भोपाल। प्रदेश का गरीब तबका लॉकडाउन की मार से अभी उभरा ही नहीं था, कि बिजली कंपनियों ने उन पर भारी बिलों का बोझ लाद दिया. जिन मजदूरों का दो कमरे का मकान है, ऐसे मजदूरों को भी बिजली कंपनियां हजारों के बिल थमा रहीं हैं. ऐसे में सरकार की संबल योजना इन गरीबों को संबल नहीं दे पा रही है. खास बात ये है कि जब गरीब मजदूर बिलों की शिकायत लेकर बिजली कंपनी के दफ्तर जाते हैं, तो उन्हें ये कहकर भगा दिया जाता है कि अभी बिल भर दीजिए, बाद में इसको एडजस्ट कर किया जाएगा.
बिजली कंपनियों का खेल
बिजली कंपनियों के जारी इन भारी भरकम बिलों का खेल समझिए. बता दें औसत बिल मार्च की रीडिंग पर आधारित था. लॉकडाउन की अवधि में बिन रीडिंग के उसी के हिसाब बिल दिए गए हैं. बाद में जब रीडिंग ली गई तो मीटर रीडिंग और एवरेज बिल दोनों को जोड़कर बिल दे दिया गया.
थमाए जा रहे दोगुने बिल
मीटर में 3 महीने की रीडिंग ली गई है. अगर उपभोक्ता ने 100 यूनिट प्रतिमाह बिजली की खपत की है. तो 3 महीने में 300 यूनिट बिजली खर्च हुई. बिल में 100 यूनिट का स्लैब 4 रूपए प्रति यूनिट है, लेकिन 3 महीने का बिल जोड़कर 300 यूनिट हो गया. अब असली गेम यहीं से शुरू हुआ है. कंपनी ने इस बिल को टोटल बिल मानते हुए इसे 300 यूनिट की सैलेब में डाल दिया है. जिससे अब उपभोक्ताओं को 6.50 रूपए प्रति यूनिट की दर से बिल थमाया जा रहा है.जिससे उनका बिजली अचानक बढ़ गया है.
उपभोक्ता परेशान
बिजली बिल उपभोक्ता ललिता बतातीं हैं कि पहले उनका 200 रूपए प्रति महीने का बिल आता था. लेकिन पिछले 4 महीने से उनका बिल साड़े तीन-चार हजार रूपए आ रहा है और अब ये 20 हजार तक पहुंच गया है, समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें.बिजली उपभोक्ता शेषराम मजदूरी करके पेट पालते हैं. उनका बिल 45 हजार रूपए आया है.
जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान
इन गरीबों की परेशानियों को धता बताते हुए बिजली कंपनियों के अधिकारी कह रहे हैं, अगर कोई दिक्कत है तो दिखवा लेंगे, उन्हें 200 रूपए और 20 हजार के बिल में अंतर समझ नहीं आ रहा है. कहते हैं कि इंदिरा ज्योति और संबल जैसी योजनाएं चल रहीं हैं.
पूर्व मंत्री ने शिवराज सरकार पर साधा निशाना
पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि इस तरह के बिल देकर गरीबों की जेबों पर डाका डाला जा रहा है. शिवराज सरकार अपनी घोषणाएं भूल गई है. उन्होंने मांग की है कि लॉकडाउन के दौरान इन लोगों के बिजली माफ किए जाएं.
कोरोना काल की वजह से मजदूरों को रोजगार नहीं मिल रहा है. अब तो भोपाल में 10 दिनों का लॉकडाउन भी लग गया है. लिहाजा मजदूर अपने-अपने घरों में हैं. लेकिन इन भारी-भरकम बिजली बिलों ने उनकी नींद उड़ा दी है.