अनूपपुर। श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण के लिये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं विश्वहिन्दू परिषद के रामसेवकों द्वारा 15 जनवरी से 31 जनवरी तक चलाये गये राम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण महासंपर्क अभियान का प्रथम चरण पूरा हो चुका है. यह अभियान देश भर में चलाया जा रहा है. अब 1 फरवरी ,सोमवार से द्वितीय चरण के सघन अभियान का शुभारंभ ग्राम, कस्बों, शहरों में किया जा चुका है.
द्वितीय चरण में निधि समर्पण के इस महा अभियान में राम सेवक प्रत्येक घर में जा कर राम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण के लिये श्रद्धालुओं द्वारा यथाश्रद्धा समर्पित की गयी. निधि का संग्रह करने के साथ–साथ उन्हें अयोध्या में मन्दिर निर्माण की जानकारी प्रदान कर रहे हैं.
इस महाअभियान की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह अभियान बिना जाति, धर्म, वर्ग, भाषा, क्षेत्र, विचारधारा का भेद किये,निर्विकार भाव से,राम कार्य मान कर पूरा किया जा रहा है. 15 से 31 जनवरी तक प्रथम चरण के अभियान में लोगों ने पूरी श्रद्धा के साथ 5001 रुपये तथा उससे अधिक की निधि अर्पित की.प्रत्येक परिवार से संपर्क के इस महा अभियान के हेतु बने भगवान राम के नाम से सभी जनमानस में व्यापक उत्साह है.
संत, महात्मा, गृहस्थ, किसान ,मजदूर, व्यापारी,अधिकारी- कर्मचारियों, पत्रकारों सहित अमीर–गरीब,हर जाति के लोगों में श्रद्धा,भक्ति भावना का उभार देखने को मिल रहा है. राम सेवक जिस परिवार,जिस दरवाजे पर जा रहे हैं, वहां उनका देवतुल्य आत्मीय स्वागत हो रहा है. कहीं राम सेवकों के पैर पखारे जा रहे हैं, तो कहीं उनके माथे पर रोली – अक्षत से टीका किया गया. कुछ लोगों ने रामसेवकों को पुष्प मालाएं पहनाईं , तो कहीं साल– श्री फल से स्वागत् कर श्रद्धा निधि अर्पित की. राम सेवकों को भगवान राम का दूत मानकर लोगों ने उनके घर आगमन से पहले आंगन में रंगोलियां सजाई, द्वार पर अशोक–आम के वन्दनवार लगाए.
ऐसा अटूट समर्पण भाव मां नर्मदा की अमरकंटक के वार्ड क्रमांक १३ अयोध्या बस्ती की भूरी बाई और ललई मोंगरे के गरीब परिवार मे देखने को मिला. अनुसूचित जाति परिवार के इन भक्तों के असीम प्रेम के आगे मृत्युंजय आश्रम के स्वामी हरिहरानंद जी एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक राकेश द्विवेदी स्वत: श्रद्धावनत होकर इनके दरवाजे जा पहुंचे. राम सेवकों को अपने घर पर पाकर परिवार के लोग गदगद हो गये. घर के आंगन में रंगोली सजाई गयी थी. मंगल कलश के पूजन उपरांत स्वामी हरिहरानंद जी ने भगवान राम के आदर्शों तथा जीवन चरित्र के बारे में विस्तार से वर्णन करते हुए लोगों को इसे अपने चरित्र में अपनाने का निवेदन किया.
भूरी बाई ने अपने एक माह का वेतन 5500 रुपये एवं ललई मोगरे ने 5100 रुपये की मजदूरी मन्दिर निर्माण के लिये अर्पित की. दलित परिवारों के बीच स्वयंसेवकों का पारिवारिक सदस्यों की तरह व्यवहार सामाजिक समरसता का अनुकरणीय उदाहरण माना जा रहा है. अमरकंटक के साधु–संतों ने भी अपेक्षा से अधिक निधि अर्पित की है. प्रसिद्ध समाजसेवी संत बाबा श्री कल्याण दास जी महाराज ने पांच लाख रुपये, फलाहारी पीठ अमरकंटक के परमपूज्य जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामराजेश्वराचार्य (माऊली सरकार) द्वारा 2 लाख रुपये, दिए गए.
डा भरत शरण सिंह ने 2,51,000 रुपए एवं ऐसे अन्य लोगों ने श्रद्धा निधि अर्पित किया है. ऐसे ही एक परिवार में जब संघ के प्रांत प्रचारक प्रवीण गुप्ता अन्य राम सेवकों के साथ पहुंचे तो उस परिवार की 75 वर्षीया माता नसावित्री देवी द्विवेदी ने अपने पेंशन से 1 लाख 11हजार 111 रुपये तथा मीसाबन्दी मूलचन्द्र अग्रवाल की 105 वर्षीया मां ने पूरी श्रद्धा से ग्यारह हजार रुपये की राशि समर्पित की.