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डरा-धमकाकर लोगों से अवैध वसूली करने वाले गिरोह का पर्दाफाश

जिले में लोगों को डरा-धमकाकर पैसे वसूलने वाले गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया है, गिरोह के सदस्य कभी सरकारी अफसर, तो कभी पुलिस की धमकी देकर लोगों से पैसे वसूलते थे.

Fake journalist gang caught in district
जिले में फर्जी पत्रकार गिरोह पकड़ा गया
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Published : May 18, 2021, 8:45 AM IST

अनूपपुर। जिले में कोरोना महामारी ने तबाही मचाई हुई है. लोग इससे परेशान हैं. इस दौरान कुछ लोग आपदा में अवसर की तलाश करते हुए अपने जालसाजी के कामों में भी डूबे हुए हैं. ताजा खबर राजेन्द्रग्राम थाना क्षेत्र का है. यहां पुलिस ने एक ऐसे गिरोह को पकड़ा है, जो पुलिस की धमकी देकर, तो कभी सरकारी अफसर बनकर लोगों को डरा-धमकाकर पैसों की वसूली कर रहे थे. गिरफ्तार किए गए चार आरोपियों में तीन पुरुष और एक महिला शामिल है. उनके पास से फर्जी प्रेस आई कार्ड, माइक, मोबाइल, कैमरा, और सायरन हुटर बरामद किए हैं.

शिकायत मिलने पर पुलिस ने की कार्रवाई

जानकारी के मुताबिक जिले के पुष्पराजगढ़ जनपद पंचायत के ग्रामीण क्षेत्रों में यह गिरोह काफी दिनों से सक्रिय था. लाॅकडाउन के दौरान यह गिरोह ग्रामीण अंचलों में जाकर दुकानों, वाहनों और बिना मास्क लगाए व्यक्तियों को डरा धमका कर अवैध वसूली करता था. लगातार हो रही घटनाओं की शिकायत पर थाना राजेन्द्रग्राम पुलिस ने उस गिरोह को पकड़ लिया. इसके बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश किया.

यह है पूरा मामला

मिली जानकारी के अनुसार मोहन लाल यादव, निवासी ग्राम बसही ने थाना राजेन्द्रग्राम में आकर 14 मई को एक रिपोर्ट दर्ज कराई. वह अपने घर में किराने की दुकान चलाते हैं. बीते दिनों 2 मई को दोपहर के 2 बजे के आसपास नीले रंग की कार, जिसका नंबर CG10-AM 5884 है. सायरन बजाते हुये उसके दुकान के सामने आकर रुकी. कार से एक महिला और तीन पुरुष उतरकर दुकान में आये और कहने लगे कि कोरोना काल में लगे लाॅकडाउन के बावजूद भी दुकान खोले हुए हो. इसकी सजा यह है कि तुम्हें जेल में डालकर कोरोना मरीजों के साथ रखा जाएगा, तुम्हारी दुकान भी सील कर दी जाएगी. कार्रवाई से बचना है तो अभी 10 हजार रुपये जमा करने पड़ेंगे. तब शिकायतकर्ता मोहन लाल ने कहा कि उसके पास सिर्फ 2500 रुपये ही हैं. तब गिरोह के सदस्यों में से एक व्यक्ति ने दुकान संचालक के गाल में तमाचा मारते हुए पैसे ले लिए. उसके बाद बगल की दुकान जिसके संचालक का नाम शंकर यादव है, की दुकान में चारों लोेग वहां गए. उससे भी कोरोना काल मे दुकान खोलने की बात करते हुए 2500 रुपये चालान के नाम पर वसूल कर लिए. मोहनलाल ने पुलिस को बताया कि लाॅकडाउन लगे होने की वजह से रिपोर्ट दर्ज कराने थाना राजेंद्रग्राम देरी से आया हूं. थाना पुलिस ने शिकायतकर्ता की शिकायत पर आईपीसी की धारा 237, 384, 385,188, 269, 270, 271, 34 और आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की.

संक्रमण को ध्यान में रखते बाहरी लोगों को ग्रामीणों ने किया प्रवेश निषेध

आपदा को बनाया ठगी का अवसर

फर्जी पत्रकारिता पुलिस के साथ अन्य रूप धारण कर ठगी करने वाले गिरोह के सदस्य बड़े सातिराना अंदाज मे अपने काम को अंजाम देते रहे हैं. ग्रामीणों को भनक तक नहीं लग पाती थी कि हूटर के साथ चलने वाली कार पुलिस की नहीं है, ठगी करने वाले गिरोह की है. इस समय लाॅकडाउन प्रदेश सहित जिले में भी लगा हुआ है. ऐसे समय घर से बाहर अनावश्यक रूप से निकलना शासकीय निर्देश अनुसार प्रतिबंधित है. ग्रामीण क्षेत्रों मे अधिकांश दुकानें रहवासी मकानों का हिस्सा होती है. घर व मकान का दरवाजा एक होने के वजह से घर के साथ दुकानें भी खुल जाती हैं. साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे वाहन सड़कों में दिखाई देने वाले राहगीरों, नरेगा अन्य के कार्य में आवश्यकतानुसार पत्रकार,पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी का फर्जी पहचान बताकर ठगी को अंजाम देते रहे हैं.

