भोपाल। मध्यप्रदेश में इस बार मानसून जमकर मेहरबान है. खासतौर से प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके को मानसून ने खूब तरबतर किया है. जून माह के आखिरी सप्ताह में मानसून की दस्तक के साथ ही बुंदेलखंड के अधिकांश इलाकों में जमकर बारिश हो रही है. करीब 10 सालों बाद यह पहला मौका है जब बुंदेलखंड इलाका शुरुआती मानसून सीजन में तर हो गया हो. मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक आमतौर पर बुंदेलखंड में औसत बारिश ही होती है, लेकिन इस बार लगता है यहां औसत से ज्यादा बारिश होगी. वहीं, संभावना जताई जा रही है कि आने वाले समय में बुंदेलखंड के कई इलाकों में तेज बारिश होगी.
बुंदेलखंड में 20% ज्यादा हुई बारिशः बारिश के आंकड़ों को देखा जाए तो पिछले करीबन 10 सालों की अपेक्षा इस साल बुंदेलखंड क्षेत्र में आने वाले जिलों में औसत बारिश का आंकड़ा बहुत बेहतर है. बुंदेलखंड के छतरपुर में अभी तक का बारिश का आंकड़ा 261 मिलीमीटर पहुंच गया है, जबकि टीकमगढ़ में 416 मिलीमीटर बारिश हुई है. दमोह में 365 मिलीमीटर, निवाड़ी में 362 मिलीमीटर, सागर में 471 मिलीमीटर बारिश अब तक रिकॉड की जा चुकी है. मौसम वैज्ञानिक एसएन साहू कहते हैं कि इस बार बुंदेलखंड क्षेत्र में काफी अच्छी बारिश अभी तक हुई है, अभी बारिश का बहुत समय बाकी है. आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में अच्छी बारिश की उम्मीद है.
बुंदेलखंड में बारिश उत्तरप्रदेश पर निर्भरः मौसम विभाग के रिटायर्ड डायरेक्टर डीपी दुबे के मुताबिक मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड इलाके और इसमें भी खासतौर से टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, दतिया इलाके में बारिश तभी अच्छी होती है, जब बंगाल की खाडी में लो प्रेशर एरिया बने और यह बिलासपुर, रीवा होते हुए इलाहाबाद और लखनऊ की तरफ मूव करे. ऐसी स्थिति में बुंदेलखंड के इलाकों में अच्छी बारिश होती है, लेकिन ऐसा आमतौर पर नहीं होता. मौसम वैज्ञानिक ममता यादव बताती हैं कि, ''अधिकांश वेदर सिस्टम उड़ीसा कोस्ट पर बनते हैं.
यह सिस्टम उड़ीसा से होकर छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश से होते हुए राजस्थान की तरफ जाते हैं. यह मानसून ट्रफ से मूव करते हैं, इसे द्रोणिका भी बोला जाता है.'' वहीं, मौसम वैज्ञानिक एसएच पांडे के मुताबिक मानसून ट्रफ यानी द्रोणिक बीकानेर से शुरू होकर जयपुर, ग्वालियर, जबलपुर, रायपुर होते हुए पुरी से बंगाल की खाड़ी में जाती है. जो भी लो प्रेशर एरिया बनते हैं वह आमतौर पर इसी द्रोणिका पर मूव करते हैं. वैसे इस बार जो वेदर सिस्टम बने हैं वह द्रोणिका से नीचे से मूव कर रहे हैं. इसलिए इस इलाके में अच्छी बारिश हो रही है.
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बुंदेलखंड का पूरा इलाका पथरीला: सामाजिक कार्यकर्ता पवन घुआरा कहते हैं कि, ''बुंदेलखंड का पूरा इलाका पथरीला है. यहां पानी जमीन के अंदर धीरे-धीरे पहुंचता है. औसत बारिश का आंकड़ा भी कम है. यही वजह है कि कभी बुंदेलखंड इलाके में 10 हजार से ज्यादा तालाब थे, ताकि बारिश के पानी को सहेजा जा सके. इन तालाबों की खासियत यह थी कि यह आपस में जुड़े होते थे. एक तालाब भरता तो उसका पानी दूसरे तालाब में पहुंच जाता था, लेकिन धीरे-धीरे यह खत्म हो गए.