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सरदार सरोवर बांध के बैक वाटर से खेत बने टापू, नाव बनी सहारा तो जिम्मेदार झाड़ रहे पल्ला

मध्य प्रदेश में इस बार बारिश ने भारी तबाही मचाई. बड़वानी जिले में भी नर्मदा और सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों के परेशानियां झेलनी पड़ी. गांव के गांव पूरी तरह बाढ़ में डूब चुके हैं, तो कई गांव टापू में तब्दील हो गए हैं, ऐसे में यहां को किसान काफी परेशान हो रहा है. देखिए विस्थापितों और किसानों पर ईटीवी भारत की यह स्पेशल रिपोर्ट...

Island farmer
टापू का किसान
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Published : Oct 28, 2020, 11:49 PM IST

बड़वानी। मध्य प्रदेश में बारिश अब थम चुकी है, जैसे-जैसे बाढ़ कम होती जा रही है, वैसे-वैसे बर्बादी का मंजर दिखने लगा. नर्मदाचंल में बसे बड़वानी जिले में बाढ़ ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई. जहां सरदार सरोवर से बांध से सटे गांव पूरी तरह बाढ़ के पानी में डूब गए, तो कई गांव टापू में तब्दील हो गए. बाढ़ ने ऐसा कहर बरपाया कि लोगों का घर-बार उजड़ गया, सामान बह गया. बस पीछे छूट गए बर्बादी के निशान. अब जब हालात कुछ सामान्य हुए तो किसानों के लिए मुशीबत खड़ी हो गई है, गांव के गांव टापू में तब्दील होने के कारण उन्हें अपने फसलों के परिवहन के लिए नाव का सहारा लेने पड़ता है.

सरदार सरोवर बांध के बैक वाटर से खेत बने टापू

सरकार के प्रयास नकाफी

कोरोना महामारी ने किसानों की कमर तोड़ दी और रही कसर फिर एक बार बांध को पूरा भरने के चक्कर मे पूरी हो गई. बात चाहे पुनर्वास की हो या मुआवजे की या डूब प्रभावित क्षेत्र में किसानों की खेतो के टापू बनने की, सरकार और प्रशासन को अब तक कोई पुख्ता कदम नहीं उठाया गया, जो यहां के लोगों को राहत दे सके. जिम्मेदार व्यवस्थाओं की बात तो करते रहते हैं, लेकिन जमीन पर लोगों की परेशानी कम नहीं हो रही हैं.

Barwani agricultural land becomes island due to back water of Sardar Sarovar Dam
नाव से अनाज का परिवहन

नाव के सहारे हो रहा फसलों का परिवहन

ईटीवी भारत नाव से 3 किमी का सफर तय कर डूब प्रभावित गांव पिपलूद पहुंचा, जहां के हकीकत को जानने की कोशिश की तो नजर आई यहां की भयावह तस्वीरें. आप तस्वीरों में देख सकते है कि किस तरह गांव के मकान डूब कर जीर्णशीर्ण हो गए हैं, तो कुछ स्थान टापू बन गए है. इससे बड़ी विडम्बना क्या होगी कि किसान नाव के सहारे 3 किमी का सफर जान जोखिम में डालकर करता है और अपनी उपज को बाजार लेकर जाता है, वहां भी उसे कोई राहत नहीं मिल पाती. बेबस किसान कभी नर्मदा के जलस्तर को देखता है तो कभी खेत मे लहलहाती कपास की फसल को.

Barwani agricultural land becomes island due to back water of Sardar Sarovar Dam
नाव से अनाज का परिवहन

17 सौ हेक्टेयर भूमि बनी टापू

किसान के अनुसार जिले में करीब 17 सौ हेक्टेयर भूमि टापू व मार्ग अवरुद्ध हो गई है, जिसमे खेती करने वाले किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से 60 हजार रुपए का नुकसान हो रहा. इसे कुल मिलाकर देखा जाए तो क्षेत्र के किसानों को करीब 25 करोड़ का नुकशान हो रहा है. लेकिन उनकी प्रशासन व जनप्रतिनिधि किसानों की मांगों को मानने के बजाय केवल कोरे आश्वासन दिए जा रहे हैं. जिसके चलते लोगों में आक्रोश व्याप्त है.

