भोपाल। रक्षाबंधन का पर्व हर साल सावन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है. यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित है. बहनें अपने भाई की कलाई में राखी बांधती हैं और उसके सुखी जीवन की कामना करती हैं. वहीं भाई बदले में बहन को उपहार भेंट करते हैं. सनातन धर्म में ये मान्यता है कि कोई भी शुभ कार्य शुभ समय अर्थात शुभ मुहूर्त किया जाता है. इसलिए राखी पर भी शुभ मुहूर्त का विचार किया जाता है. ईटीवी भारत के जरिए पंडित राजेश दुबे ने रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त बताया है.
पंडित राजेश दुबे का कहना है कि रक्षाबंधन के दिन सावन सोमवार का दिन है और उस दिन भद्रा भी है. प्रात काल भद्रा होने के कारण सूर्य उदय से कुछ समय पहले तक यानी एक पहर तक रक्षाबंधन नहीं मनेगा और उसके बाद 7:30 से 9:00 के बीच शुभ का चौघड़िया रहेगा, उसमें रक्षाबंधन मना सकते हैं.
10:30 बजे से लेकर रात्रि 7:30 बजे तक लगातार शुभ योग है और उस शुभ योग में यदि आप रक्षाबंधन मना रहे हैं तो बड़ा ही शुभ फल देने वाला है. विशेष तौर पर अभिजीत मुहूर्त और प्रदोष काल में रक्षाबंधन मनाया जाए भाई बहनों में प्रगाढ़ प्रेम बढ़ेगा और ये मुहूर्त सुख शांति देने वाला रहेगा. इसलिए 10:30 बजे से लेकर 12:30 बजे दिन में यदि देखा जाए तो महूर्त सबसे अधिक विशेष है.
इसी प्रकार शाम का 4:30 से लेकर साढे 7 के बीच में जो समय है, कहा जा सकता है कि प्रदोष दोष काल है और उसके साथी गोधूलि काल है, इसमें रक्षाबंधन बांधने से अमृत फल प्राप्त होते हैं.