अनूपपुर। जिले में कोरोना महामारी ने तबाही मचाई हुई है. लोग इससे परेशान हैं. इस दौरान कुछ लोग आपदा में अवसर की तलाश करते हुए अपने जालसाजी के कामों में भी डूबे हुए हैं. ताजा खबर राजेन्द्रग्राम थाना क्षेत्र का है. यहां पुलिस ने एक ऐसे गिरोह को पकड़ा है, जो पुलिस की धमकी देकर, तो कभी सरकारी अफसर बनकर लोगों को डरा-धमकाकर पैसों की वसूली कर रहे थे. गिरफ्तार किए गए चार आरोपियों में तीन पुरुष और एक महिला शामिल है. उनके पास से फर्जी प्रेस आई कार्ड, माइक, मोबाइल, कैमरा, और सायरन हुटर बरामद किए हैं.

शिकायत मिलने पर पुलिस ने की कार्रवाई

जानकारी के मुताबिक जिले के पुष्पराजगढ़ जनपद पंचायत के ग्रामीण क्षेत्रों में यह गिरोह काफी दिनों से सक्रिय था. लाॅकडाउन के दौरान यह गिरोह ग्रामीण अंचलों में जाकर दुकानों, वाहनों और बिना मास्क लगाए व्यक्तियों को डरा धमका कर अवैध वसूली करता था. लगातार हो रही घटनाओं की शिकायत पर थाना राजेन्द्रग्राम पुलिस ने उस गिरोह को पकड़ लिया. इसके बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश किया.

यह है पूरा मामला

मिली जानकारी के अनुसार मोहन लाल यादव, निवासी ग्राम बसही ने थाना राजेन्द्रग्राम में आकर 14 मई को एक रिपोर्ट दर्ज कराई. वह अपने घर में किराने की दुकान चलाते हैं. बीते दिनों 2 मई को दोपहर के 2 बजे के आसपास नीले रंग की कार, जिसका नंबर CG10-AM 5884 है. सायरन बजाते हुये उसके दुकान के सामने आकर रुकी. कार से एक महिला और तीन पुरुष उतरकर दुकान में आये और कहने लगे कि कोरोना काल में लगे लाॅकडाउन के बावजूद भी दुकान खोले हुए हो. इसकी सजा यह है कि तुम्हें जेल में डालकर कोरोना मरीजों के साथ रखा जाएगा, तुम्हारी दुकान भी सील कर दी जाएगी. कार्रवाई से बचना है तो अभी 10 हजार रुपये जमा करने पड़ेंगे. तब शिकायतकर्ता मोहन लाल ने कहा कि उसके पास सिर्फ 2500 रुपये ही हैं. तब गिरोह के सदस्यों में से एक व्यक्ति ने दुकान संचालक के गाल में तमाचा मारते हुए पैसे ले लिए. उसके बाद बगल की दुकान जिसके संचालक का नाम शंकर यादव है, की दुकान में चारों लोेग वहां गए. उससे भी कोरोना काल मे दुकान खोलने की बात करते हुए 2500 रुपये चालान के नाम पर वसूल कर लिए. मोहनलाल ने पुलिस को बताया कि लाॅकडाउन लगे होने की वजह से रिपोर्ट दर्ज कराने थाना राजेंद्रग्राम देरी से आया हूं. थाना पुलिस ने शिकायतकर्ता की शिकायत पर आईपीसी की धारा 237, 384, 385,188, 269, 270, 271, 34 और आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की.

संक्रमण को ध्यान में रखते बाहरी लोगों को ग्रामीणों ने किया प्रवेश निषेध

आपदा को बनाया ठगी का अवसर

फर्जी पत्रकारिता पुलिस के साथ अन्य रूप धारण कर ठगी करने वाले गिरोह के सदस्य बड़े सातिराना अंदाज मे अपने काम को अंजाम देते रहे हैं. ग्रामीणों को भनक तक नहीं लग पाती थी कि हूटर के साथ चलने वाली कार पुलिस की नहीं है, ठगी करने वाले गिरोह की है. इस समय लाॅकडाउन प्रदेश सहित जिले में भी लगा हुआ है. ऐसे समय घर से बाहर अनावश्यक रूप से निकलना शासकीय निर्देश अनुसार प्रतिबंधित है. ग्रामीण क्षेत्रों मे अधिकांश दुकानें रहवासी मकानों का हिस्सा होती है. घर व मकान का दरवाजा एक होने के वजह से घर के साथ दुकानें भी खुल जाती हैं. साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे वाहन सड़कों में दिखाई देने वाले राहगीरों, नरेगा अन्य के कार्य में आवश्यकतानुसार पत्रकार,पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी का फर्जी पहचान बताकर ठगी को अंजाम देते रहे हैं.

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