खेतों में सड़ रही फसल

प्रकृति के प्रकोप और प्रशासन की लापरवाही के कारण किसान को चौतरफा मार झेलना रहा है. लाखो का कर्ज लेकर फसल बोई और जब फसल पक कर तैयार हुई तो बैकवाटर ने नींद उड़ा दी है. फसल को घर तक लाने के लिए कई जोखिम उठाना पड़ रहे है, कपास को तोड़ने के लिए एक ओर मजदूरों को नाव से ही खेतो तक ले जाना होता है, जिसके लिए मजदूर भी ज्यादा मजदूरी मांगते हैं. वहीं कई किसानों की गन्ना, कपास,सोयाबीन, मिर्च और पपीता की फसल खेतो में ही सड़ रही है, क्योंकि नाव के माध्यम से इन फसलों को का परिवहन कर पाना संभव नहीं.

Barwani agricultural land becomes island due to back water of Sardar Sarovar Dam
टापू बने गांव

दो साल हो रही भारी समस्या

वर्तमान में सरदार सरोवर बांध के सभी गेट बंद हैं. बाध को भरने की जद्दोजहद में इसके दूसरे पहलुओं को नजरअंदाज कर दिया गया. सरदार सरोबर बांध का जलस्तर अभी 135 मीटर के लगभग हैं, अनुमान है कि सरदार पटेल की जयंती तक यानी 31 अक्टूबर तक इसका जलस्तर 138.68 मीटर हो जाएगा. ऐसा लगातार दूसरा साल होगा की बाध इस स्तर तक भरा हो. पिछले साल 8 माह तक नर्मदा के कछार वाला क्षेत्र जलमग्न रहा.

Barwani agricultural land becomes island due to back water of Sardar Sarovar Dam
किसान परेशान

परेशान किसानों ने मांगी इच्छामृत्यु

क्षेत्र में 18 किसानों की 120 एकड़ खेती भी नर्मदा के बैकवाटर की भेंट चढ़ रही है. पिपलूद में किसान दिलीप की 10 एकड़ खेती टापू बन गई है, चारो ओर नर्मदा का बैकवाटर फैला है. क्षेत्रीय विधायक व पशुपालन मंत्री प्रेमसिंह पटेल ने कलेक्टर को डूब प्रभावितों की समस्याओं को सुलझाने के लिए कमेटी बनाकर जांच के आदेश दिए, लेकिन वह भी हवा हवाई हो गए. किसानों ने जिला प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों तक गुहार लगाई, लेकिन अभी करकोई निराकरण नहींं निकला. थक हार कर किसान इच्छामृत्यु की मांग कर रहे है.

कहां-कहां हैं सरदार सरोवर बांध का प्रभाव

सरदार सरोवर बांध के बनने से सबसे ज्यादा डूब का प्रभाव बड़वानी तथा धार जिले में देखने को मिलता है. इसके अलावा झाबुआ, अलीराजपुर और खरगोन जिले में भी डूब की समस्या बैक वाटर से पैदा होती रहती है. सरदार सरोबर को अधिकतम भरने से मध्यप्रदेश में नर्मदा घाटी में बसे 192 गांवों और एक कस्बा हमेशा हमेशा के लिए डूब की जद में आ गया है. वही लगभग 32000 परिवार प्रभावित हुए हैं. कई परिवार आज भी अपने हक और अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं.

Barwani agricultural land becomes island due to back water of Sardar Sarovar Dam
उपज हो रही बर्बाद

सरकारी दावे सही को ये कौन है जो हाहाकार कर रहे हैं

पुर्नवास, मुआवजा, आर्थिक पैकेज और नर्मदा नदी से जुड़े रोजगारमूलक प्रभावित लोग सरदार सरोवर बांध के बैकवाटर के बीच जीवन मरण का संघर्ष कर रहे है. अधिकारीयों द्वारा की गई विसंगतियों का खामियाजा नर्मदा घाटी के लोग उठा रहे है. सरकार के दावों के अनुसार सब को लाभ दे दिया गया, लेकिन अब सवाल उठता है कि अगर सभी को उनका अधिकार मिल गया तो, यह लोग कौन है जो बढ़ते जलस्तर के बीच जान जोखिम में डाल कर टापुओं फसलें बो रहे हैं, धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और अनशन पर बैठ रहे हैं. पुर्नवास शून्य घोषित है तो घाटी में हाहाकार क्यो है? आखिर क्यों जिला प्रशासन नर्मदा घाटी के प्रभावितों की सुनवाई करने में आनाकानी कर रहा है.

