ETV Bharat / state

MP Assembly Election 2023: MP में बीजेपी को मोदी ब्रांड का सहारा, कार्यकर्ता ही लेगा अग्निपरीक्षा

मध्यप्रदेश में बीजेपी विधानसभा चुनाव में जीत की राह को पक्की और आसान करने एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है. कहा जा रहा है कि एमपी में बीजेपी को एंटी इनकंबेंसी का डर सता रहा है, लिहाजा पार्टी पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है.

author img

By

Published : Apr 24, 2023, 8:18 PM IST

PM Modi and CM Shivraj
पीएम मोदी और सीएम शिवराज

भोपाल। बीजेपी में बढ़ती कार्यकर्ताओं की नाराजगी संगठन को महसूस हो रही एंटी इनकंबेंसी के बाद 2023 में बीजेपी का पीएम मोदी का नाम लिए बगैर चुनाव में उतरना मुश्किल हो गया है. ब्याज जीरो शिवराज हीरो के नारे उछालने वाली बीजेपी का डबल इंजन की सरकार का दम दिखाना क्या ये संकेत है कि इस बार एमपी में भी पीएम मोदी के चेहरे की ढाल पर बीजेपी चुनाव मैदान में आगे बढ़ेगी. चुनाव के 6 महीने पहले पीएम मोदी के महीने भर के भीतर एमपी के दो दौरे. पहले वंदे भारत ट्रेन और फिर विंध्य को सौगातों की झड़ी. क्या एमपी में बीजेपी की जीत के लिए मोदी मंत्र जरूरी हो गया है.

डबल इंजन की सरकार के नारे पर ही चुनाव: मध्यप्रदेश में एक तरफ सीएम शिवराज सिंह चौहान योजनाओं और घोषणाओं की झड़ी लगाए हुए हैं. दूसरी तरफ पीएम मोदी ने भी एक महीने में दूसरी बार एमपी में सौगातों का पिटारा खोला है. पहले भोपाल से दिल्ली को वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी. अब विंध्य इलाके में सात हजार करोड़ की जल प्रदाय योजना के शिलान्यास के साथ 2300 करोड़ से अधिक की रेल परियोजना का लोकार्पण. एमपी में दी गई सौगातें गिनाते पीएम मोदी ने पहली बार अपने भाषण में छिंदवाड़ा का जिक्र किया. बिना नाम लिये कमलनाथ पर हमला बोला. उनके इस बयान को क्या समझा जाए. क्या बीजेपी मध्यप्रदेश में जनता की नब्ज थाम चुकी है. बीजेपी यह जान चुकी है कि इस बार पिछली तीन पारियों की आसानी नहीं है. ना 2018 के चुनाव की नेक टू नेक फाइट.

विंध्य और ग्वालियर चंबल में बीजेपी के सामने चुनौती: सौगातें भी खास उन इलाकों में दी गई हैं. जहां बीजेपी को इस बार राह मुश्किल होती दिखाई दे रही है. विंध्य यूं कांग्रेस को भी जमीन आसमान देता रहा, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में यही इलाका था. जहां 30 में से 24 सीटें बीजेपी ने जीती थी, लेकिन यहां विंध्य के नेताओं की अनदेखी और पृथक विंध्य प्रदेश की मांग तेज होने के बाद बीजेपी को राह मुश्किल होती दिखाई दे रही है. उधर ग्वालियर चंबल में सिंधिया गुट के बीजेपी में शामिल होने के बाद से नई और पुरानी बीजेपी के बीच की दरार अब खाई बन चुकी है. लिहाजा रीवा को मिली सौगातों के बाद नंबर ग्वालियर का ही आया.

कुछ खबर यहां पढ़ें

कार्यकर्ता ही लेगा बीजेपी की अग्निपरीक्षा: संगठन स्तर पर पार्टी को जो फीडबैक मिल रहा है, वो ये बता रहा है कि रुठे दिग्गज कार्यकर्ताओं के अलावा भी जमीनी स्तर का जो कार्यकर्ता पार्टी की ताकत है. वो इस चुनाव में निष्क्रीय मोड में है. यही पार्टी की सबसे बड़ी चिंता है. दूसरी तरफ सिंधिया खेमे के बीजेपी में शामिल हो जाने के बाद सरकार के स्तर पर भी नाराजगी की कई परतें हैं. लंबे वक्त से बीजेपी सत्ता में है. लिहाजा एंटी इनकंबेंसी से इनकार नहीं किया जा सकता. कहा ये जा रहा है डबल इंजन की सरकार के नारे के साथ पीएम मोदी के चेहरे को आगे रखना भी बीजेपी का रणनीतिक मूव है. ताकि इन सारी नाराजगियों का असर सत्ता की राह पर बढ़ रही पार्टी क सामने ना आए.

