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जब खुद ही वेंटिलेटर पर जिला अस्पताल, तो भला मरीजों का कैसे हो इलाज

जिला अस्पताल में स्टाफ और डॉक्टर्स की कमी के चलते मरीजों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

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Published : Jul 11, 2019, 11:43 AM IST

भिंड। प्रदेश का नंबर वन बना भिंड जिला अस्पताल इन दिनों स्टाफ और डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहा है. अस्पताल में स्टाफ और संसाधनों की कमी के कारण मरीजों को क्वॉलिटी ट्रीटमेंट भी नहीं मिल पा रहा है.

हॉस्पिटल में स्टाफ और डॉक्टर्स की कमी के चलते मरीज परेशान
  • अस्पताल में डॉक्टर्स के अधिकतर पद खाली
  • 300 बेड वाले अस्पताल में करीब 38 विशेषज्ञों के पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 30 खाली पड़े हैं.
  • नर्सिंग स्टाफ में कुल 168 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 60 रिक्त हैं.
  • वहीं कई डॉक्टर्स और स्टाफ छुट्टी पर चल रहे हैं या उन्हें जिले के अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में अटैच कर दिया गया है.
  • अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट के 2 पद हैं, लेकिन एक पद पिछले 10 साल से भी ज्यादा समय से खाली पड़ा है.
  • रेडियोग्राफर के लिए भी 10 से ज्यादा पद स्वीकृत हैं, पर सालों से सिर्फ दो रेडियोग्राफर के जिम्मे सारा काम चल रहा है.
  • मरीजों के हर वार्ड में जहां करीब 8 नर्सों की जरूरत है, वहां दो से 3 नर्सों से काम चल रहा है.
  • सुरक्षाकर्मियों की कमी के चलते अस्पताल में असामाजिक तत्वों द्वारा कई घटनाएं सामने आई हैं.
  • अस्पताल में करीब 14 सिक्योरिटी गार्ड हैं, लेकिन 300 बेड के अस्पताल और एक बड़े परिसर के हिसाब से यह संख्या काफी कम है.
  • अस्पताल प्रबंधन की ओर से भी शासन से 28 सिक्योरिटी गार्ड के पद स्वीकृत करने की मांग की गई है.
  • अस्पताल में एमआरआई और सीटी स्कैन जैसी जांच की सुविधा नहीं है.
  • सोनोग्राफी और एक्स-रे मशीनें भी खस्ताहाल हैं.
  • भिंड-दतिया सांसद संध्या राय ने भी हॉस्पिटल की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सरकार का ध्यान आकर्षित कराया था.

अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि स्टाफ और संसाधनों के अभाव में रोगियों के इलाज में दिक्कतें आ रही हैं. कई बार इन समस्याओं को लेकर राज्य शासन को अवगत भी कराया है, बावजूद इसके अब तक कुछ नहीं हुआ. भिंड में एक जिला अस्पताल, 7 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 20 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 186 उप स्वास्थ्य केंद्र संचालित हो रहे हैं, लेकिन हर जगह डॉक्टर और संसाधनों की कमी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.

भिंड। प्रदेश का नंबर वन बना भिंड जिला अस्पताल इन दिनों स्टाफ और डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहा है. अस्पताल में स्टाफ और संसाधनों की कमी के कारण मरीजों को क्वॉलिटी ट्रीटमेंट भी नहीं मिल पा रहा है.

हॉस्पिटल में स्टाफ और डॉक्टर्स की कमी के चलते मरीज परेशान
  • अस्पताल में डॉक्टर्स के अधिकतर पद खाली
  • 300 बेड वाले अस्पताल में करीब 38 विशेषज्ञों के पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 30 खाली पड़े हैं.
  • नर्सिंग स्टाफ में कुल 168 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 60 रिक्त हैं.
  • वहीं कई डॉक्टर्स और स्टाफ छुट्टी पर चल रहे हैं या उन्हें जिले के अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में अटैच कर दिया गया है.
  • अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट के 2 पद हैं, लेकिन एक पद पिछले 10 साल से भी ज्यादा समय से खाली पड़ा है.
  • रेडियोग्राफर के लिए भी 10 से ज्यादा पद स्वीकृत हैं, पर सालों से सिर्फ दो रेडियोग्राफर के जिम्मे सारा काम चल रहा है.
  • मरीजों के हर वार्ड में जहां करीब 8 नर्सों की जरूरत है, वहां दो से 3 नर्सों से काम चल रहा है.
  • सुरक्षाकर्मियों की कमी के चलते अस्पताल में असामाजिक तत्वों द्वारा कई घटनाएं सामने आई हैं.
  • अस्पताल में करीब 14 सिक्योरिटी गार्ड हैं, लेकिन 300 बेड के अस्पताल और एक बड़े परिसर के हिसाब से यह संख्या काफी कम है.
  • अस्पताल प्रबंधन की ओर से भी शासन से 28 सिक्योरिटी गार्ड के पद स्वीकृत करने की मांग की गई है.
  • अस्पताल में एमआरआई और सीटी स्कैन जैसी जांच की सुविधा नहीं है.
  • सोनोग्राफी और एक्स-रे मशीनें भी खस्ताहाल हैं.
  • भिंड-दतिया सांसद संध्या राय ने भी हॉस्पिटल की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सरकार का ध्यान आकर्षित कराया था.

अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि स्टाफ और संसाधनों के अभाव में रोगियों के इलाज में दिक्कतें आ रही हैं. कई बार इन समस्याओं को लेकर राज्य शासन को अवगत भी कराया है, बावजूद इसके अब तक कुछ नहीं हुआ. भिंड में एक जिला अस्पताल, 7 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 20 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 186 उप स्वास्थ्य केंद्र संचालित हो रहे हैं, लेकिन हर जगह डॉक्टर और संसाधनों की कमी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.

Intro:मध्य प्रदेश का नंबर वन बना भिंड जिला अस्पताल इन दिनों स्टाफ और डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहा है अस्पताल में स्टाफ और संसाधनों की कमी के कारण रोगियों को क्वालिटी उपचार भी नहीं मिल पा रहा है आलम यह है कि 2 सालों में ओपीडी रोगियों की संख्या 2 गुना बढ़कर 16 साल तक पहुंच गई है बावजूद इसके डॉक्टरों की कमी के कारण ही सुविधाओं का अभाव भी देखा जा रहा है


Body:बाइट- मरीज

300 बेड के जिला अस्पताल में करीब 38 विशेषज्ञों के पद स्वीकृत हैं लेकिन इनमें से जिला अस्पताल में 30 विशेषज्ञों के पद खाली पड़े हैं वही बात नर्सिंग स्टाफ की करें तो कुल 168 पद स्वीकृत हैं लेकिन आज भी अस्पताल में 60 नर्सों के पद रिक्त हैं डॉक्टर्स का जो स्टाफ काम कर भी रहा है उनमें से भी कुछ लोग छुट्टी पर चले गए हैं या उन्हें जिले के अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में अटैच कर दिया गया है जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट के 2 पद हैं लेकिन एक पद पिछले 10 साल से भी ज्यादा समय से खाली पड़ा है वहीं रेडियोग्राफर के लिए भी 10 से ज्यादा पद स्वीकृत हैं लेकिन सालों से सिर्फ दो रेडियोग्राफर के जिम्मे सारा काम चल रहा है मरीजों के हर वार्ड में जहां करीब 8 नर्सों की जरूरत है वहां दो से 3 नर्सों से काम चलाना पड़ रहा है

बाइट- स्थानीय
बाइट- डॉ आर के सिंह, रेडियोलॉजिस्ट

सुरक्षाकर्मियों की भी कमी जिला अस्पताल में अक्सर असामाजिक तत्वों द्वारा पूर्व में कई घटनाएं सामने आई हैं वर्तमान में जिला अस्पताल में करीब 14 सिक्योरिटी गार्ड पदस्थ हैं लेकिन 300 बेड के अस्पताल और एक बड़े परिसर के हिसाब से यह संख्या काफी कम है इतने बड़े परिसर में एक शिफ्ट में करीब तीन से चार सुरक्षाकर्मी ही ड्यूटी कर पाते हैं अस्पताल प्रबंधन की ओर से भी शासन से 28 सिक्योरिटी गार्ड के पद स्वीकृत करने की मांग की गई है साथ ही भिंड कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से भी अस्पताल प्रबंधन ने सिक्योरिटी के लिए पुलिस स्टाफ बढ़ाने की बात कही है

कहने को भिंड अस्पताल प्रदेश का नंबर वन जिला अस्पताल है लेकिन यहां आए दिन मरीजों के लिए जांच मशीनें खराब पड़ी रहती हैं अस्पताल में एमआरआई और सीटी स्किन जैसी जांच की सुविधा नहीं है वही सोनोग्राफी और एक्सरे मशीनें भी खस्ताहाल हैं लोगों का कहना है कि अस्पताल में अन्य जांच रिपोर्ट में भी सही नहीं मिलती प्राइवेट करानी पड़ती हैं

बाइट- स्थानीय

हाल ही में जिला अस्पताल की हालत को लेकर भिंड दतिया सांसद संध्या राय ने भी संसद में भिंड की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर ध्यान केंद्रित किया था

एंबिएंस- संध्या राय, सांसद

वहीं अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि स्टाफ और संसाधनों के अभाव में रोगियों के उपचार में भी दिक्कतें आ रही हैं कई बार इन समस्याओं को लेकर राज्य शासन को अवगत भी कराया है बावजूद इसके अब तक कुछ खास सुनवाई नहीं हुई है

बाइट- डॉ अजीत मिश्रा, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल


Conclusion:बता दें कि जिला अस्पताल के अलावा भिंड जिले में 7 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 20 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 186 उप स्वास्थ्य केंद्र संचालित हो रहे हैं लेकिन हर जगह डॉक्टर और संसाधनों की कमी का खामियाजा भिंड की जनता को भुगतना पड़ रहा है
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