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Ayodhya & Ramlala Entry In MP: एमपी के चुनाव में अयोध्या और रामलला की भी एंट्री, हिंदुत्व का टेका लेने क्यों मजबूर हुई BJP

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को बीजेपी किसी भी सूरत में खोना नहीं चाहती है. लिहाजा पार्टी प्रत्याशियों के चयन से लेकर मुद्दों तक एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. इस बार एमपी चुनाव में बीजेपी अयोध्या और रामलला का सहारा ले रही है. जिससे बीजेपी अपने विजयी अभियान को बरकरार रख सके.

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 18, 2023, 4:15 PM IST

Ayodhya & Ramlala Entry In MP
अयोध्या और रामलला की एंट्री

भोपाल। 1992 में जिस राम मंदिर की लहर पर सवार होकर बीजेपी ने सत्ता की सीढ़ियां चढ़ी थी...क्या एमपी में 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी उसी हिंदुत्व और राम मंदिर की हुंकार के दम पर सत्ता में आने की कोशिश कर रही है. ये सवाल इसलिए उठा है कि एमपी में जीत के लिए सारे फार्मूले अपना रही पार्टी ने उज्जैन के महाकाल लोक से लेकर अयोध्या के राम मंदिर की भी इस चुनाव में एंट्री करवा दी है. बीजेपी के चुनावी कैम्पेन के बैनर होर्डिंग में सीएम शिवराज की जगह पीएम मोदी का चेहरा है. राम मंदिर बनकर तैयार हो रहा है, एमपी में फिर भाजपा सरकार का नारा है.आखिर क्या वजह है कि समाज से सीधे जुड़कर योजनाएं लाने वाली शिवराज सरकार और बीजेपी की हैट्रिक जीत दिलाने वाले एमपी में अब पार्टी को हिंदुत्व और राम मंदिर का मुद्दा उछालना पड़ा है.

एमपी के चुनाव में राम मंदिर की भी एंट्री: हाईटेक हो चुकी बीजेपी के नारे और बैनर पोस्टर बताते हैं कि पार्टी किन मुद्दों पर आगे बढ़ रही है. पार्टी घोषित कर चुकी है कि एमपी में बीजेपी पीएम नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है. तो बैनर पोस्टर में चेहरा भी मोदी का ही. लेकिन दिलचस्प ये है कि जीत की गारंटी के लिए पार्टी ने हिंदुत्व का अपना वो पुराना राग भी एमपी में छेड़ दिया है. 1992 में जिसके दम पर पार्टी ने पूरे देश में हवा बनाई थी. एमपी में महाकाल लोक के निर्माण के प्रचार तक को ठीक, लेकिन बीजेपी के बैनर-पोस्टर में अयोध्या के आते ही राम मंदिर की भी एमपी के चुनाव में एंट्री हो गई है.

Ayodhya and Ramlala Entry in MP
एमपी में जगह-जगह लगे रामलला के पोस्टर

राजधानी भोपाल समेत प्रदेश के कई हिस्सों में हिंदुत्व की हुंकार भरते पार्टी के पोस्टर लगा दिए गए हैं. राम मंदिर हो रहा तैयार एमपी में फिर बीजेपी सरकार का नारा बुलंद करते ये बैनर होर्डिंग बता रहे हैं कि पार्टी जीत के लिए हर दांव आजमा रही है. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर इस मुद्दे पर कहते हैं, "बीजेपी कोई भी चुनाव पूरी तैयारी से ही लड़ती है. राम मंदिर पार्टी का सनातन मुद्दा है और एक ऐसा मुद्दा जिसे पार्टी ने मुकाम तक पहुंचाया भी है. जाहिर है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक पार्टी जहां चाहेगी इसका क्रेडिट लेगी भी. कौन सा मुद्दा क्या असर दिखा जाए, इस अंदाज में बीजेपी चलती है और कोई चूक चुनाव में नहीं करना चाहती है.

शिवराज की सियासत और आम आदमी कनेक्ट: 2003 में उमा भारती जरुर राम मंदिर आंदोलन की नेता बतौर एमपी में पार्टी का चेहरा बनकर चुनाव मैदान में उतरी थीं, लेकिन मुद्दे जनता से जुड़े ही थे. वो चुनाव भी हिंदुत्व का चुनाव नहीं था. उमा भारती ने पूरे एमपी में यात्रा की थी कि और दिग्विजय सिंह सरकार की नाकामियों के घाव जनता के बीच ताजा कर दिए थे. नतीजा था कि दस साल की दिग्विजय सरकार जाती रही. लेकिन साध्वी होने के बावजूद उमा भारती के चुनाव का पूरा फोकस हिंदुत्व या राम मंदिर पर नहीं था. चुनाव प्रचार का एक हिस्सा भले ये हो. फिर शिवराज सिंह चौहान के तीन कार्यकाल मध्यप्रदेश में देखें तो उन्होंने धर्म की राजनीति से बिल्कुल अलग लकीर खींची.

Ayodhya and Ramlala Entry in MP
राजधानी में लगे बीजेपी के पोस्टर

यहां पढ़ें...

क्या हिंदुत्व का टेका ले रही बीजेपी: शिवराज सिंह चौहान की सियासत आम आदमी के सरोकार से शुरु होती रही है. चौथे कार्यकाल के कुछ फैसलों को नजर अंदाज कर दें तो बीते तीन कार्यकाल में शिवराज सर्वधर्म समभाव के शिवराज के तौर पर ही आगे बढ़े. इस बार भी चुनाव से ठीक पहले लाड़ली बहना योजना का दांव शिवराज की उसी सरोकार की सियासत का हिस्सा था. जिसमें कोई लकीर नही थी. तो 2003 में साध्वी उमा भारती को चुनाव मैदान में उतारने वाली बीजेपी 2023 में क्या इतना हांफ गई है कि उसे हिंदुत्व का टेका लेना पड़ रहा है.