भोपाल। बीजेपी में बढ़ती कार्यकर्ताओं की नाराजगी संगठन को महसूस हो रही एंटी इनकंबेंसी के बाद 2023 में बीजेपी का पीएम मोदी का नाम लिए बगैर चुनाव में उतरना मुश्किल हो गया है. ब्याज जीरो शिवराज हीरो के नारे उछालने वाली बीजेपी का डबल इंजन की सरकार का दम दिखाना क्या ये संकेत है कि इस बार एमपी में भी पीएम मोदी के चेहरे की ढाल पर बीजेपी चुनाव मैदान में आगे बढ़ेगी. चुनाव के 6 महीने पहले पीएम मोदी के महीने भर के भीतर एमपी के दो दौरे. पहले वंदे भारत ट्रेन और फिर विंध्य को सौगातों की झड़ी. क्या एमपी में बीजेपी की जीत के लिए मोदी मंत्र जरूरी हो गया है.

डबल इंजन की सरकार के नारे पर ही चुनाव: मध्यप्रदेश में एक तरफ सीएम शिवराज सिंह चौहान योजनाओं और घोषणाओं की झड़ी लगाए हुए हैं. दूसरी तरफ पीएम मोदी ने भी एक महीने में दूसरी बार एमपी में सौगातों का पिटारा खोला है. पहले भोपाल से दिल्ली को वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी. अब विंध्य इलाके में सात हजार करोड़ की जल प्रदाय योजना के शिलान्यास के साथ 2300 करोड़ से अधिक की रेल परियोजना का लोकार्पण. एमपी में दी गई सौगातें गिनाते पीएम मोदी ने पहली बार अपने भाषण में छिंदवाड़ा का जिक्र किया. बिना नाम लिये कमलनाथ पर हमला बोला. उनके इस बयान को क्या समझा जाए. क्या बीजेपी मध्यप्रदेश में जनता की नब्ज थाम चुकी है. बीजेपी यह जान चुकी है कि इस बार पिछली तीन पारियों की आसानी नहीं है. ना 2018 के चुनाव की नेक टू नेक फाइट.

विंध्य और ग्वालियर चंबल में बीजेपी के सामने चुनौती: सौगातें भी खास उन इलाकों में दी गई हैं. जहां बीजेपी को इस बार राह मुश्किल होती दिखाई दे रही है. विंध्य यूं कांग्रेस को भी जमीन आसमान देता रहा, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में यही इलाका था. जहां 30 में से 24 सीटें बीजेपी ने जीती थी, लेकिन यहां विंध्य के नेताओं की अनदेखी और पृथक विंध्य प्रदेश की मांग तेज होने के बाद बीजेपी को राह मुश्किल होती दिखाई दे रही है. उधर ग्वालियर चंबल में सिंधिया गुट के बीजेपी में शामिल होने के बाद से नई और पुरानी बीजेपी के बीच की दरार अब खाई बन चुकी है. लिहाजा रीवा को मिली सौगातों के बाद नंबर ग्वालियर का ही आया.

कुछ खबर यहां पढ़ें

कार्यकर्ता ही लेगा बीजेपी की अग्निपरीक्षा: संगठन स्तर पर पार्टी को जो फीडबैक मिल रहा है, वो ये बता रहा है कि रुठे दिग्गज कार्यकर्ताओं के अलावा भी जमीनी स्तर का जो कार्यकर्ता पार्टी की ताकत है. वो इस चुनाव में निष्क्रीय मोड में है. यही पार्टी की सबसे बड़ी चिंता है. दूसरी तरफ सिंधिया खेमे के बीजेपी में शामिल हो जाने के बाद सरकार के स्तर पर भी नाराजगी की कई परतें हैं. लंबे वक्त से बीजेपी सत्ता में है. लिहाजा एंटी इनकंबेंसी से इनकार नहीं किया जा सकता. कहा ये जा रहा है डबल इंजन की सरकार के नारे के साथ पीएम मोदी के चेहरे को आगे रखना भी बीजेपी का रणनीतिक मूव है. ताकि इन सारी नाराजगियों का असर सत्ता की राह पर बढ़ रही पार्टी क सामने ना आए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.