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एकल चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन, गर्म प्रेस की मदद से बनाई गई 41 पेंटिंग्स

राजघानी भोपाल में एकल चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसमें कुल 41 पेंटिंग्स का प्रदर्शन किया गया. खात बात ये है कि सारी पेंटिंग्स गर्म प्रेस की मदद से बनाई गई.

aekal Chitrakava exhibition
एकल चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन
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Published : Dec 19, 2019, 1:20 PM IST

Updated : Dec 19, 2019, 4:22 PM IST

भोपाल। रविंद्र भवन में एकल चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. इस दौरान चित्रकार प्रियेश दत्त मालवीय ने इलेक्ट्रॉनिक प्रेस से चित्रकारी की, जिसने दर्शकों का मन मोह लिया. इस प्रदर्शनी में 41 चित्र प्रदर्शित किए गए थे, जिसे बनाने में प्रियेश को करीब ढाई साल लगे.

एकल चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन

इन चित्रों का विषय 'मछलियों के अनुशासन और उनकी आजादी' पर आधारित है. प्रियेश ने बताया कि कैनवास पर ब्रश की मदद से चित्र बनाया जाता है. इन सारे चित्रों के अंदर मछलियों के जल में अनुशासित होकर तैरने की कवायद दिखाई गई है. मछलियां किस तरह से कतारों में होकर तैरती हैं और रुकावट आने पर इधर-उधर हो जाती हैं, इन पेंटिंग्स के जरिए इसका बखूबी प्रदर्शन किया गया है.

भोपाल। रविंद्र भवन में एकल चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. इस दौरान चित्रकार प्रियेश दत्त मालवीय ने इलेक्ट्रॉनिक प्रेस से चित्रकारी की, जिसने दर्शकों का मन मोह लिया. इस प्रदर्शनी में 41 चित्र प्रदर्शित किए गए थे, जिसे बनाने में प्रियेश को करीब ढाई साल लगे.

एकल चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन

इन चित्रों का विषय 'मछलियों के अनुशासन और उनकी आजादी' पर आधारित है. प्रियेश ने बताया कि कैनवास पर ब्रश की मदद से चित्र बनाया जाता है. इन सारे चित्रों के अंदर मछलियों के जल में अनुशासित होकर तैरने की कवायद दिखाई गई है. मछलियां किस तरह से कतारों में होकर तैरती हैं और रुकावट आने पर इधर-उधर हो जाती हैं, इन पेंटिंग्स के जरिए इसका बखूबी प्रदर्शन किया गया है.

Intro:स्वराज भवन भोपाल की कला वीथिका में एकल चित्रकला प्रदर्शनी का आगाज किया गया इस दौरान चित्रकार प्रियेश दत्त मालवीय ने अपनी चित्रकारी में अपनी अभिव्यक्ति को उकेरा और गर्म प्रेस से चित्रकारी की नई इबारत लिखी कला इतिहास में इस प्रयोग का तौर तरीका कलाकार प्रिय द्वारा अविशकृत है


Body:इस प्रदर्शनी में 41 चित्र प्रदर्शित किया जाए जिन्हें बनाने में चित्रकार प्रियेश को लगभग ढाई साल लग गए इन चित्रों का विषय था मछलियों के अनुशासित और उनकी आजादी और खास बात यह है कि यह सभी चित्र इलेक्ट्रॉनिक प्रेस के इस्तेमाल से बनाई गई प्रियेश ने बताया कि कैनवास पर हम रंग ब्रश की मदद लेते हैं तब चित्रकारी कर पाते हैं जबकि कैनवास भी तो आखिर प्रकृति का ही तो भाग है उसमें भी तो रंग मौजूद होगा जो मूर्त रूप में क्यों नहीं उस छुपे रंग को मूर्त रूप प्रदान किया जाए उसे उभार कर के निवास पर प्रकट किया जाए इसी उधेड़बुन में मैंने इलेक्ट्रॉनिक प्रेस का सहारा लिया थोड़ा गर्म कर डरते डरते कैनवास पर स्पर्श कराया मैं देखता हूं कि कैनवास का सफेद रंग पीले क्रीम के में तब्दील होने लगा हिम्मत बढ़ती गई मैं प्रेस गर्म और गर्म करता गया कैनवास भी बाकायदा येलो आकार के बाद ब्राउन के विभिन्न टोन प्रदान करने लगा डार्क ब्राउन के बाद काले रंग की बारी थी इसका अंत मुझे मालूम था इसलिए प्रेस को तुरंत के कैनवास से दूर कर लिया इस प्रकार में अद्भुत संसार में प्रवेश कर गया घर के सदस्य व पड़ोसी कपड़े के जलने से उत्पन्न बदबू से परेशान दिखे मगर मुझे इसमें महक महसूस हो रही थी मेहनत के पसीने में बदबू नहीं होती इस प्रकार मैंने रंग ब्रश अपने स्टूडियो में अलग रख दिया और गर्म से चित्रकारी शुरू कर दी


Conclusion:इन सारे चित्रों के अंदर मछलियों के जल में अनुशासित होकर तैरने की कवायद दिखाई गई है मछलियां अनुशासित होकर कतारों में तैरती रहती हैं बस एक पत्थर डालने की देर है कि विचलित होकर इधर-उधर भागने लगती हैं क्योंकि अब बात आ गई है सुरक्षा की जीवन बचाने कि जल व थल के संसार में बस यही अंतर है यहां पत्थर एक प्रतीक है रुकावट का
Last Updated : Dec 19, 2019, 4:22 PM IST
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