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सरदार सरोवर बांध के डूब प्रभावित गांव में 13 साल से नहीं है स्कूल, मीलों की दूरी तय करने को मजबूर हैं मासूम

बड़वानी जिले के मूलभूत सुविधाओं को लेकर सरकारी स्तर पर किए जाने वाले दावों की पोल खुलती नजर आ रही है. 13 साल से माध्यमिक स्कूल की राशि जमा होने के बावजूद अब तक बसाहट में भवन नहीं बन पाया है.

मीलों की दूरी तय करके पढ़ने आते हैं मासूम
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Published : Jul 25, 2019, 11:51 PM IST

Updated : Jul 26, 2019, 9:50 PM IST

बड़वानी। जिले के सरदार सरोवर बांध के डूबे प्रभावित गांवों में पुनर्वास के दावे खोखले साबित हो रहे हैं. नर्मदा नदी किनारे बसे पिपलूद गांव के लोग सालों बाद भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीवन यापन करने को मजबूर हैं.

मीलों की दूरी तय करके पढ़ने आते हैं मासूम

आलम ये है कि पुनर्वास बसाहट पर 13 साल से राशि स्वीकृत होने के बाद भी स्कूल भवन अभी तक नहीं बन पाया है. जिस वजह से भवन के अभाव में पढ़ने वाले बच्चे भी चार से पांच किलोमीटर दूर जाकर पढ़ाई कर रहे हैं.

बगुद पंचायत अंतर्गत आने वाली पिपलूद मूल गांव में आज भी माध्यमिक और प्राथमिक स्कूल संचालित हो रहे है, जबकि पुनर्वास बसाहट पर 13 साल से राशि स्वीकृत होने के बाद भी स्कूल भवन अभी तक नहीं बन पाया है. जिस वहज से आधे छात्र मूल गांव में पढ़ाई कर रहे हैं और पुनर्वास बसाहट में रह रहे छात्रों को करीब 4 किमी दूरी तय करने को मजबूर हैं.

बता दें कि सरदार सरोवर बांध प्रभावित पिपलूद गांव की आबादी लगभग 15 सौ है. 2006 में पुनर्वास बसाहट गांव में माध्यमिक शाला के लिए करीब 17 लाख रुपए स्वीकृत होकर अब तक भवन नहीं बन पाया है. भवन के अभाव में पढ़ने वाले बच्चे भी चार से पांच किमी दूर जाकर पढ़ाई कर रहे है. जबकि सरकार बांध प्रभावित क्षेत्रों के पुर्नवास को लेकर शतप्रतिशत सुविधायुक्त बताती रही है लेकिन धरातल पर जमीनी हकिकत कुछ और ही बयां कर रही है.

ग्रामीण कलेक्टर से लेकर भूअर्जन अधिकारी के साथ-साथ नर्मदा घाटी के मंत्री सुरेंद्र बघेल से भी गुहार लगा चुके है लेकिन बसाहट में स्कूल भवन बनाने को लेकर रुचि नहीं दिखाई दी. ग्रामीणों का कहना है कि भवन की राशि बगुद पंचायत को दी जाए ताकि स्कूल भवन निर्माण शुरू हो सके.

बड़वानी। जिले के सरदार सरोवर बांध के डूबे प्रभावित गांवों में पुनर्वास के दावे खोखले साबित हो रहे हैं. नर्मदा नदी किनारे बसे पिपलूद गांव के लोग सालों बाद भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीवन यापन करने को मजबूर हैं.

मीलों की दूरी तय करके पढ़ने आते हैं मासूम

आलम ये है कि पुनर्वास बसाहट पर 13 साल से राशि स्वीकृत होने के बाद भी स्कूल भवन अभी तक नहीं बन पाया है. जिस वजह से भवन के अभाव में पढ़ने वाले बच्चे भी चार से पांच किलोमीटर दूर जाकर पढ़ाई कर रहे हैं.

बगुद पंचायत अंतर्गत आने वाली पिपलूद मूल गांव में आज भी माध्यमिक और प्राथमिक स्कूल संचालित हो रहे है, जबकि पुनर्वास बसाहट पर 13 साल से राशि स्वीकृत होने के बाद भी स्कूल भवन अभी तक नहीं बन पाया है. जिस वहज से आधे छात्र मूल गांव में पढ़ाई कर रहे हैं और पुनर्वास बसाहट में रह रहे छात्रों को करीब 4 किमी दूरी तय करने को मजबूर हैं.

