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MP High Court आरटीआई के तहत क्यों नहीं दी जानकारी, मां शारदा देवी मंदिर प्रबंधन समिति के जिम्मेदारों को नोटिस जारी - आरटीआई के तहत क्यों नहीं दी जानकारी

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सतना जिला स्थित मां शारदा देवी मंदिर प्रबंधन समिति (Sharda Temple Management Committee) द्वारा सूचना के अधिकार के तहत जानकारी न दिये जाने के मामले में जवाब तलब किया है. चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने मामले में अनावेदकों को नोटिस जारी कर 27 जनवरी तक जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. उधर, अनूपपुर में नाबालिग से गैंग रेप के जुर्म में दो युवकों को 20-20 साल की सजा सुनाई गई. दोनों पर जुर्माना भी ठोका गया है.

MP High Court
मां शारदा देवी मंदिर प्रबंधन समिति के जिम्मेदारों को नोटिस जारी
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Published : Dec 13, 2022, 7:32 PM IST

जबलपुर/अनूपपुर। यह जनहित याचिका मैहर निवासी विजय कुमार श्रीवास्तव की ओर से दायर की गई है. जिसमें कहा गया है कि मैहर शारदा मंदिर समिति का अध्यक्ष जिला कलेक्टर होता है और प्रशासक एसडीओ को नियुक्त किया गया है. इसके बावजूद वर्ष 2002 के बने नियमानुसार समिति का गठन किया गया, लेकिन किसी भी तरह की जानकारी जब आरटीआई के तहत मांगी जाती है तो समिति साफ इंकार कर देती है, जोकि अवैधानिक है. मामले में सचिव धार्मिक न्याय, कमिश्नर रीवा, सतना कलेक्टर, एसडीओ मैहर व मैहर शारदा देवी मंदिर प्रबंधन समिति को पक्षकार बनाया गया है. सुनवाई के बाद न्यायालय ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आशीष रावत ने पक्ष रखा.

महाधिवक्ता को पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया : हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को बताया गया कि महाधिवक्ता को सरकार ने पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया है. इसके अलावा लॉ ऑफिसर को पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की जिम्मेदारी दी गयी है. याचिकाकर्ता ने युगलपीठ को बताया कि याचिका में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर को अनावेदक बनाया गया है. जिन्होंने अभी तक जवाब पेश नहीं किया. पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की नियुक्त के लिए हाईकोर्ट की सहमति अनिवार्य है. अधारताल निवासी ज्ञानप्रकाश की तरफ से दायर याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया था कि राज्य सरकार द्वारा नियमों की अनदेखी करके डायरेक्टर प्रॉसिक्यूशन के पद पर नियुक्ति नहीं की जा रही, जो अवैधानिक है. अगली सुनवाई जनवरी माह के तीसरे सप्ताह में निर्धारित की गई है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष स्वयं रखा।

Jabalpur High Court भगवान सिंह एनकाउंटर मामले में मजिस्ट्रेट जांच की रिपोर्ट तलब, 4 हफ्ते बाद अगली सुनवाई

नाबालिग से गैंगरेप में दो युवकों को 20 साल की सजा : गैंग रेप के मामले में अनूपपुर अपर सत्र की न्यायालय ने 29 वर्षीय ललेश उर्फ लवकेश महरा व 26 वर्षीय रामनरेश महरा को 20-20 वर्ष के कठोर कारावास व 15-15 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई हैं. पैरवी विशेष (पॉक्सो) लोक अभियोजक हेमंत अग्रवाल राजेन्द्राग्राम ने की. सहायक जिला अभियोजन अधिकारी ने बताया कि थाना राजेन्द्रग्राम में दर्ज मामले के अनुसार 15 वर्षीय पीड़िता मां की मृत्यु हो जाने से अपनी नानी एवं बड़े भाई के साथ रहती थी. 20 जनवरी 2020 की रात को जब वह घर में अकेली थी और निस्तार के लिये बाहर निकली तो ललेश व रामनरेश जबरदस्ती पकड़कर नहर के पास ले गये और ललेश ने उसे जमीन पर पटक दिया. रामनरेश ने उसके दोनों हाथ पकड़ लिए और ललेश ने रेप किया था.

जबलपुर/अनूपपुर। यह जनहित याचिका मैहर निवासी विजय कुमार श्रीवास्तव की ओर से दायर की गई है. जिसमें कहा गया है कि मैहर शारदा मंदिर समिति का अध्यक्ष जिला कलेक्टर होता है और प्रशासक एसडीओ को नियुक्त किया गया है. इसके बावजूद वर्ष 2002 के बने नियमानुसार समिति का गठन किया गया, लेकिन किसी भी तरह की जानकारी जब आरटीआई के तहत मांगी जाती है तो समिति साफ इंकार कर देती है, जोकि अवैधानिक है. मामले में सचिव धार्मिक न्याय, कमिश्नर रीवा, सतना कलेक्टर, एसडीओ मैहर व मैहर शारदा देवी मंदिर प्रबंधन समिति को पक्षकार बनाया गया है. सुनवाई के बाद न्यायालय ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आशीष रावत ने पक्ष रखा.

महाधिवक्ता को पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया : हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को बताया गया कि महाधिवक्ता को सरकार ने पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया है. इसके अलावा लॉ ऑफिसर को पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की जिम्मेदारी दी गयी है. याचिकाकर्ता ने युगलपीठ को बताया कि याचिका में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर को अनावेदक बनाया गया है. जिन्होंने अभी तक जवाब पेश नहीं किया. पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की नियुक्त के लिए हाईकोर्ट की सहमति अनिवार्य है. अधारताल निवासी ज्ञानप्रकाश की तरफ से दायर याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया था कि राज्य सरकार द्वारा नियमों की अनदेखी करके डायरेक्टर प्रॉसिक्यूशन के पद पर नियुक्ति नहीं की जा रही, जो अवैधानिक है. अगली सुनवाई जनवरी माह के तीसरे सप्ताह में निर्धारित की गई है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष स्वयं रखा।

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