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डॉ डीके जैन का हुआ रिटायरमेंट, लोगों ने सम्मान के साथ दी बिदाई - etv bharat news

शहर में लाइफलाइन के नाम से अपनी पहचान बनाने वाले डॉ. डीके जैन रिटायर हो गए, इसी के चलते लोगों ने श्रीफल भेंट करते हुए पुष्प मालाएं पहनाई. साथ ही बैंड-बाजों के साथ घर तक छोडने भी पहुंचे.

डॉ डीके जैन का हुआ रिटायरमेंट
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Published : Sep 1, 2019, 2:02 PM IST

अशोकनगर। शहर में लाइफलाइन के नाम से अपनी पहचान बनाने वाले डॅा. डीके जैन की सेवानिवृत्त हो गई. इसी के चलते जब वह जिला अस्पताल से निकले तो रास्ते में लोगों ने उनको श्रीफल भेंट करते हुए पुष्प मालाएं पहनाई. इस दौरान उनके साथ शहर के गणमान्य नागरिक और समाजसेवी संस्थाओं के लोग रहे. इतना ही नही अस्पताल प्रबंधन के लोग उन्हे बैंड-बाजों के साथ घर तक छोडने भी पहुंचे.

डॉ डीके जैन का हुआ रिटायरमेंट

कुछ इस तरह रहा डॉ. डीके जैन की लोकप्रियता का ग्राफ

एक तरफ जहां डॉक्टरों के कुर्सियों पर न बैठने की समस्याएं पूरे प्रदेश में चल रही हैं वहीं दूसरी तरफ हर दिन ड्यूटी के अतिरिक्त रात को घूमकर वापस लौटते समय फिर राउंड मारने वाले डॉक्टर कम ही मिलते हैं. डॉ. डीके जैन की लोकप्रियता का ग्राफ शहर के सभी डॉक्टरों से अलग रहा.

रात को किसी भी समय कभी भी अगर कोई सीरियस मरीज अस्पताल में भर्ती हुआ तो इमरजेंसी ड्यूटी डॉक्टर का फोन सबसे पहले डॉ. जैन के पास पहुंचता था. यहां तक फोन करने के बाद ईसीजी या अन्य रिपोर्ट वाट्सएप पर भेजकर जूनियर डॉक्टर उनके मार्गदर्शन के अनुसार मरीजों का इलाज करते रहे हैं. यहीं वजह रही कि श्री जैन को शहर की लाइफलाइन के नाम से पहचान मिली.

अशोकनगर। शहर में लाइफलाइन के नाम से अपनी पहचान बनाने वाले डॅा. डीके जैन की सेवानिवृत्त हो गई. इसी के चलते जब वह जिला अस्पताल से निकले तो रास्ते में लोगों ने उनको श्रीफल भेंट करते हुए पुष्प मालाएं पहनाई. इस दौरान उनके साथ शहर के गणमान्य नागरिक और समाजसेवी संस्थाओं के लोग रहे. इतना ही नही अस्पताल प्रबंधन के लोग उन्हे बैंड-बाजों के साथ घर तक छोडने भी पहुंचे.

डॉ डीके जैन का हुआ रिटायरमेंट

कुछ इस तरह रहा डॉ. डीके जैन की लोकप्रियता का ग्राफ

एक तरफ जहां डॉक्टरों के कुर्सियों पर न बैठने की समस्याएं पूरे प्रदेश में चल रही हैं वहीं दूसरी तरफ हर दिन ड्यूटी के अतिरिक्त रात को घूमकर वापस लौटते समय फिर राउंड मारने वाले डॉक्टर कम ही मिलते हैं. डॉ. डीके जैन की लोकप्रियता का ग्राफ शहर के सभी डॉक्टरों से अलग रहा.

रात को किसी भी समय कभी भी अगर कोई सीरियस मरीज अस्पताल में भर्ती हुआ तो इमरजेंसी ड्यूटी डॉक्टर का फोन सबसे पहले डॉ. जैन के पास पहुंचता था. यहां तक फोन करने के बाद ईसीजी या अन्य रिपोर्ट वाट्सएप पर भेजकर जूनियर डॉक्टर उनके मार्गदर्शन के अनुसार मरीजों का इलाज करते रहे हैं. यहीं वजह रही कि श्री जैन को शहर की लाइफलाइन के नाम से पहचान मिली.

Intro:अशोकनगर. शहर में लाइफलाइन के नाम से अपनी पहचान बनाने बाले डा. डीके जैन की सेवानिवृत्त हो गई. 38 सालों से शासन द्वारा निर्धारित समय के अतिरिक्त मरीजों के इलाज के लिए तत्पर रहने वाले डा. जैन जब जिला अस्पताल से निकले तो रास्ते में लोगों ने घरों से बाहर निकलकर उनको श्रीफल भेंट करते हुए पुष्प मालाएं पहनाई. इस दौरान उनके साथ शहर के गणमान्य नागरिक और समाजसेवी संस्थाओं के लोग रहे.इतना ही नही अस्पताल प्रबंधन के लोग उन्हे बैड-बाजों के साथ घर तक छोडने भी पहुंचे.
Body:एक तरफ जहां डॉक्टरों के कुर्सियों पर न बैठने की समस्याएं पूरे प्रदेश में चल रही हैं वहीं दूसरी तरफ हर दिन ड्यूटी के अतिरिक्त रात को घूमकर वापस लौटते समय फिर राउंड मारने वाले डॉक्टर कम ही मिलते हैं. डा. डीके जैन की लोकप्रियता का ग्राफ शहर के सभी डॉक्टरों से अलग रहा. रात को किसी भी समय कभी भी अगर कोई सीरियस मरीज अस्पताल में भर्ती हुआ तो इमरजेंसी ड्यूटी डॉक्टर का फोन सबसे पहले डा. जैन के पास पहुंचता था. यहां तक फोन करने के बाद ईसीजी या अन्य रिपोर्ट वाट्सएप पर भेजकर जूनियर डॉक्टर उनके मार्गदर्शन के अनुसार मरीजों का इलाज करते रहे हैं. यहीं वजह रही कि श्री जैन को शहर की लाइफलाइन के नाम से पहचान मिली. जिला अस्पताल में विदाई समारोह में शहर के गणमान्य नागरिक और समाजसेवी संगठनों के लोग मौजूद रहे लेकिन जब जिला अस्पताल की सीमा को उन्होंने पार किया तो उनका रास्ते में लोगों ने घरों से उतरकर श्रीफल और पुष्पहार पहनाते हुए स्वागत किया.
डा. जैन ने सेवानिवृत्ति के बाद अस्पताल में पदस्थ डॉक्टरों से कहा कि जब भी उनकी जरूरत महसूस हो तो वे उनको याद कर सकते हैं। डा. जैन ने कहा कि शासकीय सेवा से वे सेवानिवृत्त हुए हैं लेकिन मरीजों की सेवा वे लगातार करते रहेंगे.Conclusion:दो साल पहले डा. जैन ने शासन को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन दिया था. लेकिन जब इसकी जानकारी शहर के समाजसेवियों को लगी तो उन्होंने जिला अस्पताल पहुंचकर डा. जैन को निर्णय बदलने की अपील की.वहीं इस मामले को लेकर जिला कलेक्टर के पास भी समाजसेवियों ने पहुंचकर उनके आवेदन को निरस्त कराने की मांग की थी. जिला प्रशासन और समाजसेवियों के अनौखे दबाव में आखिर उन्हें अपना निर्णय बदलना पड़ा.
वाइट-डॉ डीके जैन
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