बता दें कि सरदार सरोवर बांध प्रभावित पिपलूद गांव की आबादी लगभग 15 सौ है. 2006 में पुनर्वास बसाहट गांव में माध्यमिक शाला के लिए करीब 17 लाख रुपए स्वीकृत होकर अब तक भवन नहीं बन पाया है. भवन के अभाव में पढ़ने वाले बच्चे भी चार से पांच किमी दूर जाकर पढ़ाई कर रहे है. जबकि सरकार बांध प्रभावित क्षेत्रों के पुर्नवास को लेकर शतप्रतिशत सुविधायुक्त बताती रही है लेकिन धरातल पर जमीनी हकिकत कुछ और ही बयां कर रही है.

ग्रामीण कलेक्टर से लेकर भूअर्जन अधिकारी के साथ-साथ नर्मदा घाटी के मंत्री सुरेंद्र बघेल से भी गुहार लगा चुके है लेकिन बसाहट में स्कूल भवन बनाने को लेकर रुचि नहीं दिखाई दी. ग्रामीणों का कहना है कि भवन की राशि बगुद पंचायत को दी जाए ताकि स्कूल भवन निर्माण शुरू हो सके.

Intro:(गला खराब होने के कारण वीओ फ़ाइल नही भेज पा रहा हु)
बड़वानी जिले के सरदार सरोवर बांध से डूब प्रभावित गांवों में पुनर्वास के दावे खोखले साबित हो रहे है। नर्मदा नदी किनारे बसे पिपलूद गांव के लोग सालो बाद भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीवन यापन करने को मजबूर है।बगुद पंचायत अंतर्गत आने वाली पिपलूद मूल गांव में आज भी माध्यमिक और प्राथमिक स्कूल संचालित हो रहे है जबकि पुनर्वास बसाहट पर 13 साल से राशि स्वीकृत हो कर स्कूल भवन अब नही बन पाया है जबकि आधे छात्र मूल गांव में पढ़ाई कर रहे हैं जबकि पुनर्वास बसाहट में रह रहे छात्र करीब 4 किमी दूरी तय कर खेड़ी पुनर्वास गांव जाने को मजबूर है।


Body:सरदार सरोवर बांध प्रभावित पिपलूद गांव की आबादी लगभग 1500 है जहाँ आज भी मूल गांव में स्कूल संचालित हो रहा है क्योंकि वर्ष 2006 में पुनर्वास बसाहट गांव में माध्यमिक शाला के लिए करीब 17 लाख रुपए स्वीकृत होकर अब तक भवन नही बन पाया है । भवन के अभाव में पढ़ने वाले बच्चे भी चार से पांच किमी दूर जाकर पढ़ाई कर रहे है। एक और बांध प्रभावितों के पुर्नवास को लेकर सरकार शतप्रतिशत सुविधायुक्त बसाहट बताती रही है जबकि धरातल पर कोरी कागजी जवाबदेही दिखाई दे रही है। ग्रामीण कलेक्टर से भूअर्जन अधिकारी के साथ साथ वर्तमान नर्मदा घाटी मंत्री सुरेंद्र बघेल से भी गुहार लगा चुके है लेकिन बसाहट में स्कूल भवन बनाने को लेकर रुचि नही दिखाई दी जबकि माध्यमिक स्कूल भवन के लिए 17 लाख की राशि भूअर्जन एवं पुनर्वास कार्यालय में जमा है। ग्रामीणों का कहना है कि उक्त राशि बगुद पंचायत को दी जाए ताकि स्कूल भवन निर्माण शुरू हो सके।
बाइट01-बसंतीलाल कुमावत-शिक्षक
बाइट02- रमेश यादव-ग्रामीण


Conclusion:पुनर्वास बसाहटों मूलभूत सुविधाओं को लेकर सरकारी स्तर पर किए जाने वाले दांवों की पोल इस बात से ही खुल जाती है कि 13 साल से माध्यमिक स्कूल की राशि जमा होने के बावजूद अब तक बसाहट में भवन नही बन पाया है।
Last Updated : Jul 26, 2019, 9:50 PM IST
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