भिंड। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीते 5 फरवरी को चंबल से विकास यात्रा का आधिकारिक शुभारम्भ भिंड में विकास रथों को हरी झंडी दिखा कर किया था. लेकिन सरकार के एक फैसले ने इस विकास यात्रा पर संकट खड़ा कर दिया है, क्यूंकि पूरे प्रदेश में सरपंच संघ अब विकास यात्रा का विरोध जताकर फ्रंट फुट पर खड़ा है. गोहद क्षेत्र के सरपंचों ने शुक्रवार को एसडीएम एस मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा था, वहीं आज ज्यादातर सरपंच हड़ताल पर चले गए हैं.
क्या है सरकार का फैसला, जिसका विरोध जाता रहे सरपंच: दरअसल अन्य राज्यों की तरह ही मनरेगा योजना में बढ़ रहे भ्रष्टाचार और शिकायतों को लेकर मध्यप्रदेश सरकार ने भी मज़दूरी की हजारी बायोमेट्रिक के आधार और वर्क लोकेशन पर लगाने की शुरुआत कर दी है. इस व्यवस्था में मनरेगा मज़दूरों को कार्यस्थल पर पहुंच कर वहीं मोबाइल ऐप के ज़रिए अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होती है, साथ ही शाम को काम का वक़्त ख़त्म होने पर उसी जगह से दोबारा ऐप के माध्यम से बायोमेट्रिक हजारी दर्ज की जा रही है. इसके साथ ही मजदूरों को उनका भुगतान भी आधार कार्ड के जरिए किया जाएगा जो सीधा उनके खाते में पहुंचेगा, इस तरह के फैसले से मनरेगा योजना में पारदर्शिता बनी रहेगी और मजदूरों को उनकी मेहनत का पैसा भी सीधे बैंकखातों में मिलेगा.
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200 रुपय में नहीं मिलते मजदूर, राशि बढ़ाए सरकार: सरकार के इस फैसले को लेकर प्रदेश भर में सरपंचों ने विरोध जताना शुरू कर दिया है. भिंड के गोहद क्षेत्र के सरपंचों ने पहले रथ को गांव में घुसने से रोका था, वहीं शनिवार को हड़ताल कर दी. एंडोरी सरपंच रचना का कहना है कि सरकार क्षेत्र में विकास और मजदूरों को रोजगार मुहैया करना चाहती है इसी लिए मनरेगा योजना पर फोकस रहता है. लेकिन इतनी कम राशि के मेहनताने पर कोई भी मजदूर काम पर नहीं आना चाहता है, बाजार में मजदूरों को कम से कम 400 रुपये मिलते हैं, इसलिए कोई भी 204 रुपए में आने को तैयार नहीं होता. हम मशीनों से काम करवाते हैं तो सीएम हेल्पलाइन लग जाती हैं. हमारा अधिकारी वर्ग भी हम पर ऊपर से दबाव बनाते हैं कि अपने क्षेत्र की शिकायतें बंद कराइए. इनकी वजह से हम और सचिव क्षेत्र में लग जाते हैं इस तरह हम सिर्फ घूमते ही रहेंगे या अपना कुछ काम भी करेंगे. वहीं उन्होंने मांग की है कि मनरेगा के मजदूरों की भुगतान राशि बढ़ाई जाए और त्वरित भुगतान की व्यवस्था बनाए और यदि ऐसा नहीं कर सकते हैं तो जो प्रक्रिया चल रही है इसे बंद कराएं.
सरकार की विकास नहीं विनाश यात्रा है: राष्ट्रीय सरपंच समिति के महासचिव राजवीर सिंह तोमर का कहना है ''कि बीते 28 जनवरी से ही प्रदेशभर में सरपंच हड़ताल पर हैं, 5 फरवरी से पंचायतों में तालेबंदी हो चुकी है. प्रत्येक पंचायत में जो सरकार ने विकास यात्रा शुरू की है वह विकास यात्रा नहीं उनकी विनाश यात्रा है. पंचायत चुनाव के बाद लगभग 8 माह हो चुके हैं लेकिन आज दिनांक तक सरकार ने किसी पंचायत में विकास कार्य के लिए एक रुपए की भी राशि का भुगतान नहीं किया है. जिसकी वजह से जो नए सरपंच चुन कर आये वे 8 महीनों में गांव में एक भी विकास कार्य नहीं कर पाये हैं. नये नियमों से अब सरकार ने भ्रष्टाचारी के लिए नये प्रशासन को इतना हावी कर दिया है कि चारों और से सरपंच का शोषण शुरू कर दिया है''.
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भ्रष्टाचार करे GRS और जनपद सीईओ, बदनाम सरपंच: हड़ताल के बावजूद भी मनरेगा के तहत सभी पंचायतों में मस्टर रोल और भुगतान के लिए ईपीओ (इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट ऑर्डर) काटे जा रहे हैं. इस सवाल का जवाब देते हुए राजवीर सिंह का कहना था कि भ्रष्टाचार यहीं से उजागर होता है. क्यूंकि कोई भी मस्टर सरपंच द्वारा नहीं काटा जा रहा है. यह भ्रष्टाचारी का सबसे बड़ा खेल हो रहा है कि जीआरएस और जनपद सीईओ के माध्यम से किया जा रहा है और बदनाम सरपंच को किया जाता है. उन्होंने कहा कि इस सम्बंध में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जस्टिस और सरपंच संघ के सलाहकार पांडेय से भी बात हुई है और हम एक पिटीशन ऐसे भ्रष्टाचारी जीआरएस और अधिकारियों के ख़िलाफ़ भी दायर कर रहे हैं कि जब सरपंच हड़ताल या आंदोलन पर है उस दौरान इस तरह भुगतान के लिए मस्टर कैसे जारी हो रहे हैं. क्यूंकि 15 वित्त के अन्तर्गत आने वाले कार्यों में तो सरपंच को पता ही नहीं कब भुगतान हो गया.
दावा- प्रदेश के सिर्फ 800 सरपंच सीएम के साथ: राष्ट्रीय सरपंच समिति के महासचिव राजवीर सिंह तोमर का मानना है कि प्रदेश में 28800 सरपंच हैं जिनमें से 28000 उनके संघ के साथ तो वहीं 800 सरपंच सीएम के साथ खड़े हैं. उनकी मांगे वे पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं अगर इन्हें पूरा नहीं किया जाएगा तो आंदोलन और उग्र होगा.