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सरेंडर रेत टेंडर! खनिज विभाग का उल्टा पड़ा दांव, अब नया प्लान करेगा मालामाल

भिंड में चार महीने पहले रेत ठेका कंपनी ने टेंडर (Sand Mining Tender Surrender) सरेंडर कर दिया था क्योंकि उसे बहुत घाटा हो रहा था, जिसके बाद से रेत माफिया खुलेआम अवैध खनन और परिवहन करने में लगे हैं. जिसका सीधा नुकसान सरकार को राजस्व के रूप में हो रहा है, इससे निपटने के लिए सरकार नई पॉलिसी बना रही है, जानिए क्या है नया प्लान.

Contractors Surrender Sand Mining Tender
खनन की नई नीति करेगी मालामाल
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Published : Nov 20, 2021, 1:24 PM IST

Updated : Dec 2, 2021, 2:14 PM IST

भिंड। भले ही शिवराज सरकार खनिज विभाग के जरिए अपना खजाना भरने की कोशिश कर रही है, उसके लिए जरूरी बदलाव भी कर दी है. पर यही दांव अब उल्टा पड़ने लगा है. इसी बदलाव के बाद रेत खदानों का टेंडर लेने वाले ठेकेदार टेंडर को सरेंडर (Contractors Surrender Sand Mining Tender) करने को मजबूर हो रहे हैं या तो टेंडर में हिस्सा ही नहीं ले रहे हैं. जिसके चलते एक एक कर प्रदेश के 4 जिलों में रेत खनन कर रही कंपनियों ने ठेका सरेंडर कर दिया है, जिनमें भिंड जिला भी शामिल है. वहीं 8 जिलों में कोरोना की वजह से खदानें शुरू नहीं होने से ठेके निरस्त हो गए हैं.

शिव'राज' का पलटू अफसर! पहले माना अवैध खनन हो रहा है, 10 मिनट में दी क्लीन चिट, बोला- All Is Well

खनन-रॉयल्टी के आधार पर रेत की बिक्री

ठेके निरस्त होने, टेंडर सरेंडर (Sand Mining Tender) और टेंडर से दूर भागते ठेकेदारों की वजह से वर्तमान में इन सभी जिलों में खनन पूरी तरह प्रतिबंधित हो चुका है, जिसकी वजह से सरकार को रोजाना सीधा नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस समस्या से निजात पाने के लिए सरकार ने दोबारा टेंडर (New Sand Mining Plan) निकाल कर ठेकेदारों के हाथों नदियों से रेत खनन और रॉयल्टी के आधार पर रेत की बिक्री का निर्णय लिया है. सरकारी प्रक्रिया में देरी होने से रेत खनन करी-करीब बंद ही है, इसके बावजूद माफिया बेधड़क होकर खनन कर सरकार को चूना लगा रहे हैं.

एमपी में अवैध खनन से अरबों का नुकसान, बंदूकों के दम पर माफिया मालामाल!

किस तरह की होगी नयी व्यवस्था

पूर्व में कांग्रेस सरकार ने खनन नीति में बदलाव कर पंचायतों से खनन का अधिकार वापस ले लिया था और जिलेवार कंपनियों को टेंडर निकालकर रेत खनन का ठेका दिया था, यह प्रक्रिया सीधा राज्य सरकार द्वारा आयोजित की गयी थी. अब नुकसान रोकने के लिए सरकार कलेक्टर्स को खदानों के आवंटन की जिम्मेदारी सौंपी है. भिंड कलेक्टर ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि इस बार जिले में खदानों के आवंटन के लिए दो समूह बनाए गए हैं, जिनका टेंडर 22 नवंबर को प्रकाशित किया जाएगा, इसके बाद तय प्रक्रिया के अनुसार ऑनलाइन mptenders के माध्यम से ही 25 नवंबर से ठेकेदार अपनी बिड्स भरना शुरू कर सकेंगे, इस बार ऑफलाइन टेंडर जमा नहीं होंगे. आखिरी तारीख 17 दिसंबर तय की गयी है, इसके बाद पहले तकनीकी बिड होगी, उसके बाद वित्तीय बिड खोली जाएगी. जिसके बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा, ऐसा माना जा सकता है कि दिसंबर 2022 के आखिरी हफ्ते में इसका डिसीजन हो जाएगा.

