भोपाल। राजधानी के शाहपुरा स्थित आरसीवीपी नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी में अखिल भारतीय दर्शन परिषद के 64वें अधिवेशन का आयोजन किया गया. तीन दिनों तक चलने वाले इस अधिवेशन का शुभारंभ राज्यपाल के द्वारा किया गया. राज्यपाल ने अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में परिषद के 64वें अधिवेशन की स्मारिका का विमोचन किया और विद्वानों को पुरस्कारों से सम्मानित किया. इस मौके पर प्रमुख सचिव, वाणिज्यिक कर मनु श्रीवास्तव, दर्शानुरागी और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे.
अधिवेशन को संबोधित करते हुए राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा कि हमारी ज्ञान पंरपरा में हर समस्या का समाधान है. भारतीय चिंतन में सम्पूर्ण सृष्टि का सत्य समाया है. वहीं प्रोफेसर संगीत कुमार रागी ने कहा कि पाश्चात्य ज्ञान ने भौतिकता के क्षेत्र में और भारतीय ज्ञान ने अध्यात्म के क्षेत्र में उपलब्धियां अर्जित की हैं. उन्होंने कहा कि दर्शन, अनुभव से सीखने की पद्धति का आध्यात्मिक विज्ञान है. इसे आज के विज्ञान से जोड़ने की जरूरत है.
इंडियन कॉउंसिल ऑफ फिलासिफिकल रिसर्च के चेयरमैंन प्रो. रमेश चन्द्र सिन्हा ने कहा कि समाज को दिशा देने में दार्शनिकों की भूमिका व्यापक है. आधुनिक परिवेश की व्यवस्था में दर्शन शास्त्र को जीव जगत के चिंतन तक सीमित नहीं रखा जा सकता. अधिवेशन का बीज वक्तव्य देते हुए प्रो. अभिमन्यु सिंह ने दर्शन की अंर्तदृष्टि, स्वरूप, वैविध्यता और आवश्यकता बताई.