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आडंबरों से इतर बिना दहेज के 17 मिनट में सम्पन्न हुई शादी, न बैंडबाजा न ही कोई शहनाई गूंजी

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Published : Oct 18, 2020, 10:05 AM IST

आगर मालवा में संत रामपाल महाराज के आश्रम में उनके 2 अनुयायियों द्वारा एक अनूठी पहल की गई. जहां बिना किसी फिजूल खर्च के एक आदर्श विवाह कर अपने नव जीवन की शुरुआत की गई.

Newly married
नवविवाहित

आगर मालवा। जिला मुख्यालय के पास सेमली गांव में एक अनोखा विवाह संपन्न हुआ. यहां संत रामपाल महाराज के आश्रम में उनके 2 अनुयायियों द्वारा एक अनूठी पहल की गई. जहां बिना किसी फिजूल खर्च के एक आदर्श विवाह कर अपने नव जीवन की शुरुआत की गई.

17 मिनट में हुई शादी

दूल्हे का नाम विवेक दास है जो कि आगर जिले के तनोडिया का रहने वाला है. दुल्हन का नाम सिमरन दासी है जो कि दिल्ली की निवासी है. दोनों युवक युवती ने आगर जिले के पास सेमली में संत रामपाल के आश्रम में शादी कर अपना नवजीवन शुरू किया है. शादी में किसी भी तरह का दहेज भी नहीं दिया गया. वहीं ना ही कोई बैंड-बाजों का शोर सुनाई दिया और ना ही कोई शहनाई गूंजी. बता दें कि दोनों नवविवाहित ने यह आदर्श विवाह कर लोगों को संदेश दिया कि फिजूल खर्च ना किया जाए. शादी के पैसे का उपयोग किसी सही जगह पर किया जाए. सबसे बड़ी बात यह है कि यह पूरी शादी 17 मिनट के अंदर ही संपन्न हो गई.

आश्रम से जुड़े दशरथ दास ने कहा कि आश्रम में शादी के दौरान किसी तरह का आडंबर नहीं अपनाया जाता है. दो नवयुगल का विवाह संपन्न हुआ है, इसमें दहेज जैसी कुप्रथा का विरोध किया जाता है. फिजूल खर्च बचाने के लिए न तो बैंडबाजा बजाया जाता है और न ही खाने इत्यादि की व्यवस्था करते हैं. केवल यहां आने वाले लोगों के लिए स्वल्पाहार की व्यवस्था होती है. वहीं शादी को ज्यादा लंबा नही खींचा जाता है, केवल 17 मिनट में शादी सम्पन्न करवा दी जाती है.

आगर मालवा। जिला मुख्यालय के पास सेमली गांव में एक अनोखा विवाह संपन्न हुआ. यहां संत रामपाल महाराज के आश्रम में उनके 2 अनुयायियों द्वारा एक अनूठी पहल की गई. जहां बिना किसी फिजूल खर्च के एक आदर्श विवाह कर अपने नव जीवन की शुरुआत की गई.

17 मिनट में हुई शादी

दूल्हे का नाम विवेक दास है जो कि आगर जिले के तनोडिया का रहने वाला है. दुल्हन का नाम सिमरन दासी है जो कि दिल्ली की निवासी है. दोनों युवक युवती ने आगर जिले के पास सेमली में संत रामपाल के आश्रम में शादी कर अपना नवजीवन शुरू किया है. शादी में किसी भी तरह का दहेज भी नहीं दिया गया. वहीं ना ही कोई बैंड-बाजों का शोर सुनाई दिया और ना ही कोई शहनाई गूंजी. बता दें कि दोनों नवविवाहित ने यह आदर्श विवाह कर लोगों को संदेश दिया कि फिजूल खर्च ना किया जाए. शादी के पैसे का उपयोग किसी सही जगह पर किया जाए. सबसे बड़ी बात यह है कि यह पूरी शादी 17 मिनट के अंदर ही संपन्न हो गई.

आश्रम से जुड़े दशरथ दास ने कहा कि आश्रम में शादी के दौरान किसी तरह का आडंबर नहीं अपनाया जाता है. दो नवयुगल का विवाह संपन्न हुआ है, इसमें दहेज जैसी कुप्रथा का विरोध किया जाता है. फिजूल खर्च बचाने के लिए न तो बैंडबाजा बजाया जाता है और न ही खाने इत्यादि की व्यवस्था करते हैं. केवल यहां आने वाले लोगों के लिए स्वल्पाहार की व्यवस्था होती है. वहीं शादी को ज्यादा लंबा नही खींचा जाता है, केवल 17 मिनट में शादी सम्पन्न करवा दी जाती है.

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