बड़वानी। जिले के सरदार सरोवर बांध के डूबे प्रभावित गांवों में पुनर्वास के दावे खोखले साबित हो रहे हैं. नर्मदा नदी किनारे बसे पिपलूद गांव के लोग सालों बाद भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीवन यापन करने को मजबूर हैं.
आलम ये है कि पुनर्वास बसाहट पर 13 साल से राशि स्वीकृत होने के बाद भी स्कूल भवन अभी तक नहीं बन पाया है. जिस वजह से भवन के अभाव में पढ़ने वाले बच्चे भी चार से पांच किलोमीटर दूर जाकर पढ़ाई कर रहे हैं.
बगुद पंचायत अंतर्गत आने वाली पिपलूद मूल गांव में आज भी माध्यमिक और प्राथमिक स्कूल संचालित हो रहे है, जबकि पुनर्वास बसाहट पर 13 साल से राशि स्वीकृत होने के बाद भी स्कूल भवन अभी तक नहीं बन पाया है. जिस वहज से आधे छात्र मूल गांव में पढ़ाई कर रहे हैं और पुनर्वास बसाहट में रह रहे छात्रों को करीब 4 किमी दूरी तय करने को मजबूर हैं.
बता दें कि सरदार सरोवर बांध प्रभावित पिपलूद गांव की आबादी लगभग 15 सौ है. 2006 में पुनर्वास बसाहट गांव में माध्यमिक शाला के लिए करीब 17 लाख रुपए स्वीकृत होकर अब तक भवन नहीं बन पाया है. भवन के अभाव में पढ़ने वाले बच्चे भी चार से पांच किमी दूर जाकर पढ़ाई कर रहे है. जबकि सरकार बांध प्रभावित क्षेत्रों के पुर्नवास को लेकर शतप्रतिशत सुविधायुक्त बताती रही है लेकिन धरातल पर जमीनी हकिकत कुछ और ही बयां कर रही है.
ग्रामीण कलेक्टर से लेकर भूअर्जन अधिकारी के साथ-साथ नर्मदा घाटी के मंत्री सुरेंद्र बघेल से भी गुहार लगा चुके है लेकिन बसाहट में स्कूल भवन बनाने को लेकर रुचि नहीं दिखाई दी. ग्रामीणों का कहना है कि भवन की राशि बगुद पंचायत को दी जाए ताकि स्कूल भवन निर्माण शुरू हो सके.