भोपाल। शिवराज सरकार द्वारा सीबीडीटी रिपोर्ट का मामला ईओडब्ल्यू को सौंपे जाने के बाद सियासत तेज हो गई है. केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा मध्य प्रदेश सरकार को सीबीडीटी रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई के निर्देश देने के बाद सरकार ने यह मामला ईओडब्ल्यू(EOW) को सौंप दिया है. इस मामले में ईओडब्ल्यू जल्द कार्रवाई कर सकता है. सरकार की इस पहल पर कांग्रेस ने सवाल खड़े करते हुए कहा है कि सरकार को अपने मंत्रिमंडल से पहले उन तीन मंत्रियों को बर्खास्त करना चाहिए, जिनके नाम इस रिपोर्ट में आ रहे हैं.
कांग्रेस विधायक और सिंधिया समर्थक मंत्रियों के नाम
दरअसल लोकसभा चुनाव 2019 के समय मध्यप्रदेश में इनकम टैक्स ने छापामार कार्रवाई की थी. जिसकी रिपोर्ट सीडीबीटी को सौंपी गई थी. इस रिपोर्ट के आधार पर सीडीबीटी ने कांग्रेस के कई विधायकों पर पैसा इकट्ठा करने का आरोप लगाया था और अपनी रिपोर्ट में कहा था कि यह पैसा लोकसभा चुनाव में उपयोग किया गया है. रिपोर्ट के आते ही मध्य प्रदेश के सियासी गलियारों में हड़कंप मच गया था. इस रिपोर्ट में चार अफसरों के अलावा कई विधायकों के भी नाम थे.
कांग्रेस विधायकों के अलावा सिंधिया समर्थकों के भी नाम
मध्य प्रदेश सरकार को सौंपी गई इस रिपोर्ट में कांग्रेस विधायकों के अलावा सिंधिया समर्थक 3 ऐसे विधायकों के भी नाम हैं. जो फिलहाल शिवराज सरकार में मंत्री हैं. ऐसी स्थिति में शिवराज सरकार असमंजस में फंस गई है. अगर वह अपनी सरकार के उन मंत्रियों को बचाती है, जिनके नाम इस रिपोर्ट में हैं. कांग्रेस विधायकों पर भी कार्रवाई करना मुश्किल होगा.
चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव और गृह विभाग के एसीएस को तलब
इस मामले में केंद्रीय चुनाव आयोग के उप चुनाव आयुक्त शशि भूषण कुमार ने मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर दिल्ली तलब किया है. केंद्रीय चुनाव आयोग ने जानकारी चाही है कि इस मामले में प्रदेश सरकार के गृह विभाग और मुख्य सचिव ने क्या कार्रवाई की है. मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और गृह विभाग के एसीएस राजेश राजौरा 5 जनवरी को दिल्ली में जाकर केंद्रीय चुनाव आयोग के अफसरों को अब तक की कार्रवाई का ब्यौरा देंगे. इसी वजह से आनन-फानन में सरकार ने यह रिपोर्ट ईओडब्ल्यू को कार्रवाई के लिए सौंप दी है.
पहले सरकार से उन तीन मंत्रियों को हटाए जिनके नाम सामने आए हैं
पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा का कहना है कि इस मामले में मेरा यह कहना है कि सबसे पहले तो द्वेषपूर्ण तरीके से कांग्रेस के लोगों और कमलनाथ के करीबी लोगों को परेशान करने के लिए दिल्ली की मोदी सरकार ने छापे लगवाए थे. जिसमें निकला तो कुछ नहीं, लेकिन अब चुनाव आयोग,जिसका इस मामले से कोई लेना देना नहीं है. उसका काम चुनाव कराना होता है. उस पर दबाव डालकर यह कराया जा रहा है, मेरा यह कहना है कि सबसे पहले उन तीन मंत्रियों को सरकार से हटाया जाए,जो फिलहाल सरकार में शामिल हैं. फिर आगे की कार्रवाई की जाए.