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कोरोना ने बदले राजनीतिक गतिविधियों के रंग, टेक्नोलॉजी का सहारा ले रहे सभी नेता

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के कारण सियासी गतिविधियां भी बदल गई हैं. सियासी आयोजन, धरना प्रदर्शन और रैली जैसी गतिविधियां पूरी तरह से बंद हैं.

Corona changed colors of political activities
कोरोना ने बदले राजनीतिक गतिविधियों के रंग
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Published : May 9, 2020, 9:43 AM IST

भोपाल। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के कारण सियासी गतिविधियां भी बदल गई हैं. सियासी आयोजन, धरना प्रदर्शन और रैली जैसी गतिविधियां पूरी तरह से बंद हैं, हालांकि सियासी दलों ने भी अपनी व्यवस्थाओं को बदल दिया है. और सूचना प्रौद्योगिकी का सहारा लेकर सियासी कामकाज निपटाए जा रहे हैं. सियासी दलों की बैठक के या तो वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए हो रही है या फिर किसी एप या तकनीक का सहारा लिया जा रहा है.

कोरोना ने बदले राजनीतिक गतिविधियों के रंग

तकनीक के कारण कमजोर पड़ गया चिट्ठी का चलन फिर शुरू हो गया है। प्रेस वार्ता के लिए भी राजनेता मोबाइल एप्लीकेशन और दूसरी तकनीक का सहारा ले रहे हैं. अपनी बात रखने के लिए राजनेता वीडियो संदेश जारी कर रहे हैं. हालांकि तकनीक के चलते सियासी कामों में सूचना प्रौद्योगिकी का दखल पहले ही बढ़ गया था. लेकिन लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत ने सियासी रंग ढंग पूरी तरह से बदल दिए हैं.

दरअसल, कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन के कारण सियासी गतिविधियां बदल गई हैं. पहले प्रेस वार्ता रैलियां, सभाएं और धरना प्रदर्शन आम बात थी. लेकिन अब यह बिल्कुल नजर नहीं आ रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सूचना प्रौद्योगिकी के सहारे लॉकडाउन की परिस्थिति में प्रदेशों के मुख्यमंत्री और सरपंचों से बातचीत करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का सहारा ले रहे हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी जहां दो बार सूचना प्रौद्योगिकी के सहारे प्रेस वार्ता कर चुके हैं.

तो इसी तरीके से वह जाने-माने अर्थशास्त्री रघुराम राजन और नोबेल पुरस्कार विजेता अमिताभ भट्टाचार्य से बात कर चुके हैं. सूबे के मुखिया शिवराज सिंह पार्टी की गतिविधियों और प्रशासनिक बैठक भी इसी तरीके से कर रहे हैं.

इस मामले में मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि कोविड-19 महामारी के कारण आज पूरे देश में सोशल डिस्टेंसिंग के चलते सभी तरह के राजनीतिक कार्य लगभग बंद है. फिर भी संगठन तो चलते हैं, इसलिए संगठन अपने काम सोशल मीडिया और आधुनिक तकनीक के माध्यम से कर रहे हैं. अपनी बात रखने के लिए नेतागण एक दूसरे को पत्र लिख रहे हैं.

सोशल मीडिया और दूसरे तरीकों से सियासी बैठकें हो रही हैं. अभी हाल ही में मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग की बैठक भी सूचना प्रौद्योगिकी की तकनीक के जरिए की गई थी. इन परिस्थितियों में कांग्रेस पार्टी की कोशिश है कि सभी शारीरिक दूरी का पालन करें, जिससे कोरोना वायरस की चेन टूटे सके.

वहीं मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि बहुत स्वाभाविक है कि कोविड-19 के कारण समाज की रीति रिवाज और परंपराओं में भी बदलाव आया है. जिस प्रकार के हालात है ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन जरूरी है. ऐसे समय में तकनीक का प्रयोग करना स्वाभाविक है. तमाम तरह की गतिविधियां,सेवा और सहयोग लगातार भाजपा ने जारी रखी हुई है. इसमें कहीं कोई रुकावट नहीं आई.

जनता कर्फ्यू से लेकर अब तक राशन और भोजन की आपूर्ति के लिए भी गतिविधियां चल रही हैं. स्वभाविक है कि राजनीतिक बैठकें अब तकनीक के सहारे हो रही हैं, लेकिन काम तो रुकेगा नहीं. सामूहिक चिंतन और सामूहिक विमर्श के आधार पर ही काम हो रहा है, उसके लिए तकनीक का सहारा लिया जा रहा है. इसी प्रकार से दूसरी गतिविधियां तकनीक के माध्यम से चल रही है.

