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82 साल की उम्र में भी महिलाओं के लिए मिसाल हैं काशीबाई, 70 सालों से अपने दम पर चला रहीं परिवार

एक तरफ सरकार महिलाओं के लिए समान अवसर की बात करती है, जबकि दूसरी तरफ ये महिलाएं 70 सालों से बिना किसी सरकारी मदद के अपने दम पर अपना परिवार चला रही हैं. यहां रहने वाली 82 वर्षीय काशीबाई पिछले 70 सालों से ये काम कर रही हैं.

काशीबाई
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Published : Mar 8, 2019, 12:35 AM IST

भोपाल। हर साल 8 मार्च को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. कई जगह महिलाओं का सम्मान किया जाता है, प्रदेश में कई महिलाएं ऐसी हैं जो दिन-रात मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालती हैं, लेकिन वो सम्मान पाना तो दूर वे ये भी नहीं जानतीं कि महिला दिवस क्या होता है?

राजधानी भोपाल के बांसखेड़ी में रहने वाली महिलाएं बांस की डलिया, सुपड़ी, चटाई, टोकरी आदि बनाकर अपने परिवार का पेट पालती हैं. यहां रहने वाली 82 वर्षीय काशीबाई पिछले 70 सालों से ये काम कर रही हैं. जिन्हें देखकर गांव की अन्य महिलाओं ने भी ये काम शुरू किया, इस दौरान कई सरकारें आईं गईं, लेकिन इनकी तरफ किसी ने भी ध्यान नहीं दिया. एक तरफ सरकार महिलाओं के लिए समान अवसर की बात करती है, जबकि दूसरी तरफ ये महिलाएं 70 सालों से बिना किसी सरकारी मदद के अपने दम पर अपना परिवार चला रही हैं.

काशीबाई विधानसभा भवन क्षेत्र स्थित मेन रोड पर टोकरी की दुकान लगाती हैं. पहले वे बांसखेड़ी इलाके में ही अपना रोजगार चलाती थीं, लेकिन स्मार्ट सिटी के नाम पर बांस खेड़ी की 400 झुग्गियां सरकार ने तुड़वा दी. जिसके बाद बांस का काम करने वाली इन महिलाओं को अपना इलाका छोड़ बांसखेड़ी से 12 किमी दूर जाकर रहना पड़ा, लेकिन ये महिलाएं आज भी 12 किलोमीटर दूर से आकर सुबह से शाम तक बांस की टोकरियां बनाती हैं.

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काशीबाई


काशीबाई का कहना है कि उन्होंने जब से होश संभाला है, तभी से वह ये काम कर रही हैं. उन्होंने अपने परिवार के साथ ही आसपास के इलाके की महिलाओं को भी इस ओर आने के लिए प्रेरित किया और ये महिलाएं काशीबाई को इसका श्रेय देती हैं.

भोपाल। हर साल 8 मार्च को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. कई जगह महिलाओं का सम्मान किया जाता है, प्रदेश में कई महिलाएं ऐसी हैं जो दिन-रात मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालती हैं, लेकिन वो सम्मान पाना तो दूर वे ये भी नहीं जानतीं कि महिला दिवस क्या होता है?

राजधानी भोपाल के बांसखेड़ी में रहने वाली महिलाएं बांस की डलिया, सुपड़ी, चटाई, टोकरी आदि बनाकर अपने परिवार का पेट पालती हैं. यहां रहने वाली 82 वर्षीय काशीबाई पिछले 70 सालों से ये काम कर रही हैं. जिन्हें देखकर गांव की अन्य महिलाओं ने भी ये काम शुरू किया, इस दौरान कई सरकारें आईं गईं, लेकिन इनकी तरफ किसी ने भी ध्यान नहीं दिया. एक तरफ सरकार महिलाओं के लिए समान अवसर की बात करती है, जबकि दूसरी तरफ ये महिलाएं 70 सालों से बिना किसी सरकारी मदद के अपने दम पर अपना परिवार चला रही हैं.

काशीबाई विधानसभा भवन क्षेत्र स्थित मेन रोड पर टोकरी की दुकान लगाती हैं. पहले वे बांसखेड़ी इलाके में ही अपना रोजगार चलाती थीं, लेकिन स्मार्ट सिटी के नाम पर बांस खेड़ी की 400 झुग्गियां सरकार ने तुड़वा दी. जिसके बाद बांस का काम करने वाली इन महिलाओं को अपना इलाका छोड़ बांसखेड़ी से 12 किमी दूर जाकर रहना पड़ा, लेकिन ये महिलाएं आज भी 12 किलोमीटर दूर से आकर सुबह से शाम तक बांस की टोकरियां बनाती हैं.