खनन नीति पर कलेक्टर का बयान

दो समूह में होगा खदानों का आवंटन

पिछली बार पूरे जिले का टेंडर पॉवरमेक कम्पनी (Powermake Surrender Sand Mining Tender)) को मिला था, जिसने सरेंडर कर दिया, अब इस बार दो समूह में बांटकर भिंड में रेत खदानों का आवंटन किया जाएगा, पहला समूह भिंड और रौन जनपद क्षेत्र की 38 खदानों को माना गया है और दूसरा समूह मेहगांव, मिहोना और लहार जनपद क्षेत्र जिसकी 37 खदानें हैं. कलेक्टर सतीश कुमार एस के मुताबिक दोनों समूहों के लिए शासन द्वारा निर्धारित दर 250 रुपये घनमीटर है, ऐसे में पहले भिंड और रौन जनपद के समूहों के लिए टोटल ऑफसेट प्राइस 39 करोड़ 20 लाख, 75 हजार रुपए रखा गया है, जबकि दूसरे समूह की ऑफसाइट प्राइस 35 करोड़ 89 लाख 25 हजार रुपये रखी गयी है.

ज्यादातर जिलों में रद्द-सरेंडर हुए ठेके

भिंड में पिछली बार पूरे जिले का टेंडर पॉवरमेक कम्पनी (Powermake Surrender Sand Mining Tender)) को मिला था, लेकिन टेंडर मिलने के बाद भी पन्ना, शाजापुर और रतलाम के ठेकेदारों की तरह कम आमदनी के अनुमान से अपनी रेत खदानें समर्पित कर दी. इसके अलावा भिंड में स्थानीय दबंग और रेत माफिया भी बड़ी वजह हैं क्योंकि भिंड के ज्यादातर बीहड़ क्षेत्रों से गुजरी सिंध नदी (Sand Mining in Sindh River) से माफिया बेधड़क पंडुब्बियों के सहारे अवैध उत्खनन करते हैं और उस रेत को उत्तर प्रदेश में सस्ते दामों में बेच देते हैं, जिसकी वजह से सरकार और ठेका कंपनी दोनों को नुकसान उठाना पड़ता है.

बिड में शामिल कंपनियों का नहीं अनुमान

पिछली बार ठेका लेने वाली पॉवरमेक कंपनी ने आमदनी नहीं होना बताया था, चूंकि पूरा जिला अकेली एक कंपनी के जिम्मे था, इसलिए ऑफसाइट प्राइस भी लगभग 90 करोड़ बतायी जाती है, जोकि ज्यादा थी, लेकिन दो समूह में बांटने के बाद अब एक बार फिर टेंडर प्रक्रिया शुरू होने जा रही है, ऐसे में अभी कितनी कम्पनियां बिड के लिए आएंगी यह तो कलेक्टर भी नहीं बता पा रहे हैं. सूत्रों के अनुसार दोनों में से एक समूह के लिए पॉवरमेक दोबारा टेंडर भर सकती है, इसके अलावा पूर्व में भी खनन का काम कर चुकी शिवा कॉर्पोरेशन का नाम भी रेस में है, इसके अलावा एक-दो अन्य फर्म, जिनमें एक ग्वालियर और स्थानीय रेत ठेकेदार भी बिड में भाग ले सकते हैं.

खनन बंद तो कहां से आ रही रेत

अब एक सवाल ये भी उठ रहा है कि जब रेत के ठेके निरस्त और सरेंडर होने से उत्खनन पूरी तरह बंद है, जबकि बारिश के मौसम में जून से अक्टूबर तक एनजीटी की रोक रहती है, इस दौरान भी नदियों से खनन पूर्ण प्रतिबंधित होता है, लेकिन जिस प्रकार पूरे प्रदेश में निर्माण कार्य चल रहा है, जिनमें रेत का इस्तेमाल होता है, तो आखिर रेत की आपूर्ति कैसे हो रही है. यही सवाल पूछने पर कलेक्टर ने बताया कि ठेकेदारों द्वारा पूर्व में नियमानुसार और अनुमति लेकर रेत स्टॉक किया गया था, इसी बचे रेत को रॉयल्टी पर बेचा जा रहा है. इसके अलावा दतिया सहित कुछ और जिलों में भी ठेकेदार काम कर रहे हैं, जो इसकी आपूर्ति कर रहे हैं.

सिंध का सीना छलनी कर रहे माफिया

हालांकि इस बात से पूरी तरह सहमत नहीं हुआ जा सकता है क्योंकि जब कोई देखने वाला न हो तो माफिया रेत का अवैध उत्खनन न करें, ऐसा हो नहीं सकता. जिले में अवैध खनन जारी है, जिसका सबूत हाल ही में प्रशासन और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई के दौरान जलायी गयी चार पनडुब्बी मशीनें दे रही हैं. ये हालत तब हैं, जब जिम्मेदार इन तक पहुंचने में कामयाब हुए हैं, सिंध नदी के अंदरूनी इलाकों में आज भी खनन माफिया बेलगाम सिंध का सीना छलनी (Illegal Sand Mining in Sindh River) कर रहे हैं और सरकार अब भी सिर्फ टेंडर व्यवस्था में लगी है और राजस्व घाटा झेल रही है.

