भोपाल। कोविड-19 को देखते हुए पिछले तीन से चार महीने लॉकडाउन में सब कुछ ठप रहा. अब अनलॉक के बाद कई व्यापार-व्यवसाय के साथ-साथ सिटी ट्रांसपोर्ट भी धीरे-धारे पटरी पर आ रहा है, लेकिन प्रशासन ने अलग-अलग रूट पर महज तीन से चार बसों को ही चलने की अनुमति दी, जिस कारण शहर में ऑटो चालक चांदी काट रहे हैं और यात्रियों से मनमाना किराया वसूल रहे हैं.
मजबूरी का फायदा उठा रहे ऑटो चालक
अनलॉक 4.0 के बाद राजधानी भोपाल में सिटी ट्रांसपोर्ट शुरू तो किया गया है लेकिन एक रूट पर तीन या चार ही बसें चलाई जा रही हैं. वहीं कम संख्या के कारण इन बसों में काफी भीड़ भी हो रही है.
बसों में भीड़ के चलते कोरोना का खतरा बढ़ रहा है, जिस कारण संक्रमण के खतरे को देखते हुए लोग भी सिटी ट्रांसपोर्ट से किनारा कर खुद के वाहन से परिवहन करना पसंद कर रहे हैं. ऐसे में इन लोगों की काफी संख्या बढ़ जाती है, जिनके पास मात्र ऑटो का सहारा है, इनकी मजबूरी का फायदा उठाकर ऑटो वाले लूट मचा रहे हैं.
दोगुना हो गया किराया
अनलॉक के बाद से ही ऑटो चालक जमकर मनमानी कर रहे हैं और यात्रियों से दोगुना किराया वसूल रहे हैं. भोपाल के एक छात्र का कहना है कि पहले उसे कोचिंग या अन्य स्थान पर जाने के लिए 30 से 40 रुपये देने पड़ते थे, लेकिन अभी उसे 70 से 80 रुपये तक देने पड़ रहे हैं. छात्र का कहना है कि कोरोना काल से पहले वह सिटी बस से कॉलेज और कोचिंग जाता था. जिसमें महज 10 या 20 रुपये का ही खर्च आता था. लेकिन अब बसों की सेवा कम होने के कारण सप्ताह में करीब 500 रुपये खर्च हो जाते हैं.
पुलिस करेगी ऑटो चालकों की निगरानी
इधर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अनलॉक के बाद से ही ऑटो चालकों पर मनमाना किराया वसूलने की शिकायतें आ रही हैं. इससे पहले भी पुलिस निगरानी करती थी. लेकिन अब इन शिकायतों के बाद विशेष टीम गठित कर ऑटो चालकों की निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि ऑटो चलाने वाले कई चालक ऐसे भी हैं जिनका पूर्व में अपराधिक रिकॉर्ड रहा है. लिहाजा इस बिंदु पर भी पुलिस काम कर रही है और निगरानी कर रही है कि कहीं अपराधिक प्रवृत्ति के ऑटो चालक किसी वारदात को अंजाम ना दें सकें.
ऑटो चालक भी परेशान
राजधानी की सड़कों पर करीब 25000 ऑटो रिक्शा दौड़ते हैं. ऑटो चालकों की भी अपनी समस्याएं हैं उनका कहना है कि कोरोना के चलते करीब 4 महीने तो उनके ऑटो रिक्शा के पहिए थमे ही रहे और अब अनलॉक के बाद भी उन्हें सवारियां ना के बराबर ही मिलती हैं.
एमपी नगर ऑटो स्टैंड से ऑटो चलाने वाले ऑटो चालकों ने बताया कि वह सुबह 8 बजे से ऑटो लेकर स्टैंड पर खड़े रहते हैं. लेकिन ज्यादातर कोई भी सवारी नहीं मिलती है. ऐसे में उनकी आर्थिक स्थिति से बेहद खराब हो गई है.
लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण से पहले राजधानी भोपाल में जिस तरह से पब्लिक ट्रांसपोर्ट संचालित होता था. अब उसका एक चौथाई भी नहीं हो पा रहा है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट को अब दोबारा से पटरी पर आने में थोड़ा समय लगेगा या यह कहें कि कोरोना संक्रमण का खतरा पूरी तरह से खत्म होने के बाद ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट पहले की तरह संचालित हो सकेगा.
लेकिन इन सबके बीच परेशानियों का सामना केवल उन लोगों को करना पड़ रहा है जिनके पास खुद के वाहन नहीं है. और कोरोना काल में जिनके पास पब्लिक ट्रांसपोर्ट के अलावा कोई और विकल्प नहीं है.