बैतूल। रोजाना करोड़ों यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने वाली भारतीय रेल के आधुनिकीकरण से तो सभी वाकिफ हैं, लेकिन रेलवे के इतिहास से भी वाकिफ होना जरूरी है. इसकी बानगी बैतूल रेलवे स्टेशन पर देखने को मिल रही है. जहां ब्रिटिश काल में ट्रेन आने की सूचना देने के लिए जो घंटी उपयोग में लाई जाती थी, 107 साल बाद भी यहां देखने को मिल रही है. वहीं इस घंटी का इतिहास जानने के लिए लोग उत्सुक हैं तो रेलवे कर्मचारी भी इस बारे में लोगों को बताने में फक्र महसूस कर रहे हैं.
लकड़ी से बने शानदार नक्काशी वाले आकर्षक फ्रेम के बीच पीतल और कांसे से बनी घंटी लटक रही है. सन 1912 में ट्रेनों के आने और जाने की जानकारी यात्रियों को इसी घंटी के जरिए दी जाती थी. लगभग 50 सालों तक ये घंटी बैतूल रेलवे स्टेशन पर सूचना देने के उपयोग में लाई गई. उप ट्रैक पर आने वाली ट्रेनों के लिए चार घंटी, जबकि डाउन ट्रैक पर आने वाली ट्रेनों के लिए तीन बार घंटी बजाई जाती थी.
जैसे ही रेलवे का आधुनिकीकरण शुरू हुआ तो इस घंटी को भी एक रूम में रख दिया गया, लेकिन स्टेशन प्रबंधक वीके पालीवाल के प्रयासों से इस इतिहास को जानने का आम लोगों को मौका मिल रहा है क्योंकि अब इस घंटी को बैतूल स्टेशन के एक नंबर प्लेटफॉर्म पर लगा दिया गया है, ताकि लोग इसके बारे में जान सकें.
दरअसल, बैतूल रेलवे स्टेशन को ब्रिटिश हुकूमत के समय ग्रेट इंडियन पेनीसुला के नाम से जाना जाता था, जबकि आजादी के बाद इसका नाम सेंट्रल रेलवे में परिवर्तित कर दिया गया. बैतूल स्टेशन इस समय नागपुर मंडल के तहत आता है.