakal Stotra
महाकाल के इस स्तोत्र से खुलते हैं सफलता है के द्वार
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Published : Jul 29, 2021, 6:47 AM IST

Updated : Jul 29, 2021, 7:19 AM IST

भोपाल। भगवान आशुतोष की महिमा अकल्पनीय है. भगवान किसी अबूझ पहेली से कम नहीं. लेकिन अपने उपासकों पर कृपा द़ष्टि बनाए रखने के लिए वो कुछ ऐसा सुझाते रहें हैं जो जीवन पथ को सुगम बनाता है. भोला उन्हें यूं ही नहीं कहते. जहां समस्त देवी देवताओं के लिए कई कर्मकाण्ड करने पड़ते हैं वहीं भगवान थोड़े से ही प्रयास से प्रसन्न हो जाते हैं. उनका ऐसा ही एक स्तोत्र है. जिसे खुद भगवान शंकर ने भैरवी को बताया था. शिव भक्तों के लिए ये किसी वरदान से कम नहीं है.

Jai Mahakal
जय महाकाल

जिसे भोलेबाबा ने भैरवी से बताया था

आकाशे तारकं लिंगं पाताले हाटकेश्वरम्. भूलोके च महाकालो लिंड्गत्रय नमोस्तु ते ॥

यानी आकाश में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर लिंग तथा पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही मान्य शिवलिंग है. और महाकाल स्तोत्र की जितनी प्रशंसा की जाए वो कम है. स्तोत्र को लेकर ज्ञानी ध्यानी भी कहते हैं कि इसकी महिमा का जितना बखान किया जाए कम है. इसमें भगवान महाकाल के विभिन्न नामों का वर्णन करते हुए उनकी स्तुति की गयी है. शिव भक्तों के लिए यह स्तोत्र वरदान स्वरुप है. दिन में एक बार किया गया जप भी साधक के अन्दर शक्ति तत्त्व और वीर तत्त्व जागृत कर देता है.

शिव शंकर को तंत्र साधना का जनक भी कहा जाता है, इसलिए कोई भी तंत्र साधना उनके बिना पूरी नहीं होती. जो व्यक्ति सच्ची श्रद्धा से इनकी अराधना करता है, उसके जीवन से बड़े-बड़े कष्ट दूर हो जाते हैं. भगवान शिव का एक स्वरूप महाकाल का भी है, यानि वे मृत्यु को भी अपने वश में रखते हैं. प्रस्तुत है वो मंत्र जो बड़े से बड़े कष्टों का निवारण करता है.

मंत्र-

..हूं हूं महाकाल प्रसीद प्रसीद ह्रीं ह्रीं स्वाहा..