भिंड। भले ही शिवराज सरकार खनिज विभाग के जरिए अपना खजाना भरने की कोशिश कर रही है, उसके लिए जरूरी बदलाव भी कर दी है. पर यही दांव अब उल्टा पड़ने लगा है. इसी बदलाव के बाद रेत खदानों का टेंडर लेने वाले ठेकेदार टेंडर को सरेंडर (Contractors Surrender Sand Mining Tender) करने को मजबूर हो रहे हैं या तो टेंडर में हिस्सा ही नहीं ले रहे हैं. जिसके चलते एक एक कर प्रदेश के 4 जिलों में रेत खनन कर रही कंपनियों ने ठेका सरेंडर कर दिया है, जिनमें भिंड जिला भी शामिल है. वहीं 8 जिलों में कोरोना की वजह से खदानें शुरू नहीं होने से ठेके निरस्त हो गए हैं.

शिव'राज' का पलटू अफसर! पहले माना अवैध खनन हो रहा है, 10 मिनट में दी क्लीन चिट, बोला- All Is Well

खनन-रॉयल्टी के आधार पर रेत की बिक्री

ठेके निरस्त होने, टेंडर सरेंडर (Sand Mining Tender) और टेंडर से दूर भागते ठेकेदारों की वजह से वर्तमान में इन सभी जिलों में खनन पूरी तरह प्रतिबंधित हो चुका है, जिसकी वजह से सरकार को रोजाना सीधा नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस समस्या से निजात पाने के लिए सरकार ने दोबारा टेंडर (New Sand Mining Plan) निकाल कर ठेकेदारों के हाथों नदियों से रेत खनन और रॉयल्टी के आधार पर रेत की बिक्री का निर्णय लिया है. सरकारी प्रक्रिया में देरी होने से रेत खनन करी-करीब बंद ही है, इसके बावजूद माफिया बेधड़क होकर खनन कर सरकार को चूना लगा रहे हैं.

एमपी में अवैध खनन से अरबों का नुकसान, बंदूकों के दम पर माफिया मालामाल!

किस तरह की होगी नयी व्यवस्था

पूर्व में कांग्रेस सरकार ने खनन नीति में बदलाव कर पंचायतों से खनन का अधिकार वापस ले लिया था और जिलेवार कंपनियों को टेंडर निकालकर रेत खनन का ठेका दिया था, यह प्रक्रिया सीधा राज्य सरकार द्वारा आयोजित की गयी थी. अब नुकसान रोकने के लिए सरकार कलेक्टर्स को खदानों के आवंटन की जिम्मेदारी सौंपी है. भिंड कलेक्टर ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि इस बार जिले में खदानों के आवंटन के लिए दो समूह बनाए गए हैं, जिनका टेंडर 22 नवंबर को प्रकाशित किया जाएगा, इसके बाद तय प्रक्रिया के अनुसार ऑनलाइन mptenders के माध्यम से ही 25 नवंबर से ठेकेदार अपनी बिड्स भरना शुरू कर सकेंगे, इस बार ऑफलाइन टेंडर जमा नहीं होंगे. आखिरी तारीख 17 दिसंबर तय की गयी है, इसके बाद पहले तकनीकी बिड होगी, उसके बाद वित्तीय बिड खोली जाएगी. जिसके बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा, ऐसा माना जा सकता है कि दिसंबर 2022 के आखिरी हफ्ते में इसका डिसीजन हो जाएगा.

खनन नीति पर कलेक्टर का बयान

दो समूह में होगा खदानों का आवंटन

पिछली बार पूरे जिले का टेंडर पॉवरमेक कम्पनी (Powermake Surrender Sand Mining Tender)) को मिला था, जिसने सरेंडर कर दिया, अब इस बार दो समूह में बांटकर भिंड में रेत खदानों का आवंटन किया जाएगा, पहला समूह भिंड और रौन जनपद क्षेत्र की 38 खदानों को माना गया है और दूसरा समूह मेहगांव, मिहोना और लहार जनपद क्षेत्र जिसकी 37 खदानें हैं. कलेक्टर सतीश कुमार एस के मुताबिक दोनों समूहों के लिए शासन द्वारा निर्धारित दर 250 रुपये घनमीटर है, ऐसे में पहले भिंड और रौन जनपद के समूहों के लिए टोटल ऑफसेट प्राइस 39 करोड़ 20 लाख, 75 हजार रुपए रखा गया है, जबकि दूसरे समूह की ऑफसाइट प्राइस 35 करोड़ 89 लाख 25 हजार रुपये रखी गयी है.