भोपाल। 1992 में जिस राम मंदिर की लहर पर सवार होकर बीजेपी ने सत्ता की सीढ़ियां चढ़ी थी...क्या एमपी में 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी उसी हिंदुत्व और राम मंदिर की हुंकार के दम पर सत्ता में आने की कोशिश कर रही है. ये सवाल इसलिए उठा है कि एमपी में जीत के लिए सारे फार्मूले अपना रही पार्टी ने उज्जैन के महाकाल लोक से लेकर अयोध्या के राम मंदिर की भी इस चुनाव में एंट्री करवा दी है. बीजेपी के चुनावी कैम्पेन के बैनर होर्डिंग में सीएम शिवराज की जगह पीएम मोदी का चेहरा है. राम मंदिर बनकर तैयार हो रहा है, एमपी में फिर भाजपा सरकार का नारा है.आखिर क्या वजह है कि समाज से सीधे जुड़कर योजनाएं लाने वाली शिवराज सरकार और बीजेपी की हैट्रिक जीत दिलाने वाले एमपी में अब पार्टी को हिंदुत्व और राम मंदिर का मुद्दा उछालना पड़ा है.

एमपी के चुनाव में राम मंदिर की भी एंट्री: हाईटेक हो चुकी बीजेपी के नारे और बैनर पोस्टर बताते हैं कि पार्टी किन मुद्दों पर आगे बढ़ रही है. पार्टी घोषित कर चुकी है कि एमपी में बीजेपी पीएम नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है. तो बैनर पोस्टर में चेहरा भी मोदी का ही. लेकिन दिलचस्प ये है कि जीत की गारंटी के लिए पार्टी ने हिंदुत्व का अपना वो पुराना राग भी एमपी में छेड़ दिया है. 1992 में जिसके दम पर पार्टी ने पूरे देश में हवा बनाई थी. एमपी में महाकाल लोक के निर्माण के प्रचार तक को ठीक, लेकिन बीजेपी के बैनर-पोस्टर में अयोध्या के आते ही राम मंदिर की भी एमपी के चुनाव में एंट्री हो गई है.

Ayodhya and Ramlala Entry in MP
एमपी में जगह-जगह लगे रामलला के पोस्टर

राजधानी भोपाल समेत प्रदेश के कई हिस्सों में हिंदुत्व की हुंकार भरते पार्टी के पोस्टर लगा दिए गए हैं. राम मंदिर हो रहा तैयार एमपी में फिर बीजेपी सरकार का नारा बुलंद करते ये बैनर होर्डिंग बता रहे हैं कि पार्टी जीत के लिए हर दांव आजमा रही है. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर इस मुद्दे पर कहते हैं, "बीजेपी कोई भी चुनाव पूरी तैयारी से ही लड़ती है. राम मंदिर पार्टी का सनातन मुद्दा है और एक ऐसा मुद्दा जिसे पार्टी ने मुकाम तक पहुंचाया भी है. जाहिर है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक पार्टी जहां चाहेगी इसका क्रेडिट लेगी भी. कौन सा मुद्दा क्या असर दिखा जाए, इस अंदाज में बीजेपी चलती है और कोई चूक चुनाव में नहीं करना चाहती है.

शिवराज की सियासत और आम आदमी कनेक्ट: 2003 में उमा भारती जरुर राम मंदिर आंदोलन की नेता बतौर एमपी में पार्टी का चेहरा बनकर चुनाव मैदान में उतरी थीं, लेकिन मुद्दे जनता से जुड़े ही थे. वो चुनाव भी हिंदुत्व का चुनाव नहीं था. उमा भारती ने पूरे एमपी में यात्रा की थी कि और दिग्विजय सिंह सरकार की नाकामियों के घाव जनता के बीच ताजा कर दिए थे. नतीजा था कि दस साल की दिग्विजय सरकार जाती रही. लेकिन साध्वी होने के बावजूद उमा भारती के चुनाव का पूरा फोकस हिंदुत्व या राम मंदिर पर नहीं था. चुनाव प्रचार का एक हिस्सा भले ये हो. फिर शिवराज सिंह चौहान के तीन कार्यकाल मध्यप्रदेश में देखें तो उन्होंने धर्म की राजनीति से बिल्कुल अलग लकीर खींची.

Ayodhya and Ramlala Entry in MP
राजधानी में लगे बीजेपी के पोस्टर

यहां पढ़ें...

क्या हिंदुत्व का टेका ले रही बीजेपी: शिवराज सिंह चौहान की सियासत आम आदमी के सरोकार से शुरु होती रही है. चौथे कार्यकाल के कुछ फैसलों को नजर अंदाज कर दें तो बीते तीन कार्यकाल में शिवराज सर्वधर्म समभाव के शिवराज के तौर पर ही आगे बढ़े. इस बार भी चुनाव से ठीक पहले लाड़ली बहना योजना का दांव शिवराज की उसी सरोकार की सियासत का हिस्सा था. जिसमें कोई लकीर नही थी. तो 2003 में साध्वी उमा भारती को चुनाव मैदान में उतारने वाली बीजेपी 2023 में क्या इतना हांफ गई है कि उसे हिंदुत्व का टेका लेना पड़ रहा है.

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