स्तोत्र-

ॐ महाकाल महाकाय महाकाल जगत्पत

महाकाल महायोगिन महाकाल नमोस्तुते

महाकाल महादेव महाकाल महा प्रभो

महाकाल महारुद्र महाकाल नमोस्तुते

महाकाल महाज्ञान महाकाल तमोपहन

महाकाल महाकाल महाकाल नमोस्तुते

भवाय च नमस्तुभ्यं शर्वाय च नमो नमः

रुद्राय च नमस्तुभ्यं पशुना पतये नमः

उग्राय च नमस्तुभ्यं महादेवाय वै नमः

भीमाय च नमस्तुभ्यं मिशानाया नमो नमः

ईश्वराय नमस्तुभ्यं तत्पुरुषाय वै नमः

सघोजात नमस्तुभ्यं शुक्ल वर्ण नमो नमः

अधः काल अग्नि रुद्राय रूद्र रूप आय वै नमः

स्थितुपति लयानाम च हेतु रूपआय वै नमः

परमेश्वर रूप स्तवं नील कंठ नमोस्तुते

पवनाय नमतुभ्यम हुताशन नमोस्तुते

सोम रूप नमस्तुभ्यं सूर्य रूप नमोस्तुते

यजमान नमस्तुभ्यं अकाशाया नमो नमः

सर्व रूप नमस्तुभ्यं विश्व रूप नमोस्तुते

ब्रहम रूप नमस्तुभ्यं विष्णु रूप नमोस्तुते

रूद्र रूप नमस्तुभ्यं महाकाल नमोस्तुते

स्थावराय नमस्तुभ्यं जंघमाय नमो नमः

नमः उभय रूपा भ्याम शाश्वताय नमो नमः

हुं हुंकार नमस्तुभ्यं निष्कलाय नमो नमः

सचिदानंद रूपआय महाकालाय ते नमः

प्रसीद में नमो नित्यं मेघ वर्ण नमोस्तुते

प्रसीद में महेशान दिग्वासाया नमो नमः

ॐ ह्रीं माया – स्वरूपाय सच्चिदानंद तेजसे

स्वः सम्पूर्ण मन्त्राय सोऽहं हंसाय ते नमः..

फल श्रुति

इत्येवं देव देवस्य मह्कालासय भैरवी

कीर्तितम पूजनं सम्यक सधाकानाम सुखावहम..

फल श्रुति

इत्येवं देव देवस्य मह्कालासय भैरवी

कीर्तितम पूजनं सम्यक सधाकानाम सुखावहम।

कोई खास जतन नहीं करना पड़ता

यह स्तोत्र तो कई पर भी किसी भी शुद्ध स्थान पर पढ़ सकते है,स्नान करने के बाद किसी भी प्रकार के वस्त्र,आसन और किसी भी दिशा में मुख करके पढ़ सकते है. जो व्यक्ति असाध्य बीमारियों से ग्रसित हो वह बेड पर या खुर्ची पर बैठकर भी कर सकते है. महाकाल को सब विदित है, जानते हैं उनके उपासक, साधक को कब क्या चाहिए. बस प्रेम भाव से उनका आह्वान करने से सफलता मार्ग पर प्रशस्त होते हैं और जीवन सुखमय हो जाता है.

भोपाल। भगवान आशुतोष की महिमा अकल्पनीय है. भगवान किसी अबूझ पहेली से कम नहीं. लेकिन अपने उपासकों पर कृपा द़ष्टि बनाए रखने के लिए वो कुछ ऐसा सुझाते रहें हैं जो जीवन पथ को सुगम बनाता है. भोला उन्हें यूं ही नहीं कहते. जहां समस्त देवी देवताओं के लिए कई कर्मकाण्ड करने पड़ते हैं वहीं भगवान थोड़े से ही प्रयास से प्रसन्न हो जाते हैं. उनका ऐसा ही एक स्तोत्र है. जिसे खुद भगवान शंकर ने भैरवी को बताया था. शिव भक्तों के लिए ये किसी वरदान से कम नहीं है.

Jai Mahakal
जय महाकाल

जिसे भोलेबाबा ने भैरवी से बताया था

आकाशे तारकं लिंगं पाताले हाटकेश्वरम्. भूलोके च महाकालो लिंड्गत्रय नमोस्तु ते ॥

यानी आकाश में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर लिंग तथा पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही मान्य शिवलिंग है. और महाकाल स्तोत्र की जितनी प्रशंसा की जाए वो कम है. स्तोत्र को लेकर ज्ञानी ध्यानी भी कहते हैं कि इसकी महिमा का जितना बखान किया जाए कम है. इसमें भगवान महाकाल के विभिन्न नामों का वर्णन करते हुए उनकी स्तुति की गयी है. शिव भक्तों के लिए यह स्तोत्र वरदान स्वरुप है. दिन में एक बार किया गया जप भी साधक के अन्दर शक्ति तत्त्व और वीर तत्त्व जागृत कर देता है.

