बड़वानी। इन दिनों नर्मदा के ऊपरी कछार में हो रही भारी बारिश के चलते नर्मदा के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है, वहीं कई जगह तो नर्मदा खतरे के निशान को भी छूने लगी हैं. सरदार सरोवर बांध के गेट नहीं खुलने से नर्मदा के तटीय इलकों में बाढ़ जैसी स्थिति बन रही है. ऐसा ही कुछ हाल है, बड़वानी के कई नर्मदा तटीय इलकों का, जहां धीरे-धीरे फसलें पानी में डूब रही हैं, तो कई जगहों में फसलें जलमग्न हो गई हैं, जिससे किसान को होने वाले नुकसान का बोझ बढ़ता जा रहा है.
![back water of narmada became problem for farmers](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/7573759_thumbn.jpg)
फसलों को हुआ भारी नुकसान
नर्मदा किनारे खेतों में किसानों ने गेहूं, मक्का, ज्वार, गन्ना आदि फसल बोई थी, जो पानी में जलमग्न हो गई. वर्तमान में तेजी से नर्मदा का जलस्तर बढ़ रहा है, जो कि चरघाट में 126 मीटर से ऊपर पहुंच गया है. वही नर्मदा खतरे के निशान से 3 मीटर ऊपर बह रही है. पिछले साल बैक वाटर के चलते फसलों को नुकसान हुआ था. इस साल भी बारिश के पहले जल स्तर बढ़ने से किसानों के सिर पर खतरा मड़राने लगा है. खेतों में लगी कद्दू, भिंडी, चतरफली और ज्वार की फसल को नुकसान हुआ है.
जानवरों को खिला रहे फसल
जिले में हो रही प्री मानसून बारिश के चलते नर्मदा के जल स्तर में व्यापक वृद्धि हुई है, वहीं सरदार सरोवर बांध के गेट नहीं खोलने से बैक वाटर करीब डेढ़ किलोमीटर तक फैल गया है, जिससे सैकड़ों हेक्टेयर खेत जलमग्न हो गए हैं. खेत में खड़ी फसलें डूब गई हैं. किसान खेत में खड़ी फसलों को जानवरों को खिला रहे हैं.
अन्नदाता की बढ़ रही चिंता
सरदार सरोवर बांध से प्रभावित नर्मदा किनारे के डूब क्षेत्र वाले अन्नदाताओं को कई तरीके से मार पड़ रही है. पहले तो नर्मदा के बैक वाटर से 6 महीने तक कोई फसल नहीं ले पाए. वही जब पानी उतरा तो कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के कारण किसान खेतों की तरफ रुख नहीं कर पाए और अब जब लॉकडाउन खुला तो बरसात और बैक वाटर ने किसानों की कमर तोड़ दी है. ऐसे में किसानों पर कर्ज बढ़ता जा रहा है. आय का जरिया भी समाप्त हो रहा है, जिसको लेकर किसान चिंतित दिखाई दे रहे हैं.