भोपाल। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के कारण सियासी गतिविधियां भी बदल गई हैं. सियासी आयोजन, धरना प्रदर्शन और रैली जैसी गतिविधियां पूरी तरह से बंद हैं, हालांकि सियासी दलों ने भी अपनी व्यवस्थाओं को बदल दिया है. और सूचना प्रौद्योगिकी का सहारा लेकर सियासी कामकाज निपटाए जा रहे हैं. सियासी दलों की बैठक के या तो वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए हो रही है या फिर किसी एप या तकनीक का सहारा लिया जा रहा है.

कोरोना ने बदले राजनीतिक गतिविधियों के रंग

तकनीक के कारण कमजोर पड़ गया चिट्ठी का चलन फिर शुरू हो गया है। प्रेस वार्ता के लिए भी राजनेता मोबाइल एप्लीकेशन और दूसरी तकनीक का सहारा ले रहे हैं. अपनी बात रखने के लिए राजनेता वीडियो संदेश जारी कर रहे हैं. हालांकि तकनीक के चलते सियासी कामों में सूचना प्रौद्योगिकी का दखल पहले ही बढ़ गया था. लेकिन लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत ने सियासी रंग ढंग पूरी तरह से बदल दिए हैं.

दरअसल, कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन के कारण सियासी गतिविधियां बदल गई हैं. पहले प्रेस वार्ता रैलियां, सभाएं और धरना प्रदर्शन आम बात थी. लेकिन अब यह बिल्कुल नजर नहीं आ रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सूचना प्रौद्योगिकी के सहारे लॉकडाउन की परिस्थिति में प्रदेशों के मुख्यमंत्री और सरपंचों से बातचीत करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का सहारा ले रहे हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी जहां दो बार सूचना प्रौद्योगिकी के सहारे प्रेस वार्ता कर चुके हैं.

तो इसी तरीके से वह जाने-माने अर्थशास्त्री रघुराम राजन और नोबेल पुरस्कार विजेता अमिताभ भट्टाचार्य से बात कर चुके हैं. सूबे के मुखिया शिवराज सिंह पार्टी की गतिविधियों और प्रशासनिक बैठक भी इसी तरीके से कर रहे हैं.

इस मामले में मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि कोविड-19 महामारी के कारण आज पूरे देश में सोशल डिस्टेंसिंग के चलते सभी तरह के राजनीतिक कार्य लगभग बंद है. फिर भी संगठन तो चलते हैं, इसलिए संगठन अपने काम सोशल मीडिया और आधुनिक तकनीक के माध्यम से कर रहे हैं. अपनी बात रखने के लिए नेतागण एक दूसरे को पत्र लिख रहे हैं.

सोशल मीडिया और दूसरे तरीकों से सियासी बैठकें हो रही हैं. अभी हाल ही में मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग की बैठक भी सूचना प्रौद्योगिकी की तकनीक के जरिए की गई थी. इन परिस्थितियों में कांग्रेस पार्टी की कोशिश है कि सभी शारीरिक दूरी का पालन करें, जिससे कोरोना वायरस की चेन टूटे सके.

वहीं मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि बहुत स्वाभाविक है कि कोविड-19 के कारण समाज की रीति रिवाज और परंपराओं में भी बदलाव आया है. जिस प्रकार के हालात है ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन जरूरी है. ऐसे समय में तकनीक का प्रयोग करना स्वाभाविक है. तमाम तरह की गतिविधियां,सेवा और सहयोग लगातार भाजपा ने जारी रखी हुई है. इसमें कहीं कोई रुकावट नहीं आई.

जनता कर्फ्यू से लेकर अब तक राशन और भोजन की आपूर्ति के लिए भी गतिविधियां चल रही हैं. स्वभाविक है कि राजनीतिक बैठकें अब तकनीक के सहारे हो रही हैं, लेकिन काम तो रुकेगा नहीं. सामूहिक चिंतन और सामूहिक विमर्श के आधार पर ही काम हो रहा है, उसके लिए तकनीक का सहारा लिया जा रहा है. इसी प्रकार से दूसरी गतिविधियां तकनीक के माध्यम से चल रही है.

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