आगर मालवा। श्रीराम की वनवास यात्रा अयोध्या शुरू होकर रामेश्वरम से होते हुए श्रीलंका में संपन्न हुई. भगवान राम की वनवास यात्रा का एक अहम पड़ाव देश का दिल यानी मध्यप्रदेश भी रहा. एमपी के अलग-अलग शहरों में भगवान राम कई रूपों में विराजे हैं. आगर मालवा जिले में भी भगवान राम की चमत्कारी मूर्तियां देखने मिलती हैं. आगर-मालवा के सुसनेर में श्रीराम का करीब 400 साल पुराना ऐसा मंदिर हैं, जिसमें अवध बिहारी दो रूपों में दर्शन देते हैं. मंदिर में राजाराम की दो तरह की प्रतिमाएं मौजूद हैं. एक प्रतिमा में श्रीराम का राजा रूप में, जबकि दूसरी में वनवासी के रूप दिखता है. यही इस मंदिर की खासियत भी है.
करीब 1600 ईवी पूर्व बने इस मंदिर के पुजारी बताते हैं कि, यहां दो मंदिर बनाए जाने थे, जो किसी कारण से नहीं बन सके. इसलिए एक ही मंदिर में राम भगवान के दोनों रूपों वाली मूर्तियों की स्थापनी की गई, कहा जाता है कि सुसनेर के अलावा ऐसा मंदिर कहीं और नहीं है.
स्थानीय लोग बताते हैं कि होल्कर स्टेट की महारानी ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. मंदिर में महिला मंडल द्वारा प्रतिदिन माला का जाप किया जाता है. गंगाराम टेलर की मानें तो वह पिछले कई सालों से वनवासी रूपी भगवान राम की पोषक सिलते आ रहे हैं.
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि समय-समय पर मंदिर में धार्मिक आयोजन होते हैं. जिसमें भक्त भी बड़ी संख्या में राम के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं.
मंदिर में मौजूद दोनों प्रकार की प्रतिमाओं में रामायण के दो कालखण्डों का प्रतिबिंब नजर आता है. वनवासी के रूप में विराजे भगवान राम की प्रतिमा उनके 14 साल के वनवास को दर्शाती है, जबकि राजा के रूप में विराजमान भगवान राम भक्तों को अयोध्या नरेश के रूप में दर्शन देते हैं.