भोपाल। राजधानी भोपाल में ऑटो रिक्शा चालकों की रोजी-रोटी पर संकट मंडरा रहा है. पिछले 45 दिनों से भी ज्यादा समय से राजधानी के हजारों ऑटो के पहिए थमे हुए हैं. जिसका कारण कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए किया गया लॉकडाउन है. जानकारी के मुताबिक, भोपाल में करीब 20 हजार ऑटो रिक्शा चालक हैं. जिनके पास अब आर्थिक तंगी मंडराने लगी है. इन सबसे बेबस होकर अब ऑटो चालकों और ऑटो यूनियन के सदस्यों ने मिलकर सरकार से मदद की गुहार लगाई है. ऑटो चालकों ने दिल्ली की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी ऑटो रिक्शा चालकों के खातों में सहायता राशि देने की मांग की है.
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पिछले 45 दिनों से भी ज्यादा समय से राजधानी के करीब 20 हजार ऑटो रिक्शा थमे हुए हैं. ऐसे में कई ऑटो चालक एक-एक दाने के लिए भी मोहताज हो गए हैं. वहीं कई चालक किराए पर ऑटो रिक्शा लेकर चलाते हैं और उसी से उनके घर का खर्च, बच्चों की पढ़ाई और खाने पीने की व्यवस्था होती है. लेकिन लॉकडाउन के चलते अब ऐसे ऑटो चालकों के रोजी-रोटी पर संकट आ गया है. इन्हीं सब स्थितियों को देखते हुए ऑटो यूनियन के सदस्यों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. उन्होंने दिल्ली की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी ऑटो चालकों के खातों में सहायता राशि देने की मांग सरकार से की है.
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राजधानी भोपाल में चलने वाले सभी सवारी ऑटो अमूमन रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और सार्वजनिक स्थानों पर खड़े मिलते हैं. लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण और लॉकडाउन के चलते न तो ट्रेनें चल रही हैं न ही बसें. ऐसे में इन ऑटो चालकों की कमाई का जरिया पूरी तरह से खत्म हो गया है. भोपाल ऑटो यूनियन के उपाध्यक्ष ने कहा कि दिल्ली सरकार ऑटो रिक्शा चालकों के खातों में पांच-पांच हजार रुपए सहायता राशि डाल रही है, लिहाजा मध्य प्रदेश सरकार को भी ऑटो रिक्शा चालकों की आर्थिक मदद करनी चाहिए.