Barwani agricultural land becomes island due to back water of Sardar Sarovar Dam
नाव से सफर करता किसान

बड़वानी। मध्य प्रदेश में बारिश अब थम चुकी है, जैसे-जैसे बाढ़ कम होती जा रही है, वैसे-वैसे बर्बादी का मंजर दिखने लगा. नर्मदाचंल में बसे बड़वानी जिले में बाढ़ ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई. जहां सरदार सरोवर से बांध से सटे गांव पूरी तरह बाढ़ के पानी में डूब गए, तो कई गांव टापू में तब्दील हो गए. बाढ़ ने ऐसा कहर बरपाया कि लोगों का घर-बार उजड़ गया, सामान बह गया. बस पीछे छूट गए बर्बादी के निशान. अब जब हालात कुछ सामान्य हुए तो किसानों के लिए मुशीबत खड़ी हो गई है, गांव के गांव टापू में तब्दील होने के कारण उन्हें अपने फसलों के परिवहन के लिए नाव का सहारा लेने पड़ता है.

सरदार सरोवर बांध के बैक वाटर से खेत बने टापू

सरकार के प्रयास नकाफी

कोरोना महामारी ने किसानों की कमर तोड़ दी और रही कसर फिर एक बार बांध को पूरा भरने के चक्कर मे पूरी हो गई. बात चाहे पुनर्वास की हो या मुआवजे की या डूब प्रभावित क्षेत्र में किसानों की खेतो के टापू बनने की, सरकार और प्रशासन को अब तक कोई पुख्ता कदम नहीं उठाया गया, जो यहां के लोगों को राहत दे सके. जिम्मेदार व्यवस्थाओं की बात तो करते रहते हैं, लेकिन जमीन पर लोगों की परेशानी कम नहीं हो रही हैं.

Barwani agricultural land becomes island due to back water of Sardar Sarovar Dam
नाव से अनाज का परिवहन

नाव के सहारे हो रहा फसलों का परिवहन

ईटीवी भारत नाव से 3 किमी का सफर तय कर डूब प्रभावित गांव पिपलूद पहुंचा, जहां के हकीकत को जानने की कोशिश की तो नजर आई यहां की भयावह तस्वीरें. आप तस्वीरों में देख सकते है कि किस तरह गांव के मकान डूब कर जीर्णशीर्ण हो गए हैं, तो कुछ स्थान टापू बन गए है. इससे बड़ी विडम्बना क्या होगी कि किसान नाव के सहारे 3 किमी का सफर जान जोखिम में डालकर करता है और अपनी उपज को बाजार लेकर जाता है, वहां भी उसे कोई राहत नहीं मिल पाती. बेबस किसान कभी नर्मदा के जलस्तर को देखता है तो कभी खेत मे लहलहाती कपास की फसल को.

Barwani agricultural land becomes island due to back water of Sardar Sarovar Dam
नाव से अनाज का परिवहन

17 सौ हेक्टेयर भूमि बनी टापू

किसान के अनुसार जिले में करीब 17 सौ हेक्टेयर भूमि टापू व मार्ग अवरुद्ध हो गई है, जिसमे खेती करने वाले किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से 60 हजार रुपए का नुकसान हो रहा. इसे कुल मिलाकर देखा जाए तो क्षेत्र के किसानों को करीब 25 करोड़ का नुकशान हो रहा है. लेकिन उनकी प्रशासन व जनप्रतिनिधि किसानों की मांगों को मानने के बजाय केवल कोरे आश्वासन दिए जा रहे हैं. जिसके चलते लोगों में आक्रोश व्याप्त है.

