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बारिश में डूबा गरीबों का आशियाना, प्रशासन नहीं ले रहा सुध - मजदूर बस्ती में पानी

बीते दिनों हुई जोरदार बारिश से शहर की बस्तियां जलमग्न हो गयी हैं, जिससे मजबूरन लोग सड़क पर गुजारा कर रहे हैं. 5 दिन बीतने के बाद भी प्रशासन मजदूर बस्ती के लोगों की सुध लेने नहीं पहुंचा.

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Published : Jul 19, 2019, 2:14 PM IST

भिंड। आसमान से बरसी आफत ने शहर की एक पूरी बस्ती को तहस-नहस कर दिया है. मजदूर बस्ती में रहने वाले हजारों लोग खुले आसमान के नीचे सड़कों पर जीवन-यापन करने को मजबूर हैं. पिछले दिनों हुई जोरदार बारिश से स्थितियां और बदतर हो गई हैं. हालात ये हैं कि कुछ बस्तियां पानी में डूब गयीं, जिससे वहां के रहवासी खुले आसमान में जिंदगी बसर करने को मजबूर हैं.

बारिश ने उजाड़े गरीबो के आशियाने

शहर की अनाज मंडी के पास बसी मजदूरों की बस्ती बारिश होने के 5 दिन बाद भी जलमग्न है. यहां रहने वाले गरीबों की सैकड़ों झुग्गी-झोपड़ियां पानी में डूब गई हैं. जिससे वे सड़कों पर डेरा डालकर जिंदगी बिता रहे हैं. पांच दिन बीतने के बाद भी प्रशासन ने उनकी सुध नहीं ली.

झोपड़ी में रखा सामान बह गया
बस्ती में रहने वाली सपना बताती हैं कि जब बारिश आई तो वे लोग मजदूरी के लिए बाहर गए थे, जब लौटे तब तक खाने पीने का सामान बर्बाद हो चुका था. झोपड़ी में रखा बाकी सामान भी पानी में बह रहा था. किसी तरह वहां से सामान निकाल कर सड़कों पर रखा और अब पिछले 5 दिन से फुटपाथ पर गुजर-बसर कर रहे हैं.

किसी ने नहीं बढ़ाए मदद के लिए हाथ
सपना ने यह भी बताया कि अब तक किसी ने उनकी मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाए हैं और ना ही उन्हें किसी तरह की सरकारी मदद मिली है. बस्ती में रहने वाले गरीब परिवार जिन्हें 2 वक्त की रोटी तक नसीब नहीं होती. कुतरत के कहर ने उनके आशियाने छीन लिए. ताज्जुब की बात है कि अब तक प्रशासन ने भी इन लोगों की सुध नहीं ली. ऐसे में इन गरीब परिवारों के सामने अब जिंदरी गुजर-बसर का संकट खड़ा हो गया है.

भिंड। आसमान से बरसी आफत ने शहर की एक पूरी बस्ती को तहस-नहस कर दिया है. मजदूर बस्ती में रहने वाले हजारों लोग खुले आसमान के नीचे सड़कों पर जीवन-यापन करने को मजबूर हैं. पिछले दिनों हुई जोरदार बारिश से स्थितियां और बदतर हो गई हैं. हालात ये हैं कि कुछ बस्तियां पानी में डूब गयीं, जिससे वहां के रहवासी खुले आसमान में जिंदगी बसर करने को मजबूर हैं.

बारिश ने उजाड़े गरीबो के आशियाने

शहर की अनाज मंडी के पास बसी मजदूरों की बस्ती बारिश होने के 5 दिन बाद भी जलमग्न है. यहां रहने वाले गरीबों की सैकड़ों झुग्गी-झोपड़ियां पानी में डूब गई हैं. जिससे वे सड़कों पर डेरा डालकर जिंदगी बिता रहे हैं. पांच दिन बीतने के बाद भी प्रशासन ने उनकी सुध नहीं ली.

झोपड़ी में रखा सामान बह गया
बस्ती में रहने वाली सपना बताती हैं कि जब बारिश आई तो वे लोग मजदूरी के लिए बाहर गए थे, जब लौटे तब तक खाने पीने का सामान बर्बाद हो चुका था. झोपड़ी में रखा बाकी सामान भी पानी में बह रहा था. किसी तरह वहां से सामान निकाल कर सड़कों पर रखा और अब पिछले 5 दिन से फुटपाथ पर गुजर-बसर कर रहे हैं.

किसी ने नहीं बढ़ाए मदद के लिए हाथ
सपना ने यह भी बताया कि अब तक किसी ने उनकी मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाए हैं और ना ही उन्हें किसी तरह की सरकारी मदद मिली है. बस्ती में रहने वाले गरीब परिवार जिन्हें 2 वक्त की रोटी तक नसीब नहीं होती. कुतरत के कहर ने उनके आशियाने छीन लिए. ताज्जुब की बात है कि अब तक प्रशासन ने भी इन लोगों की सुध नहीं ली. ऐसे में इन गरीब परिवारों के सामने अब जिंदरी गुजर-बसर का संकट खड़ा हो गया है.

Intro:रिमझिम बारिश अक्सर लोगों के चेहरों पर खुशी लाती है लेकिन आसमान से बरसी आफत ने भिंड में एक पूरी बस्ती को तहस-नहस कर दिया अब इस बस्ती में रहने वाले हजारों लोग खुले आसमान के नीचे सड़कों पर अपना जीवन यापन करने पर मजबूर हैं और उनकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं




Body:दरअसल पिछले दिनों हुई लगातार बारिश से भिंड जिले में स्थितियां और बदतर हो गई हैं जहां रिहायशी इलाकों में सड़कें दुकान है यहां तक कि जिला अस्पताल तक जलमग्न हो गया वहीं बस्ती की बस्तियां तक डूब गई और लोग अपने घरों से पलायन करने के लिए मजबूर हो गए ऐसा ही कुछ नजारा है मैं भिंड के अनाज मंडी के पास बसी मजदूरों की बस्ती में भी देखने को मिला जहां गरीबों की सैकड़ों झुग्गी झोपड़ियां पानी में डूब गई हैं और आज इनमें रहने वाले हजारों लोग सड़कों पर गुजारा कर रहे हैं

*किसी ने नहीं बढ़ाई मदद को हाथ
बस्ती में रहने वाली सपना बताती हैं कि जब बारिश आई तो वे लोग मजदूरी के लिए बाहर गए थे जब तक लौटे तब तक खाने पीने का सामान बर्बाद हो चुका था जोगी में रखा बाकी सामान भी सब पानी में बह रहा था किसी तरह वहां से सामान निकाल कर सड़कों पर रखा और अब पिछले 5 दिन से फुटपाथ पर गुजर-बसर कर रहे हैं सपना ने यह भी बताया कि अब तक किसी ने उनकी मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाए हैं और ना ही अब तक उन्हें किसी तरह की सरकारी मदद मिली है

बाइट अशोक कुमार आदिवासी पीड़ित
बाइट सपना पीड़ित




Conclusion:वे गरीब परिवार जिन्हें 2 जून की रोटी तक नसीब नहीं होती जो खुद मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं और झुग्गी झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं इन सैकड़ों परिवारों से बारिश ने उनका यह सहारा भी छीन लिया हजारों लोग सड़कों पर रहने को मजबूर हैं और ताज्जुब की बात तो यह है कि अब तक प्रशासन ने भी इन लोगों की सुध तक नहीं ली ऐसे में इन गरीब परिवारों के सामने अब गुजर बसर का संकट खड़ा हो गया है
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