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कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से किसान ने कमाया तीन गुना मुनाफा

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Published : Feb 15, 2021, 11:53 AM IST

पारंपरिक खेती से हटकर अन्य फसलों में किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. बशर्ते उन्हें पता हो कि वह किस फसल पर मेहनत और पैसा लगा सकते हैं, जो उन्हें लागत निकालने के साथ-साथ फायदे का सौदा साबित हो. भिंड जिले के एक किसान ने तो अपने बेटे के साथ मिलकर देशभर में चल रहे कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग विरोध के उलट कृषि को सच मे अपने लाभ का धंधा बना लिया है. देखिए ये खास रिपोर्ट...

contract farming
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग

भिंड। देशभर में केंद्र सरकार के कृषि कानूनों में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर चल रहे विरोध के उलट भिंड के एक छोटे से गांव दुल्हागन के किसान विष्णु शर्मा ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिये ही खेती को लाभ का धंधा बना लिया है. वैसे तो विष्णु शर्मा सालों से अपने गांव में ही खेती करते कर रहे थे लेकिन अपने बेटों की सलाह और मदद से 3 साल में न सिर्फ खेती को बढ़ाया बल्कि मुनाफा भी तीन गुना कर लिया है.

भिंड के किसान ने की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग
खेती में हो रहे नुकसान ने दी प्रेरणा

किसान विष्णु शर्मा के बेटे संदीप ने बताया कि तीन साल पहले ही उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर अलग तरह की खेती का विचार बनाया. आमतौर पर सभी जगहों पर पारंपरिक खेती किसानों का मुख्य उद्देश्य होती है. उनके गांव में भी पारंपरिक रूप से सरसों की फसल होती है. लेकिन कटाई के बाद अगले 9 माह तक उनके खेत खाली पड़े रहते थे. जिसकी वजह से उन्हें नुकसान तो होता ही था. यहां तक की कई बार तो लागत भी नहीं निकल पाती थी. उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर फैसला किया कि वह अपने खेतों में एक पारंपरिक खेती की बजाय चार फसलें लगाएंगे. जिससे दो फसलों से लागत का पैसा वसूल करेंगे और बाकी दो से मुनाफा.

रिसर्च कर पारम्परिक खेती में फलों को किया शामिल

साल 2017 में उन्होंने पिता के साथ गांव में ही 75 बीघा खेत खरीदा और उसकी लेबलिंग कराई. कृषि विशेषज्ञों से मुलाकात कर, इंटरनेट पर वीडियो देख कर, अन्य जिलों में जानकर किसानों से मिलकर उन्होंने खेती की बारीकियों को समझा. इसके बाद सरसों के साथ प्रेक्टिकल के तौर पर अमरूद की रुपाई की. अगले साल उन्होंने पपीता, अनार, आंवला की पौध भी तैयार की. आज उनके फार्म पर अमरूद के 250 से ज्यादा पेड़ हैं. 250 से ज्यादा उच्च क्वालिटी के चिली और रेडचिली पपीते के पेड़ लगे हैं. अनार, आंवला के अलावा सागौन, शीशम, पापुलर, की खेती भी की जा रही है. साथ ही एक बड़ा रकबा जमीन उन्होंने पूरे तरह आर्गेनिक खेती के लिए भी समर्पित कर दिया है. जिसमे कैमिकल रहित आर्गेनिक खाद का ही उपयोग फसलों में किया जा रहा है. जिसमे सरसों, उच्च क़्वालिटी चुकंदर, लहसन की फसल उगाई है.

Papaya cultivation
पपीते की खेती

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से किसान कर रहे दोगुनी कमाई

उत्तरप्रदेश के व्यापारी से बना 'भरोसे का अनुबंध'