खेतों में सड़ रही फसल

प्रकृति के प्रकोप और प्रशासन की लापरवाही के कारण किसान को चौतरफा मार झेलना रहा है. लाखो का कर्ज लेकर फसल बोई और जब फसल पक कर तैयार हुई तो बैकवाटर ने नींद उड़ा दी है. फसल को घर तक लाने के लिए कई जोखिम उठाना पड़ रहे है, कपास को तोड़ने के लिए एक ओर मजदूरों को नाव से ही खेतो तक ले जाना होता है, जिसके लिए मजदूर भी ज्यादा मजदूरी मांगते हैं. वहीं कई किसानों की गन्ना, कपास,सोयाबीन, मिर्च और पपीता की फसल खेतो में ही सड़ रही है, क्योंकि नाव के माध्यम से इन फसलों को का परिवहन कर पाना संभव नहीं.

Barwani agricultural land becomes island due to back water of Sardar Sarovar Dam
टापू बने गांव

दो साल हो रही भारी समस्या

वर्तमान में सरदार सरोवर बांध के सभी गेट बंद हैं. बाध को भरने की जद्दोजहद में इसके दूसरे पहलुओं को नजरअंदाज कर दिया गया. सरदार सरोबर बांध का जलस्तर अभी 135 मीटर के लगभग हैं, अनुमान है कि सरदार पटेल की जयंती तक यानी 31 अक्टूबर तक इसका जलस्तर 138.68 मीटर हो जाएगा. ऐसा लगातार दूसरा साल होगा की बाध इस स्तर तक भरा हो. पिछले साल 8 माह तक नर्मदा के कछार वाला क्षेत्र जलमग्न रहा.

Barwani agricultural land becomes island due to back water of Sardar Sarovar Dam
किसान परेशान

परेशान किसानों ने मांगी इच्छामृत्यु

क्षेत्र में 18 किसानों की 120 एकड़ खेती भी नर्मदा के बैकवाटर की भेंट चढ़ रही है. पिपलूद में किसान दिलीप की 10 एकड़ खेती टापू बन गई है, चारो ओर नर्मदा का बैकवाटर फैला है. क्षेत्रीय विधायक व पशुपालन मंत्री प्रेमसिंह पटेल ने कलेक्टर को डूब प्रभावितों की समस्याओं को सुलझाने के लिए कमेटी बनाकर जांच के आदेश दिए, लेकिन वह भी हवा हवाई हो गए. किसानों ने जिला प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों तक गुहार लगाई, लेकिन अभी करकोई निराकरण नहींं निकला. थक हार कर किसान इच्छामृत्यु की मांग कर रहे है.

कहां-कहां हैं सरदार सरोवर बांध का प्रभाव

सरदार सरोवर बांध के बनने से सबसे ज्यादा डूब का प्रभाव बड़वानी तथा धार जिले में देखने को मिलता है. इसके अलावा झाबुआ, अलीराजपुर और खरगोन जिले में भी डूब की समस्या बैक वाटर से पैदा होती रहती है. सरदार सरोबर को अधिकतम भरने से मध्यप्रदेश में नर्मदा घाटी में बसे 192 गांवों और एक कस्बा हमेशा हमेशा के लिए डूब की जद में आ गया है. वही लगभग 32000 परिवार प्रभावित हुए हैं. कई परिवार आज भी अपने हक और अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं.

Barwani agricultural land becomes island due to back water of Sardar Sarovar Dam
उपज हो रही बर्बाद

सरकारी दावे सही को ये कौन है जो हाहाकार कर रहे हैं

पुर्नवास, मुआवजा, आर्थिक पैकेज और नर्मदा नदी से जुड़े रोजगारमूलक प्रभावित लोग सरदार सरोवर बांध के बैकवाटर के बीच जीवन मरण का संघर्ष कर रहे है. अधिकारीयों द्वारा की गई विसंगतियों का खामियाजा नर्मदा घाटी के लोग उठा रहे है. सरकार के दावों के अनुसार सब को लाभ दे दिया गया, लेकिन अब सवाल उठता है कि अगर सभी को उनका अधिकार मिल गया तो, यह लोग कौन है जो बढ़ते जलस्तर के बीच जान जोखिम में डाल कर टापुओं फसलें बो रहे हैं, धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और अनशन पर बैठ रहे हैं. पुर्नवास शून्य घोषित है तो घाटी में हाहाकार क्यो है? आखिर क्यों जिला प्रशासन नर्मदा घाटी के प्रभावितों की सुनवाई करने में आनाकानी कर रहा है.

Barwani agricultural land becomes island due to back water of Sardar Sarovar Dam
नाव से सफर करता किसान
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