भोपाल। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के छोटे भाई और कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने अपने ट्विटर एकाउंट से ट्वीट कर आदिवासियों के लिए वर्तमान में लाई जा रही योजनाओं को लागू नहीं करने की बात कही है. उन्होंने साफ कर दिया है कि इंदिरा गांधी ने आदिवासियों के हक के लिए इस कानून को बनाया था और इस कानून को बदलने का प्रयास ना किया जाए. उनके इस ट्वीट पर सीएम कमलनाथ ने पलटवार किया है.
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राज्य सरकार ने जो सामान्य सा बदलाव किया है वह यह है कि अनुसूचित क्षेत्रों में गैर आदिवासी द्वारा गैर आदिवासी की जमीन खरीदने के बाद डायवर्सन के लिए जो समय सीमा थी बस उसे समाप्त कर दिया है।
— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) November 29, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
यह कदम भी इन क्षेत्रों के विकास की दृष्टि से व आदिवासी भाइयों के हित में उठाया गया है।
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— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) November 29, 2019
यह कदम भी इन क्षेत्रों के विकास की दृष्टि से व आदिवासी भाइयों के हित में उठाया गया है।
4/4राज्य सरकार ने जो सामान्य सा बदलाव किया है वह यह है कि अनुसूचित क्षेत्रों में गैर आदिवासी द्वारा गैर आदिवासी की जमीन खरीदने के बाद डायवर्सन के लिए जो समय सीमा थी बस उसे समाप्त कर दिया है।
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यह कदम भी इन क्षेत्रों के विकास की दृष्टि से व आदिवासी भाइयों के हित में उठाया गया है।
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मध्यप्रदेश की सरकार आदिवासियों के हितों का संरक्षण करने के लिए पहले दिन से ही वचनबद्ध है और आदिवासियों के हित में निरंतर कदम उठा रही है।
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3/4मध्यप्रदेश की सरकार आदिवासियों के हितों का संरक्षण करने के लिए पहले दिन से ही वचनबद्ध है और आदिवासियों के हित में निरंतर कदम उठा रही है।
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कमलनाथ ने साफ कर दिया है कि किसी प्रकार का कोई भी ऐसा कानून लागू नहीं किया गया है, जिससे कि आदिवासी वर्ग को नुकसान हो. केवल अफवाह फैलाई जा रही है जो सरासर गलत है. कमलनाथ ने ट्विटर पर जवाब देते हुए इस पूरे मामले को केवल अफवाह करार दिया है. वहीं आदिवासी वर्ग से भी उन्होंने अपील की है कि इस तरह के भ्रम फैलाने वाली बातों में ना आएं.
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प्रदेश के अनुसूचित आदिवासी क्षेत्रों में भू राजस्व की संहिता की धारा 165 के अनुसार किसी भी आदिवासी भाई की जमीन गैर आदिवासी को बेचने पर पूर्ण प्रतिबंध है और जिले के कलेक्टर भी इसकी अनुमति नहीं दे सकते हैं।
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2/4प्रदेश के अनुसूचित आदिवासी क्षेत्रों में भू राजस्व की संहिता की धारा 165 के अनुसार किसी भी आदिवासी भाई की जमीन गैर आदिवासी को बेचने पर पूर्ण प्रतिबंध है और जिले के कलेक्टर भी इसकी अनुमति नहीं दे सकते हैं।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के अनुसूचित आदिवासी क्षेत्रों में भू-राजस्व की संहिता की धारा 165 के अनुसार किसी आदिवासी की जमीन किसी गैर आदिवासी को बेचने पर पूर्ण प्रतिबंध है और जिले के कलेक्टर भी इसकी अनुमति नहीं दे सकते. मध्यप्रदेश सरकार आदिवासियों के समस्त हितों का संरक्षण करने के लिए कटिबद्ध है और ऐसा कोई कदम कभी नहीं उठाएगी, जो प्रदेश के आदिवासियों के हित में न हो.
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यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को बेचने की अनुमति अब सरकार द्वारा दी जाएगी,जबकि यह सरासर गलत है,
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किसी भी अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों की जमीन किसी गैर आदिवासी को बेचने की अनुमति नहीं है और ना ही इस प्रावधान में सरकार ने कोई बदलाव किया है
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किसी भी अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों की जमीन किसी गैर आदिवासी को बेचने की अनुमति नहीं है और ना ही इस प्रावधान में सरकार ने कोई बदलाव किया है
1/4यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को बेचने की अनुमति अब सरकार द्वारा दी जाएगी,जबकि यह सरासर गलत है,
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किसी भी अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों की जमीन किसी गैर आदिवासी को बेचने की अनुमति नहीं है और ना ही इस प्रावधान में सरकार ने कोई बदलाव किया है
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सीएम ने साफ किया है कि प्रदेश सरकार ने जो सामान्य सा बदलाव किया है और जिसको लेकर भ्रम और अफवाह फैलायी जा रही हैं, वो सिर्फ ये है कि अनुसूचित क्षेत्रों में गैर आदिवासी द्वारा गैर आदिवासी की जमीन खरीदने के बाद डायवर्सन के लिए जो समय-सीमा थी, उसे समाप्त किया गया है.