ज्यादातर जिलों में रद्द-सरेंडर हुए ठेके

भिंड में पिछली बार पूरे जिले का टेंडर पॉवरमेक कम्पनी (Powermake Surrender Sand Mining Tender)) को मिला था, लेकिन टेंडर मिलने के बाद भी पन्ना, शाजापुर और रतलाम के ठेकेदारों की तरह कम आमदनी के अनुमान से अपनी रेत खदानें समर्पित कर दी. इसके अलावा भिंड में स्थानीय दबंग और रेत माफिया भी बड़ी वजह हैं क्योंकि भिंड के ज्यादातर बीहड़ क्षेत्रों से गुजरी सिंध नदी (Sand Mining in Sindh River) से माफिया बेधड़क पंडुब्बियों के सहारे अवैध उत्खनन करते हैं और उस रेत को उत्तर प्रदेश में सस्ते दामों में बेच देते हैं, जिसकी वजह से सरकार और ठेका कंपनी दोनों को नुकसान उठाना पड़ता है.

बिड में शामिल कंपनियों का नहीं अनुमान

पिछली बार ठेका लेने वाली पॉवरमेक कंपनी ने आमदनी नहीं होना बताया था, चूंकि पूरा जिला अकेली एक कंपनी के जिम्मे था, इसलिए ऑफसाइट प्राइस भी लगभग 90 करोड़ बतायी जाती है, जोकि ज्यादा थी, लेकिन दो समूह में बांटने के बाद अब एक बार फिर टेंडर प्रक्रिया शुरू होने जा रही है, ऐसे में अभी कितनी कम्पनियां बिड के लिए आएंगी यह तो कलेक्टर भी नहीं बता पा रहे हैं. सूत्रों के अनुसार दोनों में से एक समूह के लिए पॉवरमेक दोबारा टेंडर भर सकती है, इसके अलावा पूर्व में भी खनन का काम कर चुकी शिवा कॉर्पोरेशन का नाम भी रेस में है, इसके अलावा एक-दो अन्य फर्म, जिनमें एक ग्वालियर और स्थानीय रेत ठेकेदार भी बिड में भाग ले सकते हैं.

खनन बंद तो कहां से आ रही रेत

अब एक सवाल ये भी उठ रहा है कि जब रेत के ठेके निरस्त और सरेंडर होने से उत्खनन पूरी तरह बंद है, जबकि बारिश के मौसम में जून से अक्टूबर तक एनजीटी की रोक रहती है, इस दौरान भी नदियों से खनन पूर्ण प्रतिबंधित होता है, लेकिन जिस प्रकार पूरे प्रदेश में निर्माण कार्य चल रहा है, जिनमें रेत का इस्तेमाल होता है, तो आखिर रेत की आपूर्ति कैसे हो रही है. यही सवाल पूछने पर कलेक्टर ने बताया कि ठेकेदारों द्वारा पूर्व में नियमानुसार और अनुमति लेकर रेत स्टॉक किया गया था, इसी बचे रेत को रॉयल्टी पर बेचा जा रहा है. इसके अलावा दतिया सहित कुछ और जिलों में भी ठेकेदार काम कर रहे हैं, जो इसकी आपूर्ति कर रहे हैं.

सिंध का सीना छलनी कर रहे माफिया

हालांकि इस बात से पूरी तरह सहमत नहीं हुआ जा सकता है क्योंकि जब कोई देखने वाला न हो तो माफिया रेत का अवैध उत्खनन न करें, ऐसा हो नहीं सकता. जिले में अवैध खनन जारी है, जिसका सबूत हाल ही में प्रशासन और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई के दौरान जलायी गयी चार पनडुब्बी मशीनें दे रही हैं. ये हालत तब हैं, जब जिम्मेदार इन तक पहुंचने में कामयाब हुए हैं, सिंध नदी के अंदरूनी इलाकों में आज भी खनन माफिया बेलगाम सिंध का सीना छलनी (Illegal Sand Mining in Sindh River) कर रहे हैं और सरकार अब भी सिर्फ टेंडर व्यवस्था में लगी है और राजस्व घाटा झेल रही है.

Last Updated : Dec 2, 2021, 2:14 PM IST
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