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Balkrishna Talk ETV Bharat ईटीवी भारत से बोले आचार्य बालकृष्ण, पाकिस्तान में भी होता है आयुर्वेद की किताब का ट्रांसलेट - Acharya Balkrishna came to Bhopal

पतंजलि के सह संस्थापक आयुर्वेद आचार्य बालकृष्ण राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन पर भोपाल पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से बात करते हुए आयुर्वेद से जुड़ी बातें की. Acharya Balkrishna co-founder of Patanjali Ayurved, Acharya Balkrishna talk to ETV Bharat, translation of ayurveda book in 80 countries

Balkrishna Talk ETV Bharat
आचार्य बालकृष्ण ने ईटीवी भारत से बात की
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Published : Sep 5, 2022, 9:45 AM IST

भोपाल। आयुर्वेद का दुनिया भर में ऐसा प्रभाव है कि भारत के साथ ही 80 देशों में आयुर्वेद की किताबों का ट्रांसलेशन कर उनकी छपाई हो रही है. जिसमें पाकिस्तान भी शामिल है. यह कहना है पतंजलि के सह संस्थापक आयुर्वेद आचार्य बालकृष्ण का. ईटीवी भारत से खास बातचीत में बालकृष्ण ने आयुर्वेद से जुड़ी कई बातें साझा की.

बालकृष्ण ने ईटीवी भारत से बात


80 देशों में आयुर्वेद की किताबों का हुआ अनुवाद


ईटीवी भारत से बात करते हुए आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आयुर्वेद भारतीय परंपरा का एक हिस्सा है, लेकिन इसका शुरुआती दौर में इतना प्रचार-प्रसार नहीं किया गया. जितना करने की जरूरत थी. अंग्रेजी राज्यों के कारण यह कई राज्यों तक सीमित रह गया. पंचकर्म की अगर बात होती है तो सिर्फ केरल ही याद आता है. ऐसे में बाबा रामदेव ने मिलकर इस सोच को आगे बढ़ाया और निर्णय किया की आयुर्वेद को देश ही नहीं दुनिया भर में पहुंचाएंगे. बालकृष्ण भोपाल में आयुर्वेद पर चल रही है राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन अवसर पर आए थे. इस दौरान ईटीवी भारत से खास चर्चा में बालकृष्ण ने कहा कि आयुर्वेद की किताबों का अब 80 देशों में अनुवाद हो चुका है. जिसमें पाकिस्तान भी शामिल है. इसे आयुर्वेद की जीत ही कहेंगे.

Face to Face: कॉलेज पाठ्यक्रम में इसी सत्र से शुरू होगी गीता, ईटीवी भारत से बात करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने कही ये बात

कोरोना काम में भी पतंजलि के कर्मचारी लगातार कर रहे थे काम
बालकृष्ण ने बताया कि कोविड के दौरान सब जगह संस्थान बंद हो गए थे, लेकिन पतंजलि ही एक ऐसा संस्थान था, जहां कर्मचारी लगातार काम कर रहे थे और हमारी यह कोशिश रही की हम लोगों की सेहत के लिए जल्द से जल्द दवा भी बाजार में लेकर आएं. जिसके बाद कोरोनिल लेकर आये. बालकृष्ण कहते हैं कि इसमें आम जनता का भी बेहद सहयोग रहा. उनके कारण ही हम कोरोना पर विजय पा पाए हैं.

मनुष्य का स्वस्थ्य होना ज्यादा जरूरी
एलोपैथी और आयुर्वेद ट्रीटमेंट को लेकर कई बार विवाद और असमंजस की स्थिति रहती है. इस पर आयुर्वेद आचार्य बालकृष्ण का कहना है कि पद्धति कोई भी हो लेकिन काम ऐसा होना चाहिए जिससे मनुष्य का जीवन स्वस्थ्य हो जाए. उसके लिए आयुर्वेद भी एक दवा है और एलोपैथिक भी.( Acharya Balkrishna co-founder of Patanjali Ayurved, Acharya Balkrishna talk to ETV Bharat,

translation of ayurveda book in 80 countries)

भोपाल। आयुर्वेद का दुनिया भर में ऐसा प्रभाव है कि भारत के साथ ही 80 देशों में आयुर्वेद की किताबों का ट्रांसलेशन कर उनकी छपाई हो रही है. जिसमें पाकिस्तान भी शामिल है. यह कहना है पतंजलि के सह संस्थापक आयुर्वेद आचार्य बालकृष्ण का. ईटीवी भारत से खास बातचीत में बालकृष्ण ने आयुर्वेद से जुड़ी कई बातें साझा की.

बालकृष्ण ने ईटीवी भारत से बात


80 देशों में आयुर्वेद की किताबों का हुआ अनुवाद


ईटीवी भारत से बात करते हुए आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आयुर्वेद भारतीय परंपरा का एक हिस्सा है, लेकिन इसका शुरुआती दौर में इतना प्रचार-प्रसार नहीं किया गया. जितना करने की जरूरत थी. अंग्रेजी राज्यों के कारण यह कई राज्यों तक सीमित रह गया. पंचकर्म की अगर बात होती है तो सिर्फ केरल ही याद आता है. ऐसे में बाबा रामदेव ने मिलकर इस सोच को आगे बढ़ाया और निर्णय किया की आयुर्वेद को देश ही नहीं दुनिया भर में पहुंचाएंगे. बालकृष्ण भोपाल में आयुर्वेद पर चल रही है राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन अवसर पर आए थे. इस दौरान ईटीवी भारत से खास चर्चा में बालकृष्ण ने कहा कि आयुर्वेद की किताबों का अब 80 देशों में अनुवाद हो चुका है. जिसमें पाकिस्तान भी शामिल है. इसे आयुर्वेद की जीत ही कहेंगे.

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कोरोना काम में भी पतंजलि के कर्मचारी लगातार कर रहे थे काम
बालकृष्ण ने बताया कि कोविड के दौरान सब जगह संस्थान बंद हो गए थे, लेकिन पतंजलि ही एक ऐसा संस्थान था, जहां कर्मचारी लगातार काम कर रहे थे और हमारी यह कोशिश रही की हम लोगों की सेहत के लिए जल्द से जल्द दवा भी बाजार में लेकर आएं. जिसके बाद कोरोनिल लेकर आये. बालकृष्ण कहते हैं कि इसमें आम जनता का भी बेहद सहयोग रहा. उनके कारण ही हम कोरोना पर विजय पा पाए हैं.

मनुष्य का स्वस्थ्य होना ज्यादा जरूरी
एलोपैथी और आयुर्वेद ट्रीटमेंट को लेकर कई बार विवाद और असमंजस की स्थिति रहती है. इस पर आयुर्वेद आचार्य बालकृष्ण का कहना है कि पद्धति कोई भी हो लेकिन काम ऐसा होना चाहिए जिससे मनुष्य का जीवन स्वस्थ्य हो जाए. उसके लिए आयुर्वेद भी एक दवा है और एलोपैथिक भी.( Acharya Balkrishna co-founder of Patanjali Ayurved, Acharya Balkrishna talk to ETV Bharat,

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