उज्जैन: श्राद्ध पक्ष के अवसर पर पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म का विशेष महत्व है. इसी क्रम में उज्जैन के केंद्रीय भैरवगढ़ जेल में पहली बार महिला और पुरुष बंदियों ने सामूहिक रूप से अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध कर्म किया. जेल सभागृह में स्क्रीन लगाकर बिहार के प्रसिद्ध गया तीर्थ और उज्जैन के सिद्धनाथ, कालभैरव तीर्थ के चलचित्र दिखाए गए. इसके माध्यम से बंदियों ने तीर्थ स्थलों का वर्चुअल दर्शन किया और स्थानीय पुरोहितों की मदद से तर्पण किया.
बंदियों के लिए श्राद्ध कर्म का हुआ आयोजन
उज्जैन जेल के नियमों के कारण बंदी बाहर जाकर तीर्थ स्थलों पर श्राद्ध कर्म नहीं कर सकते. इसी को ध्यान में रखते हुए जेल अधीक्षक मनोज साहू ने जेल में ही तर्पण और पूजन की व्यवस्था करवाई थी. सिद्धवट के पुरोहित श्याम पंचोली पिछले 8 वर्षों से बंदियों के लिए यह कर्म निशुल्क करवा रहे हैं. इस बार भी जेल प्रशासन के सहयोग से सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक यह आयोजन किया गया.
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जेल में 147 बंदियों ने किया तर्पण
बिहार के गया तीर्थ के चलचित्रों के माध्यम से बंदियों को इस पूजन का महत्व बताया गया. ताकि, वे भी इस अनुभव से लाभान्वित हो सकें. सिद्धवट तीर्थ के समीप होने के कारण जेल में कराए गए तर्पण और पूजन का भी वही महत्व है. जैसा कि तीर्थ स्थल पर जाकर किए गए तर्पण का होता है. आचार्य श्याम पंचोली घोड़ी वाले पंडा ने बताया कि "मैंने गया जी तीर्थ के पुरोहितों द्वारा बताए गए संकल्प को लेकर बंदियों से संकल्प करवाया. इस व्यवस्था का उद्देश्य यह है कि जो बंदी जेल में हैं और गया जी तीर्थ जाकर पितृ कर्म नहीं कर सकते. उन्हें भी उसी प्रकार का लाभ मिल सके". उज्जैन जेल अधीक्षक मनोज साहू ने कहा कि "भैरवगढ़ जेल के 147 बंदियों ने श्राद्ध पक्ष के दौरान तर्पण और पूजन किया है, जिससे उन्हें भी इसका लाभ मिल सके."