फसल तैयार करना अपने आप में चुनौती भरा सफर रहा था. लेकिन अब तैयार फसल को बेचना और भी परेशानी भरा था. इसके लिए विष्णु के बेटे संदीप ने कानपुर उत्तरप्रदेश में जाकर फल व्यापारियों से मुलाकात की. जहां एक व्यापारी ने उन्हें ऑफर दिया कि वह खुद फसल देखेगा अगर फल अच्छा होगा तो वह बाजार भाव से ज्यादा कीमत में खरीदेगा. संदीप ने बताया कि वह व्यापारी कुछ दिन बाद आया और फसल देख कर खरीद ली. यहां तक कि खुद व्यापारी ने अपने लोगों को लाकर पेड़ से फल उतारे और वजन के हिसाब से पैसा चुकाया. इस तरह विष्णु शर्मा को कच्ची फसल का पैसा मिल गया. एक खरीद ने दोनों के बीच भरोसे का कांटेक्ट बना दिया. उसकी मांग पर विष्णु शर्मा ने पपीते की फसल भी अच्छी पौध लाकर लगाई. जिसका भी उन्हें अच्छा खासा मुनाफा हुआ और अब हर साल विष्णु शर्मा से पपीते और अमरूद की फसल वही व्यापारी खरीदता है.



नामी ब्रांड्स ने भी दिया फसल खरीदने का प्रस्ताव

विष्णु शर्मा के बेटे संदीप शर्मा ने बताया कि अच्छी फसलों की पैदावार होने से उनका नाम आगे बढ़ा तो पतंजलि, बैद्यनाथ और बिग बाजार जैसे बड़े ब्रांड ने भी उनसे संपर्क किया था. उन्होंने बताया कि पतंजलि ने उन्हें अपने खेतों में जड़ी बूटियां जिनमें एलोवेरा, तुलसी और सफेद मूसली उगाने का प्रस्ताव दिया था. लेकिन वे चाहते थे इसकी पैदावार व्यापक तौर पर करें जिसके लिए उन्हें 2 से 5 साल के अनुबंध में रहना होगा और पूरा सेटअप भी कंपनी द्वारा लगये जाने की बात कही गयी थी. संदीप के मुताबिक उन्होंने यह प्रस्ताव इसलिए ठुकरा दिया क्योंकि इस अनुबंध में वे किसी और फसल पर ध्यान नहीं दे पाते. हालांकि उनका मानना है कि अब अगर दोबारा कंपनी सहमत होती है तो वे इस ऑफर को स्वीकार कर लेंगे. वहीं बैद्यनाथ कंपनी द्वारा भी तुलसी और एलोवेरा की मांग की गई थी. लेकिन जो रेट कंपनी द्वारा लगाया गया वह काफी कम था. इसके अलावा बिग बाजार ने उनसे ऑर्गेनिक और अच्छी क्वालिटी के चुकंदर की फसल खरीदने का प्रस्ताव दिया है. जिसके लिए अभी सैंपल तैयार किया जा रहा है. यदि तैयार किया गया चुकंदर उनके मापदंड पर खरा उतरता है तो भविष्य में वे बिग बाजार के साथ अनुबंध करेंगे.

Farming made profit business
खेती को बनाया लाभ का धंधा

कृषि मंत्री के 'खून से खेती' वाले बयान पर 'दिग्गी' का पलटवार, कहा-गोधरा में जो हुआ वो क्या था ?


सुरक्षा अलार्म, सीसीटीवी से लैस है फार्म

इतनी महंगी और भारी मात्रा में फसलों की पैदावार देखभाल के साथ सुरक्षा भी मांगती है. जहां खेत खलिहान में मवेशियों का खतरा तो बना ही रहता है. साथ ही असामाजिक तत्वों द्वारा नुकसान का भी डर होता है. ऐसे में सुरक्षा व्यवस्थाओं को ध्यान में रखते हुए किसान पुत्र ने तकनीक का भी सहारा लिया. इसके लिए उन्होंने अपने पूरे खेती एरिया को 3 लेयर से सिक्योर किया. पहली लेयर में झाड़ियों के पेड़ दूसरी लेयर में कांटों की झाड़ियां और तीसरी लेयर में सागौन और पॉपुलर के पेड़ों की बाढ़ बनाई है. इसके अलावा चारों ओर से झटका तार की फेंसिंग की है. इसकी खासियत है कि कोई भी व्यक्ति या मवेशी इस तार के संपर्क में आता है तो उसे हल्का करंट का झटका लगता है. यह इंसानों के लिए घातक तो नहीं है लेकिन संपर्क में आते ही यह अलार्म को एक्टिवेट कर देता है और अलार्म जोर जोर से आवाज करना शुरू कर देता है. ऐसे में किसी भी गतिविधि का तुरंत पता चल जाता है. इसके साथ ही उन्होंने अपने फार्म पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए हुए हैं. जिससे पूरे एरिया पर होने वाली गतिविधियों पर नजर रखी जा सके.