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काशीबाई


काशीबाई का कहना है कि उन्होंने जब से होश संभाला है, तभी से वह ये काम कर रही हैं. उन्होंने अपने परिवार के साथ ही आसपास के इलाके की महिलाओं को भी इस ओर आने के लिए प्रेरित किया और ये महिलाएं काशीबाई को इसका श्रेय देती हैं.

Intro:अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस एक और पूरी दुनिया में महिला दिवस मनाया जाता है वहीं कुछ महिलाएं ऐसे भी है जो सम्मान की हकदार तो है लेकिन इस और किसी की नजर नहीं जाती हम बात कर रहे हैं उन महिलाओं की जो दिन और रात एक कर मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालते हैं जिन्हें सम्मान एवं अन्य किसी भी चीज का मोह नहीं है यह महिलाएं नहीं जानती महिला दिवस क्या होता है लेकिन महिलाओं के लिए अपने आप में मिसाल है यह महिलाएं


Body:राजधानी भोपाल के बांस खेड़ी इलाके में रहने वाली यह महिलाएं बांस की डलिया सुपडी चटाई टोकरी अन्य सामग्रियां बना कर अपने परिवार का पेट पालती है बांस खेड़ी इलाके में रहने वाली काशी भाई पिछले 70 वर्षों से बांस की टोकरी बना कर अपना परिवार चला रहे हैं काशीबाई की उम्र 82 वर्ष है बांस खेड़ी में रहने वाली काशीबाई अपना पूरा परिवार बांस की टोकरी बना कर उन्हें बेचकर पालती है काशीबाई को देखा देख आज बांस खेड़ी में रहने वाले 70% महिलाएं बांस की टोकरी बना कर अपना परिवार चलाते हैं जहां महिला दिवस पर महिलाओं को सम्मान दिया जाता है बड़े बड़े कार्यक्रम किए जाते हैं वहीं दूसरी और कुछ महिलाएं ऐसे भी हैं जिनकी और सरकार का दूर-दूर तक कोई ध्यान नहीं आज जहां सरकार महिला पुरुष में कोई अंतर ना होने की बात कहती है समान कार्य समान वेतन की बात करती है वहीं आदिवासी इलाके से आने वाली यह महिला 70 सालों से बिना किसी सरकारी मदद के अपना खुद का व्यवसाय चला रही है आज महिला दिवस पर असली महिला सम्मान की हकदार है बांस खेड़ी में रहने वाली काशी भाई जो 82 वर्ष की होने के बावजूद भी जिंदगी से हार नहीं मानी और बिना किसी मोह लालच के बांस की टोकरी डालिया बनाकर समाज के लिए एक उदाहरण साबित हुई काशीबाई राजधानी भोपाल के बीचो-बीच मध्य विधानसभा क्षेत्र में मेन रोड पर टोकरी की दुकान लगाती है काशीबाई काशीबाई के साथ ही अन्य महिलाएं भी मेन रोड पर टोकरी की दुकानें लगाती हैं 6 महीने पहले बांस खेड़ी का पूरा धंधा बांस खेड़ी इलाके में ही चलता था लेकिन मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत स्मार्ट सिटी बनाने के लिए बांस खेड़ी इलाके की 400 झुग्गियां तोड़ दी गई जिसके बाद बांस का काम करने वाली इन महिलाओं को अपना इलाका छोड़ बांसखेड़ी इलाके से 12 किलोमीटर दूर जाकर रहना पड़ा लेकिन यह महिलाएं आज भी 12 किलोमीटर दूर से आकर सुबह से लेकर रात तक यहां बांस की टोकरी या बनाती है इन महिलाओं को नहीं पता कि महिला दिवस क्या होता है सम्मान क्या होता है लेकिन असली सम्मान की हकदार है यह महिलाएं जिन्हें सरकार कि मदद की जरूरत नहीं खुद अपना काम करके अपने हाथों से बांस की टोकरी या बनाकर अपने परिवार का पेट पालती है यह महिलाएं 82 वर्ष की काशीबाई ने बताया कि उन्होंने जब से होश संभाला तभी से वह यह काम कर रही है उन्होंने अपने परिवार को भी इसी काम में लगाया साथ ही आसपास के इलाके में रहने वाली महिलाओं को भी इस और आने के लिए प्रेरित किया जोगी में रहने वाली है महिलाएं काशीबाई को इसका श्रेय देती है


Conclusion:अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर उन महिलाओं की कहानी जिन पर ना कभी सरकार ने ध्यान दिया ना मीडिया ने आज ऐसी महिलाओं को सम्मान करता है ईटीवी भारत आदिवासी इलाके से आने वाली है महिलाएं आजादी के पहले से स्वावलंबी है यह खुद का व्यवसाय करके अपना परिवार चलाती हैं बांस की टोकरी या बनाकर समाज के लिए उदाहरण बनी है महिलाएं 82 वर्ष की काशीबाई पिछले 70 वर्षों से बांस की टोकरी बना कर अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं

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