भोपाल। तो ये मान लीजिए कि एमपी में सिर्फ मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बदला है. सीएम डॉ. मोहन यादव के शुरुआती तेवर बता रहे हैं कि बदलने बहुत कुछ जा रहा है. दो दशक से कुछ कम की रही बीजेपी की पारी के बाद अब एमपी में बीजेपी की सियासत के अंदाज बदले हुए दिखाई देंगे. बीजेपी ने एमपी में अब तक सोशल इंजीनियरिंग की शिवराज सरकार देखी है. चौथी पारी में शिवराज जरुर हिंदुत्व की राह पकड़ते दिखाई दिए लेकिन योगी के नक्शेकदम पर पूरी तरह फिर भी नहीं चल पाए. पर मोदी की गारंटी बनकर आए नए सीएम डॉ. मोहन यादव ने बुलडोजर से लेकर लाउडस्पीकर तक हर दूसरे फैसले में ये बता दिया कि अब एमपी की पॉलीटिक्स योगी सरकार के एक्शन का सिक्वल होगी. लेकिन जिस तरह से लैंडिंग हुई क्या उतनी आसान है डॉ. मोहन यादव के लिए सत्ता की पारी.
मोहन यादव योगी पार्ट टू: शुरुआती एक्शन जो सीएम डॉ. मोहन यादव ने लिए उसने तस्वीर बहुत कुछ साफ कर दी. विधायक रहते हुए हार्ड हिंदुत्व की राह वाले मोहन यादव मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उसी धार को तेज करेंगे. लाउडस्पीकर से लेकर बुलडोजर तक बीते पांच दिन में उनका हर एक्शन ये बता रहा है कि एमपी में योगी पार्ट टू दिखाई देगा. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं ''मोहन यादव संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं तो उनकी सरकार पर राष्ट्रवाद का असर दिखेगा, इसमें कोई दो राय ही नहीं. लेकिन उनके काम का आंकलन करने के लिए पांच दिन का समय बहुत कम है.''
मोदी की गारंटी बने मोहन की मुश्किलें क्या-क्या: मोदी की गारंटी बनकर एमपी सबको चौंकाते हुए सीएम बने डॉ. मोहन यादव के सामने अभी मुश्किलें क्या क्या हैं. सबसे बड़ी चुनौती तो खुद शिवराज सिंह चौहान बन रहे हैं. पहले जो वो टारगेट छोड़कर गए वो चुनौती है. दूसरी चुनौती अब लाड़ली बहनों का दुलार बन गया है जो हर दूसरे वीडियो में ये कहती सुनी जा रही हैं कि हमने तो वोट आपको दिया था.
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आसान नहीं राह: वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पवन देवलिया कहते हैं ''जैसे शिखर पर पहुंचना आसान है और बने रहना मुश्किल...बिल्कुल वैसे ही डॉ. मोहन यादव के लिए तीसरी पंक्ति से पहली पंक्ति में आना जितना आसान रहा. अब इस कुर्सी पर इतनी उम्मीदों को पूरा करते हुए बने रहना उतना ही मुश्किल है. सबसे बड़ी बात कि जिस मोदी नाम की गारंटी के साथ वे सत्ता में आए हैं उस इम्तेहान पर अव्वल आने की चुनौती हमेशा रहेगी.''