बिजली की समस्या से निपटने के लिए लगाए सोलर पैनल

उनका यह फार्म गांव से पृथक एकांत में बना हुआ है. ऐसे में बिजली की भी काफी समस्या थी. संदीप ने बताया कि बिजली विभाग द्वारा उन्होंने अलग से पैसा जमा कर ट्रांसफार्मर की व्यवस्था अपने फार्म पर ही करवाई है. हालांकि कई बार फॉल्ट होने की वजह से बिजली काम नहीं करती. इससे निपटने के लिए भी उन्होंने अपने फार्म पर बनाई बिल्डिंग की छत पर सोलर पैनल लगवाए हैं. जिससे खेती में पानी देने की व्यवस्था होती है. साथ ही आपात स्थिति में बिजली आपूर्ति भी हो जाती है.

contract farming
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग


3 साल में 10 लाख का हुआ फायदा

इतनी मेहनत के बाद सवाल था कि मुनाफा कितना हुआ. जब यह सवाल हमने संदीप शर्मा से पूछा तो उन्होंने बताया कि पिछले साल तैयार हुए सिर्फ पपीता फल से ही उन्हें अच्छा खासा मुनाफा हुआ था. उनका एक पेड़ सीजन में करीब एक से डेढ़ क्विंटल यानी 150 किलो तक फल देता है. इस तरह करीब 250 पेड़ों से उन्हें 37,500 किलो पपीता की पैदावार हुई. उन्होंने पपीता, अमरूद और अन्य फसलों से अब तक करीब 10 लाख रुपये का फायदा कमाया है. जबकि लागत लगभग एक तिहाई कीमत खर्च हुई थी.


गांव के किसानों को संदीप ने दिखाई राह

अगर इंसान चाहे तो किसी भी क्षेत्र में मेहनत कर उसका फल प्राप्त कर सकता है. संदीप और विष्णु शर्मा जैसे किसानों को देख दुल्हागन गांव के कुछ अन्य किसानों ने भी पारम्परिक सरसों की खेती के साथ दूसरी फसल के तौर पर गेंहू उगाना शुरू किया है. विष्णु शर्मा ने दिख दिया है कि मेहनत और लगन से किस तरह किसान अपनी आय चौगनी कर खेती को लाभ का धंधा बना सकते हैं.

भिंड। देशभर में केंद्र सरकार के कृषि कानूनों में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर चल रहे विरोध के उलट भिंड के एक छोटे से गांव दुल्हागन के किसान विष्णु शर्मा ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिये ही खेती को लाभ का धंधा बना लिया है. वैसे तो विष्णु शर्मा सालों से अपने गांव में ही खेती करते कर रहे थे लेकिन अपने बेटों की सलाह और मदद से 3 साल में न सिर्फ खेती को बढ़ाया बल्कि मुनाफा भी तीन गुना कर लिया है.

भिंड के किसान ने की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग
खेती में हो रहे नुकसान ने दी प्रेरणा

किसान विष्णु शर्मा के बेटे संदीप ने बताया कि तीन साल पहले ही उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर अलग तरह की खेती का विचार बनाया. आमतौर पर सभी जगहों पर पारंपरिक खेती किसानों का मुख्य उद्देश्य होती है. उनके गांव में भी पारंपरिक रूप से सरसों की फसल होती है. लेकिन कटाई के बाद अगले 9 माह तक उनके खेत खाली पड़े रहते थे. जिसकी वजह से उन्हें नुकसान तो होता ही था. यहां तक की कई बार तो लागत भी नहीं निकल पाती थी. उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर फैसला किया कि वह अपने खेतों में एक पारंपरिक खेती की बजाय चार फसलें लगाएंगे. जिससे दो फसलों से लागत का पैसा वसूल करेंगे और बाकी दो से मुनाफा.