शिव शंकर को तंत्र साधना का जनक भी कहा जाता है, इसलिए कोई भी तंत्र साधना उनके बिना पूरी नहीं होती. जो व्यक्ति सच्ची श्रद्धा से इनकी अराधना करता है, उसके जीवन से बड़े-बड़े कष्ट दूर हो जाते हैं. भगवान शिव का एक स्वरूप महाकाल का भी है, यानि वे मृत्यु को भी अपने वश में रखते हैं. प्रस्तुत है वो मंत्र जो बड़े से बड़े कष्टों का निवारण करता है.

मंत्र-

..हूं हूं महाकाल प्रसीद प्रसीद ह्रीं ह्रीं स्वाहा..

स्तोत्र-

ॐ महाकाल महाकाय महाकाल जगत्पत

महाकाल महायोगिन महाकाल नमोस्तुते

महाकाल महादेव महाकाल महा प्रभो

महाकाल महारुद्र महाकाल नमोस्तुते

महाकाल महाज्ञान महाकाल तमोपहन

महाकाल महाकाल महाकाल नमोस्तुते

भवाय च नमस्तुभ्यं शर्वाय च नमो नमः

रुद्राय च नमस्तुभ्यं पशुना पतये नमः

उग्राय च नमस्तुभ्यं महादेवाय वै नमः

भीमाय च नमस्तुभ्यं मिशानाया नमो नमः

ईश्वराय नमस्तुभ्यं तत्पुरुषाय वै नमः

सघोजात नमस्तुभ्यं शुक्ल वर्ण नमो नमः

अधः काल अग्नि रुद्राय रूद्र रूप आय वै नमः

स्थितुपति लयानाम च हेतु रूपआय वै नमः

परमेश्वर रूप स्तवं नील कंठ नमोस्तुते

पवनाय नमतुभ्यम हुताशन नमोस्तुते

सोम रूप नमस्तुभ्यं सूर्य रूप नमोस्तुते

यजमान नमस्तुभ्यं अकाशाया नमो नमः

सर्व रूप नमस्तुभ्यं विश्व रूप नमोस्तुते

ब्रहम रूप नमस्तुभ्यं विष्णु रूप नमोस्तुते

रूद्र रूप नमस्तुभ्यं महाकाल नमोस्तुते

स्थावराय नमस्तुभ्यं जंघमाय नमो नमः

नमः उभय रूपा भ्याम शाश्वताय नमो नमः

हुं हुंकार नमस्तुभ्यं निष्कलाय नमो नमः

सचिदानंद रूपआय महाकालाय ते नमः

प्रसीद में नमो नित्यं मेघ वर्ण नमोस्तुते

प्रसीद में महेशान दिग्वासाया नमो नमः

ॐ ह्रीं माया – स्वरूपाय सच्चिदानंद तेजसे

स्वः सम्पूर्ण मन्त्राय सोऽहं हंसाय ते नमः..

फल श्रुति

इत्येवं देव देवस्य मह्कालासय भैरवी

कीर्तितम पूजनं सम्यक सधाकानाम सुखावहम..

फल श्रुति

इत्येवं देव देवस्य मह्कालासय भैरवी

कीर्तितम पूजनं सम्यक सधाकानाम सुखावहम।

कोई खास जतन नहीं करना पड़ता

यह स्तोत्र तो कई पर भी किसी भी शुद्ध स्थान पर पढ़ सकते है,स्नान करने के बाद किसी भी प्रकार के वस्त्र,आसन और किसी भी दिशा में मुख करके पढ़ सकते है. जो व्यक्ति असाध्य बीमारियों से ग्रसित हो वह बेड पर या खुर्ची पर बैठकर भी कर सकते है. महाकाल को सब विदित है, जानते हैं उनके उपासक, साधक को कब क्या चाहिए. बस प्रेम भाव से उनका आह्वान करने से सफलता मार्ग पर प्रशस्त होते हैं और जीवन सुखमय हो जाता है.

Last Updated : Jul 29, 2021, 7:19 AM IST
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