भोपाल। एंटीबायोटिक के दुरुपयोग को रोकने के लिए साल 2018 में मध्य प्रदेश सरकार ने एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस कार्यक्रम की शुरुआत की थी. जिसके तहत साल 2019 में राज्य एक्शन प्लान भी लाया गया. जिसको अब 1 साल पूरे हो गए हैं. एक्शन प्लान के तहत अब तक स्वास्थ्य विभाग और पशुपालन विभाग की ओर से गतिविधियां तैयार की गई हैं. ताकि लोगों में एंटीबायोटिक के उपयोग और दुरुपयोग को लेकर जागरूकता पैदा हो सके. अब इसके तहत 1 सप्ताह तक विश्व एंटीबायोटिक अगले सप्ताह मध्य प्रदेश में चलाया जाएगा. जागरुकता सप्ताह की शुरुआत सोमवार से की गई है.
जागरूकता कार्यक्रम की जरूरत
यह सप्ताह क्यों मनाया जाएगा, इस बारे में स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर डॉ सतीश कुमार ने बताया कि, हमारी योजना है कि, इस एक्शन प्लान के तहत लोगों को जोड़ा जाए. एंटीबायोटिक दवा न केवल इंसान खाने में लेते हैं, बल्कि पोल्ट्री फॉर्म में, एनिमल हसबेंडरी में, खेती के सामानों में भी एंटीबायोटिक का इस्तेमाल किया जाता है. जिसके चलते वो अप्रत्यक्ष तरीके से इंसान के शरीर में पहुंच जाती है. यदि ज्यादा मात्रा में एंटीबायोटिक एक व्यक्ति के शरीर में होती है, तो उस दवाई के प्रति शरीर में एंटी रेजिस्टेंस हो जाता है. जिसके कारण एंटीबायोटिक का असर व्यक्ति को नहीं होता. इसलिए यह जरूरी है कि, प्रत्यक्ष तौर पर व्यक्ति ज्यादा जरूरत ना होने पर एंटीबायोटिक का इस्तेमाल ना करें. लोगों में अभी भी इसके प्रति जागरूकता की कमी है.
एंटीबायोटिक दवाएं नुकसानदेह
अक्सर यह देखा जाता है कि, हल्की सी सर्दी जुखाम या बुखार होने पर लोग मेडिकल स्टोर में जाकर एंटीबायोटिक दवाइयां ले लेते हैं, जो कि गलत है. यह उनके शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए इस सप्ताह को मनाया जा रहा है. ताकि कई गतिविधियों के जरिए लोगों में एंटीबायोटिक के उपयोग और दुरुपयोग के प्रति जागरूकता लाई जा सके.
केरल के बाद मध्यप्रदेश है दूसरा राज्य
बता दें कि, भारत में केरल के बाद मध्य प्रदेश एक ऐसा राज्य है, जहां एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस को लेकर एक्शन प्लान तैयार किया गया है. पिछले कई सालों में, ये बात सामने आई है कि, लोग अपनी छोटी-मोटी बीमारियों के लिए एंटीबायोटिक लेते हैं, जो कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए भी नुकसानदेह साबित हो सकती है, जिसे लेकर ही ये एक्शन प्लान प्रदेश में लाया गया था.