रिसर्च कर पारम्परिक खेती में फलों को किया शामिल

साल 2017 में उन्होंने पिता के साथ गांव में ही 75 बीघा खेत खरीदा और उसकी लेबलिंग कराई. कृषि विशेषज्ञों से मुलाकात कर, इंटरनेट पर वीडियो देख कर, अन्य जिलों में जानकर किसानों से मिलकर उन्होंने खेती की बारीकियों को समझा. इसके बाद सरसों के साथ प्रेक्टिकल के तौर पर अमरूद की रुपाई की. अगले साल उन्होंने पपीता, अनार, आंवला की पौध भी तैयार की. आज उनके फार्म पर अमरूद के 250 से ज्यादा पेड़ हैं. 250 से ज्यादा उच्च क्वालिटी के चिली और रेडचिली पपीते के पेड़ लगे हैं. अनार, आंवला के अलावा सागौन, शीशम, पापुलर, की खेती भी की जा रही है. साथ ही एक बड़ा रकबा जमीन उन्होंने पूरे तरह आर्गेनिक खेती के लिए भी समर्पित कर दिया है. जिसमे कैमिकल रहित आर्गेनिक खाद का ही उपयोग फसलों में किया जा रहा है. जिसमे सरसों, उच्च क़्वालिटी चुकंदर, लहसन की फसल उगाई है.

Papaya cultivation
पपीते की खेती

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से किसान कर रहे दोगुनी कमाई

उत्तरप्रदेश के व्यापारी से बना 'भरोसे का अनुबंध'

फसल तैयार करना अपने आप में चुनौती भरा सफर रहा था. लेकिन अब तैयार फसल को बेचना और भी परेशानी भरा था. इसके लिए विष्णु के बेटे संदीप ने कानपुर उत्तरप्रदेश में जाकर फल व्यापारियों से मुलाकात की. जहां एक व्यापारी ने उन्हें ऑफर दिया कि वह खुद फसल देखेगा अगर फल अच्छा होगा तो वह बाजार भाव से ज्यादा कीमत में खरीदेगा. संदीप ने बताया कि वह व्यापारी कुछ दिन बाद आया और फसल देख कर खरीद ली. यहां तक कि खुद व्यापारी ने अपने लोगों को लाकर पेड़ से फल उतारे और वजन के हिसाब से पैसा चुकाया. इस तरह विष्णु शर्मा को कच्ची फसल का पैसा मिल गया. एक खरीद ने दोनों के बीच भरोसे का कांटेक्ट बना दिया. उसकी मांग पर विष्णु शर्मा ने पपीते की फसल भी अच्छी पौध लाकर लगाई. जिसका भी उन्हें अच्छा खासा मुनाफा हुआ और अब हर साल विष्णु शर्मा से पपीते और अमरूद की फसल वही व्यापारी खरीदता है.



नामी ब्रांड्स ने भी दिया फसल खरीदने का प्रस्ताव

विष्णु शर्मा के बेटे संदीप शर्मा ने बताया कि अच्छी फसलों की पैदावार होने से उनका नाम आगे बढ़ा तो पतंजलि, बैद्यनाथ और बिग बाजार जैसे बड़े ब्रांड ने भी उनसे संपर्क किया था. उन्होंने बताया कि पतंजलि ने उन्हें अपने खेतों में जड़ी बूटियां जिनमें एलोवेरा, तुलसी और सफेद मूसली उगाने का प्रस्ताव दिया था. लेकिन वे चाहते थे इसकी पैदावार व्यापक तौर पर करें जिसके लिए उन्हें 2 से 5 साल के अनुबंध में रहना होगा और पूरा सेटअप भी कंपनी द्वारा लगये जाने की बात कही गयी थी. संदीप के मुताबिक उन्होंने यह प्रस्ताव इसलिए ठुकरा दिया क्योंकि इस अनुबंध में वे किसी और फसल पर ध्यान नहीं दे पाते. हालांकि उनका मानना है कि अब अगर दोबारा कंपनी सहमत होती है तो वे इस ऑफर को स्वीकार कर लेंगे. वहीं बैद्यनाथ कंपनी द्वारा भी तुलसी और एलोवेरा की मांग की गई थी. लेकिन जो रेट कंपनी द्वारा लगाया गया वह काफी कम था. इसके अलावा बिग बाजार ने उनसे ऑर्गेनिक और अच्छी क्वालिटी के चुकंदर की फसल खरीदने का प्रस्ताव दिया है. जिसके लिए अभी सैंपल तैयार किया जा रहा है. यदि तैयार किया गया चुकंदर उनके मापदंड पर खरा उतरता है तो भविष्य में वे बिग बाजार के साथ अनुबंध करेंगे.

