भिंड। प्रदेश का नंबर वन बना भिंड जिला अस्पताल इन दिनों स्टाफ और डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहा है. अस्पताल में स्टाफ और संसाधनों की कमी के कारण मरीजों को क्वॉलिटी ट्रीटमेंट भी नहीं मिल पा रहा है.
- अस्पताल में डॉक्टर्स के अधिकतर पद खाली
- 300 बेड वाले अस्पताल में करीब 38 विशेषज्ञों के पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 30 खाली पड़े हैं.
- नर्सिंग स्टाफ में कुल 168 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 60 रिक्त हैं.
- वहीं कई डॉक्टर्स और स्टाफ छुट्टी पर चल रहे हैं या उन्हें जिले के अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में अटैच कर दिया गया है.
- अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट के 2 पद हैं, लेकिन एक पद पिछले 10 साल से भी ज्यादा समय से खाली पड़ा है.
- रेडियोग्राफर के लिए भी 10 से ज्यादा पद स्वीकृत हैं, पर सालों से सिर्फ दो रेडियोग्राफर के जिम्मे सारा काम चल रहा है.
- मरीजों के हर वार्ड में जहां करीब 8 नर्सों की जरूरत है, वहां दो से 3 नर्सों से काम चल रहा है.
- सुरक्षाकर्मियों की कमी के चलते अस्पताल में असामाजिक तत्वों द्वारा कई घटनाएं सामने आई हैं.
- अस्पताल में करीब 14 सिक्योरिटी गार्ड हैं, लेकिन 300 बेड के अस्पताल और एक बड़े परिसर के हिसाब से यह संख्या काफी कम है.
- अस्पताल प्रबंधन की ओर से भी शासन से 28 सिक्योरिटी गार्ड के पद स्वीकृत करने की मांग की गई है.
- अस्पताल में एमआरआई और सीटी स्कैन जैसी जांच की सुविधा नहीं है.
- सोनोग्राफी और एक्स-रे मशीनें भी खस्ताहाल हैं.
- भिंड-दतिया सांसद संध्या राय ने भी हॉस्पिटल की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सरकार का ध्यान आकर्षित कराया था.
अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि स्टाफ और संसाधनों के अभाव में रोगियों के इलाज में दिक्कतें आ रही हैं. कई बार इन समस्याओं को लेकर राज्य शासन को अवगत भी कराया है, बावजूद इसके अब तक कुछ नहीं हुआ. भिंड में एक जिला अस्पताल, 7 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 20 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 186 उप स्वास्थ्य केंद्र संचालित हो रहे हैं, लेकिन हर जगह डॉक्टर और संसाधनों की कमी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.