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ड्रीप और मल्चींग विधि से तरबूज की खेती करके किसान बना आत्मनिर्भर - अलीराजपुर न्यूज

अलीराजपुर के साकडी में पलायन में रहने वाले किसान ने अपनी अलग पहचान बनाते हुए उद्यानिकी विभाग से मिली ड्रीप और मल्चींग विधि से तरबूज खेती कर रहें हैं और प्रतिदिन 3 से साढे़ 3 हजार रूपये की आय प्राप्त कर रहें है.

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ड्रीप और मल्चींग विधि से तरबूज खेती करके किसान बना आत्मनिर्भर
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Published : May 18, 2020, 12:35 AM IST

अलीराजपुर। जिले में मजदूरी और रोजगार की तलाश में पलायन पर रहने वाले ग्राम साकडी निवासी गुंजारिया सस्तिया इन दिनों घर पर रहकर तरबूज की खेती कर रहे हैं. उद्यानिकी विभाग से मिली ड्रीप और मल्चींग विधि से वो प्रतिदिन तरबूज की खेती कर रहे हैं, जिससे उन्हें प्रतिदिन 3 से साढे़ 3 हजार रूपए की आय प्राप्त हो रही है. लॉकडाउन के बीच अपने खेत के पास ही दुकान लगाकर 20 रूपए प्रति किलो के दाम पर तरबूज की उपज बेचकर अच्छी खासी आय प्राप्त कर रहे हैं.

जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी दूर ग्राम पुजारा फलिया निवासी गुंजारिया ने करीब पौन एकड़ भूमि पर तरबूज की खेती मल्चींग और ड्रीप पद्धति से की है, करीब 20 हजार रूपये की लागत से बीज, खाद, दवाओं, मल्चींग हेतु खर्च किया गया और अब तक गुंजारिया करीब 35 क्विंटल तरबूज का विक्रय कर चुके हैं.

वहीं उपज निकलने पर पहले उन्होंने थोक के दाम पर तरबूज बेचा जो 10 से 12 रूपये तक ही बिका, फिर उन्होंने खेत के पास ही दुकान लगाकर 20 रूपये प्रति किलों के दाम पर तरबूज बेचना शुरू किया. गुजारिया बताते हैं की करीब 80 हजार रूपये से अधिक का तरबूज बिका.

वे बताते हैं की उद्यानिकी विभाग से मिला मार्गदर्शन और ड्रीप विधि से तरबूज की खेती करके दो माह की मेहनत में आय में खासी वृद्धि हुई है और इस वर्ष गर्मी के दिनों में रोजगार के लिए पलायन भी नहीं किया जा सकता और घर पर बैठकर ही रोजगार मिल गया.

लॉकडाउन के बीच भी उनको रोजगार मिला और अच्छी आय प्राप्त हुई है, उन्होंने बताया की तरबूज की बाड़ी में मेढ़ पर हमने प्लास्टिक की नेट लगाकर खेत की सुरक्षा भी की और बताया की हमारी तरबूज की खेती देखकर आसपास के किसान भी आगामी वर्ष में तरबूज की खेती करने का मन बना रहे हैं.

उप संचालक उद्यानिकी बीएस चौहान ने बताया की उद्यानिकी विभाग के तकनीकी ने मार्गदर्शन दिया और लॉकडाउन के बावजूद उक्त किसान को अच्छा लाभ मिल रहा है. साथ ही इन्हें पलायन भी नहीं करना पड़ा. कलेक्टर सुरभि गुप्ता ने बताया की नवीन तकनीक अपना कर तरबूज खेती से उक्त किसान कृषि से लाभ कमा रहा है और विभागीय योजना से लाभ लेकर उक्त किसान को रोजगार का एक अच्छा अवसर मिला है जो क्षेत्र के किसानों के लिए भी प्रेरणादायी है.

अलीराजपुर। जिले में मजदूरी और रोजगार की तलाश में पलायन पर रहने वाले ग्राम साकडी निवासी गुंजारिया सस्तिया इन दिनों घर पर रहकर तरबूज की खेती कर रहे हैं. उद्यानिकी विभाग से मिली ड्रीप और मल्चींग विधि से वो प्रतिदिन तरबूज की खेती कर रहे हैं, जिससे उन्हें प्रतिदिन 3 से साढे़ 3 हजार रूपए की आय प्राप्त हो रही है. लॉकडाउन के बीच अपने खेत के पास ही दुकान लगाकर 20 रूपए प्रति किलो के दाम पर तरबूज की उपज बेचकर अच्छी खासी आय प्राप्त कर रहे हैं.

जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी दूर ग्राम पुजारा फलिया निवासी गुंजारिया ने करीब पौन एकड़ भूमि पर तरबूज की खेती मल्चींग और ड्रीप पद्धति से की है, करीब 20 हजार रूपये की लागत से बीज, खाद, दवाओं, मल्चींग हेतु खर्च किया गया और अब तक गुंजारिया करीब 35 क्विंटल तरबूज का विक्रय कर चुके हैं.

वहीं उपज निकलने पर पहले उन्होंने थोक के दाम पर तरबूज बेचा जो 10 से 12 रूपये तक ही बिका, फिर उन्होंने खेत के पास ही दुकान लगाकर 20 रूपये प्रति किलों के दाम पर तरबूज बेचना शुरू किया. गुजारिया बताते हैं की करीब 80 हजार रूपये से अधिक का तरबूज बिका.

वे बताते हैं की उद्यानिकी विभाग से मिला मार्गदर्शन और ड्रीप विधि से तरबूज की खेती करके दो माह की मेहनत में आय में खासी वृद्धि हुई है और इस वर्ष गर्मी के दिनों में रोजगार के लिए पलायन भी नहीं किया जा सकता और घर पर बैठकर ही रोजगार मिल गया.

लॉकडाउन के बीच भी उनको रोजगार मिला और अच्छी आय प्राप्त हुई है, उन्होंने बताया की तरबूज की बाड़ी में मेढ़ पर हमने प्लास्टिक की नेट लगाकर खेत की सुरक्षा भी की और बताया की हमारी तरबूज की खेती देखकर आसपास के किसान भी आगामी वर्ष में तरबूज की खेती करने का मन बना रहे हैं.

उप संचालक उद्यानिकी बीएस चौहान ने बताया की उद्यानिकी विभाग के तकनीकी ने मार्गदर्शन दिया और लॉकडाउन के बावजूद उक्त किसान को अच्छा लाभ मिल रहा है. साथ ही इन्हें पलायन भी नहीं करना पड़ा. कलेक्टर सुरभि गुप्ता ने बताया की नवीन तकनीक अपना कर तरबूज खेती से उक्त किसान कृषि से लाभ कमा रहा है और विभागीय योजना से लाभ लेकर उक्त किसान को रोजगार का एक अच्छा अवसर मिला है जो क्षेत्र के किसानों के लिए भी प्रेरणादायी है.

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