Farming made profit business
खेती को बनाया लाभ का धंधा

कृषि मंत्री के 'खून से खेती' वाले बयान पर 'दिग्गी' का पलटवार, कहा-गोधरा में जो हुआ वो क्या था ?


सुरक्षा अलार्म, सीसीटीवी से लैस है फार्म

इतनी महंगी और भारी मात्रा में फसलों की पैदावार देखभाल के साथ सुरक्षा भी मांगती है. जहां खेत खलिहान में मवेशियों का खतरा तो बना ही रहता है. साथ ही असामाजिक तत्वों द्वारा नुकसान का भी डर होता है. ऐसे में सुरक्षा व्यवस्थाओं को ध्यान में रखते हुए किसान पुत्र ने तकनीक का भी सहारा लिया. इसके लिए उन्होंने अपने पूरे खेती एरिया को 3 लेयर से सिक्योर किया. पहली लेयर में झाड़ियों के पेड़ दूसरी लेयर में कांटों की झाड़ियां और तीसरी लेयर में सागौन और पॉपुलर के पेड़ों की बाढ़ बनाई है. इसके अलावा चारों ओर से झटका तार की फेंसिंग की है. इसकी खासियत है कि कोई भी व्यक्ति या मवेशी इस तार के संपर्क में आता है तो उसे हल्का करंट का झटका लगता है. यह इंसानों के लिए घातक तो नहीं है लेकिन संपर्क में आते ही यह अलार्म को एक्टिवेट कर देता है और अलार्म जोर जोर से आवाज करना शुरू कर देता है. ऐसे में किसी भी गतिविधि का तुरंत पता चल जाता है. इसके साथ ही उन्होंने अपने फार्म पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए हुए हैं. जिससे पूरे एरिया पर होने वाली गतिविधियों पर नजर रखी जा सके.

बिजली की समस्या से निपटने के लिए लगाए सोलर पैनल

उनका यह फार्म गांव से पृथक एकांत में बना हुआ है. ऐसे में बिजली की भी काफी समस्या थी. संदीप ने बताया कि बिजली विभाग द्वारा उन्होंने अलग से पैसा जमा कर ट्रांसफार्मर की व्यवस्था अपने फार्म पर ही करवाई है. हालांकि कई बार फॉल्ट होने की वजह से बिजली काम नहीं करती. इससे निपटने के लिए भी उन्होंने अपने फार्म पर बनाई बिल्डिंग की छत पर सोलर पैनल लगवाए हैं. जिससे खेती में पानी देने की व्यवस्था होती है. साथ ही आपात स्थिति में बिजली आपूर्ति भी हो जाती है.

contract farming
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग


3 साल में 10 लाख का हुआ फायदा

इतनी मेहनत के बाद सवाल था कि मुनाफा कितना हुआ. जब यह सवाल हमने संदीप शर्मा से पूछा तो उन्होंने बताया कि पिछले साल तैयार हुए सिर्फ पपीता फल से ही उन्हें अच्छा खासा मुनाफा हुआ था. उनका एक पेड़ सीजन में करीब एक से डेढ़ क्विंटल यानी 150 किलो तक फल देता है. इस तरह करीब 250 पेड़ों से उन्हें 37,500 किलो पपीता की पैदावार हुई. उन्होंने पपीता, अमरूद और अन्य फसलों से अब तक करीब 10 लाख रुपये का फायदा कमाया है. जबकि लागत लगभग एक तिहाई कीमत खर्च हुई थी.


गांव के किसानों को संदीप ने दिखाई राह

अगर इंसान चाहे तो किसी भी क्षेत्र में मेहनत कर उसका फल प्राप्त कर सकता है. संदीप और विष्णु शर्मा जैसे किसानों को देख दुल्हागन गांव के कुछ अन्य किसानों ने भी पारम्परिक सरसों की खेती के साथ दूसरी फसल के तौर पर गेंहू उगाना शुरू किया है. विष्णु शर्मा ने दिख दिया है कि मेहनत और लगन से किस तरह किसान अपनी आय चौगनी कर खेती को लाभ का धंधा बना सकते हैं.

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