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117 करोड़ की धोखाधड़ी: लेनदेन वाले 3295 बैंक खातों की पहचान, CBI की 10 स्थानों पर छापेमारी

सीबीआई ने बताया कि विदेश में बैठे जालसाज भारत में लोगों को निशाना बनाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म और वेबसाइटों का उपयोग करते हैं.

CBI conducts searches at 10 locations in Cyber Fraud Case, involving financial fraud Rs 117 crore
प्रतीकात्मक तस्वीर (File Photo)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 9 hours ago

नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को दिल्ली और आसपास के इलाकों में 10 स्थानों पर छापेमारी की. बड़े वित्तीय घोटाले से जुड़े कथित अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी मामले की जांच के सिलसिले में यह कार्रवाई की गई.

सीबीआई ने दावा किया है कि 4 दिसंबर को की गई तलाशी के दौरान धोखाधड़ी में शामिल होने के संदेह में 10 लोगों के परिसरों से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और वित्तीय रिकॉर्ड सहित आपत्तिजनक साक्ष्य जब्त किए गए. गिरोह के अन्य सदस्यों की पहचान करने और अवैध धन के प्रवाह का पता लगाने के लिए जांच चल रही है.

सीबीआई प्रवक्ता के अनुसार, केंद्रीय एजेंसी ने भारतीय दंड संहिता की धारा 403, 420 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66डी के तहत मामला दर्ज किया है, जो गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) से प्राप्त लिखित शिकायत पर आधारित है.

शिकायत के मुताबिक, अज्ञात संगठित साइबर अपराधी और संदिग्ध विदेशी भागीदार पूरे भारत में सुनियोजित वित्तीय धोखाधड़ी कर रहे हैं. अब तक की जांच से पता चला है कि विदेशों से काम करने वाले जालसाज भारत में लोगों को निशाना बनाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म और वेबसाइटों का इस्तेमाल करते हैं. वे पार्ट-टाइम जॉब स्कैम, कार्य-आधारित धोखाधड़ी और शुरुआती निवेश पर हाई रिटर्न के वादों के जरिये व्यक्तियों को अपने चंगुल में फंसाते हैं.

धन को ठिकाने लगाने के लिए फिनटेक प्लेटफॉर्म पर इस्तेमाल
सीबीआई प्रवक्ता ने बताया कि पीड़ितों की ओर से जमा धन को अपराधियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले खातों (mule accounts) के एक नेटवर्क के माध्यम से जल्दी से ट्रांसफर कर दिया जाता था. इन पैसों को बाद में एटीएम के माध्यम से विदेशों में निकाल लिया गया या 'पाइपल' (Pyypl) जैसे फिनटेक प्लेटफॉर्म पर वॉलेट टॉप-अप के लिए इस्तेमाल किया गया, जो पीओएस लेनदेन को छिपाने के लिए सुगम अंतरराष्ट्रीय भुगतान नेटवर्क है.

3,295 भारतीय बैंक खातों की पहचान
उन्होंने बताया कि 1 जनवरी, 2023 से 17 अक्टूबर, 2023 के बीच राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर दर्ज 3,903 शिकायतों के विश्लेषण से पता चला कि जालसाजों ने लगभग 117 करोड़ रुपये की हेराफेरी की. सीबीआई अधिकारी ने कहा कि ये धनराशि मुख्य रूप से दुबई और यूएई के अन्य स्थानों से निकाली गई. जांच में इन धोखाधड़ी वाले लेनदेन में शामिल 3,295 भारतीय बैंक खातों की पहचान की गई. इन खातों के माध्यम से भेजे गए धन का उपयोग क्रिप्टोकरेंसी खरीदने के लिए भी किया गया.

यह भी पढ़ें- सरकार का बड़ा एक्शन, हजारों व्हॉट्सएप नंबर को ब्लॉक किया गया

नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को दिल्ली और आसपास के इलाकों में 10 स्थानों पर छापेमारी की. बड़े वित्तीय घोटाले से जुड़े कथित अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी मामले की जांच के सिलसिले में यह कार्रवाई की गई.

सीबीआई ने दावा किया है कि 4 दिसंबर को की गई तलाशी के दौरान धोखाधड़ी में शामिल होने के संदेह में 10 लोगों के परिसरों से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और वित्तीय रिकॉर्ड सहित आपत्तिजनक साक्ष्य जब्त किए गए. गिरोह के अन्य सदस्यों की पहचान करने और अवैध धन के प्रवाह का पता लगाने के लिए जांच चल रही है.

सीबीआई प्रवक्ता के अनुसार, केंद्रीय एजेंसी ने भारतीय दंड संहिता की धारा 403, 420 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66डी के तहत मामला दर्ज किया है, जो गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) से प्राप्त लिखित शिकायत पर आधारित है.

शिकायत के मुताबिक, अज्ञात संगठित साइबर अपराधी और संदिग्ध विदेशी भागीदार पूरे भारत में सुनियोजित वित्तीय धोखाधड़ी कर रहे हैं. अब तक की जांच से पता चला है कि विदेशों से काम करने वाले जालसाज भारत में लोगों को निशाना बनाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म और वेबसाइटों का इस्तेमाल करते हैं. वे पार्ट-टाइम जॉब स्कैम, कार्य-आधारित धोखाधड़ी और शुरुआती निवेश पर हाई रिटर्न के वादों के जरिये व्यक्तियों को अपने चंगुल में फंसाते हैं.

धन को ठिकाने लगाने के लिए फिनटेक प्लेटफॉर्म पर इस्तेमाल
सीबीआई प्रवक्ता ने बताया कि पीड़ितों की ओर से जमा धन को अपराधियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले खातों (mule accounts) के एक नेटवर्क के माध्यम से जल्दी से ट्रांसफर कर दिया जाता था. इन पैसों को बाद में एटीएम के माध्यम से विदेशों में निकाल लिया गया या 'पाइपल' (Pyypl) जैसे फिनटेक प्लेटफॉर्म पर वॉलेट टॉप-अप के लिए इस्तेमाल किया गया, जो पीओएस लेनदेन को छिपाने के लिए सुगम अंतरराष्ट्रीय भुगतान नेटवर्क है.

3,295 भारतीय बैंक खातों की पहचान
उन्होंने बताया कि 1 जनवरी, 2023 से 17 अक्टूबर, 2023 के बीच राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर दर्ज 3,903 शिकायतों के विश्लेषण से पता चला कि जालसाजों ने लगभग 117 करोड़ रुपये की हेराफेरी की. सीबीआई अधिकारी ने कहा कि ये धनराशि मुख्य रूप से दुबई और यूएई के अन्य स्थानों से निकाली गई. जांच में इन धोखाधड़ी वाले लेनदेन में शामिल 3,295 भारतीय बैंक खातों की पहचान की गई. इन खातों के माध्यम से भेजे गए धन का उपयोग क्रिप्टोकरेंसी खरीदने के लिए भी किया गया.

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