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गड्ढे का गंदा पानी, जिसे पीते हैं जानवर, उसे ही पेयजल के रूप में इस्तेमाल करने को मजबूर हैं ग्रामीण - poor hand pump

आगर-मालवा लखमनखेड़ी गांव में लोग पानी की कमी के चलते गंदा पानी पीने के लिये हैं मजबूर हैं. ग्रामीणों को और कोई व्यवस्था न होने के कारण इसी पानी का उपयोग करना पड़ता है.

ग्रामीण
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Published : Jun 7, 2019, 8:02 PM IST

Updated : Jun 7, 2019, 10:51 PM IST

आगर-मालवा। जिला मुख्यालय से महज 20 किमी की दूरी पर स्थित लखमनखेड़ी गांव में लोग पानी की कमी के कारण भीषण संकट से जूझ रहे हैं. 300 लोगों की आबादी वाले इस गांव के लोग नदी के किनारे खोदे गए एक गड्ढे का गंदा और मटमैला पानी पीने के लिये उपयोग करना पड़ रहा है, इस पानी को सभी पशु भी पीते हैं. पानी के अभाव में अभी तक गांव की करीब 10 गायें दम तोड़ चुकी हैं.

गड्ढे का गंदा पानी इस्तेमाल करते हैं ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें पानी के लिए बहुत परेशान होना पड़ रहा है, पशुओं के पीने वाले पानी को हम लोग पी रहे हैं. गांव के जवाबदारों को समस्या बता-बताकर परेशान हो चुके हैं, लेकिन पानी की समस्या का कोई समाधान नही हो रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में जिम्मेदारों द्वारा दो हैंडपंप भी लगाए गए लेकिन दोनों हैंडपम्प बन्द पड़े हैं. ग्रामीणों की प्यास बुझाने के लिए एक कुंआ भी खोदा गया, लेकिन कम खुदाई किये जाने के कारण इसमें पानी नही निकल पाया.

इस तरह बुझाते हैं प्यास

गांव के लोग पानी के लिए में सुबह से ही जुट जाते हैं, करीब एक से दो किलोमीटर का रास्ता तय करने के बाद टिल्लर नदी के किनारे पर पानी के लिए खोदे गए एक गड्ढे से गंदगी को छानकर सभी लोग पानी भरते हैं. हालांकि उसके बावजूद भी पानी गंदा और मटमैला ही आता है. जब गड्ढे का पानी खत्म हो जाता है, तब सभी लोग दूसरे दिन फिर इस गड्ढे के पानी से भर जाने का इंतजार करते हैं. यही प्रक्रिया प्रतिदिन चलती है. पालतू पशुओं को तो ग्रामीण अलग से पानी पिला देते हैं, लेकिन आवारा पशु पानी के लिए इसी गड्ढे में पहुंच जाते हैं. ऐसे में यह पानी काफी ज्यादा दूषित हो जाता है.

जब इस संबंध में ग्राम पंचायत के जवाबदारों से बात करने की कोशिश की गयी तो उन्होंने कुछ बोलने से पल्ला झाड़ लिया. वहीं जिले के अपर कलेक्टर एनएस राजावत ने बताया कि उनकी जानकारी में ऐसा कोई गांव नही है, जहां पानी की समस्या है. फिर भी आपके द्वारा जानकारी मिली है तो पता किया जायेगा और समस्या मिलने पर उसका निराकरण किया जाएगा.

आगर-मालवा। जिला मुख्यालय से महज 20 किमी की दूरी पर स्थित लखमनखेड़ी गांव में लोग पानी की कमी के कारण भीषण संकट से जूझ रहे हैं. 300 लोगों की आबादी वाले इस गांव के लोग नदी के किनारे खोदे गए एक गड्ढे का गंदा और मटमैला पानी पीने के लिये उपयोग करना पड़ रहा है, इस पानी को सभी पशु भी पीते हैं. पानी के अभाव में अभी तक गांव की करीब 10 गायें दम तोड़ चुकी हैं.

गड्ढे का गंदा पानी इस्तेमाल करते हैं ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें पानी के लिए बहुत परेशान होना पड़ रहा है, पशुओं के पीने वाले पानी को हम लोग पी रहे हैं. गांव के जवाबदारों को समस्या बता-बताकर परेशान हो चुके हैं, लेकिन पानी की समस्या का कोई समाधान नही हो रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में जिम्मेदारों द्वारा दो हैंडपंप भी लगाए गए लेकिन दोनों हैंडपम्प बन्द पड़े हैं. ग्रामीणों की प्यास बुझाने के लिए एक कुंआ भी खोदा गया, लेकिन कम खुदाई किये जाने के कारण इसमें पानी नही निकल पाया.

इस तरह बुझाते हैं प्यास

गांव के लोग पानी के लिए में सुबह से ही जुट जाते हैं, करीब एक से दो किलोमीटर का रास्ता तय करने के बाद टिल्लर नदी के किनारे पर पानी के लिए खोदे गए एक गड्ढे से गंदगी को छानकर सभी लोग पानी भरते हैं. हालांकि उसके बावजूद भी पानी गंदा और मटमैला ही आता है. जब गड्ढे का पानी खत्म हो जाता है, तब सभी लोग दूसरे दिन फिर इस गड्ढे के पानी से भर जाने का इंतजार करते हैं. यही प्रक्रिया प्रतिदिन चलती है. पालतू पशुओं को तो ग्रामीण अलग से पानी पिला देते हैं, लेकिन आवारा पशु पानी के लिए इसी गड्ढे में पहुंच जाते हैं. ऐसे में यह पानी काफी ज्यादा दूषित हो जाता है.

जब इस संबंध में ग्राम पंचायत के जवाबदारों से बात करने की कोशिश की गयी तो उन्होंने कुछ बोलने से पल्ला झाड़ लिया. वहीं जिले के अपर कलेक्टर एनएस राजावत ने बताया कि उनकी जानकारी में ऐसा कोई गांव नही है, जहां पानी की समस्या है. फिर भी आपके द्वारा जानकारी मिली है तो पता किया जायेगा और समस्या मिलने पर उसका निराकरण किया जाएगा.

Intro:आगर मालवा
-- जिला मुख्यालय से महज 20 किमी की दूरी पर स्थित लखमनखेड़ी का खेड़ा के 300 लोगो की आबादी वाले इस गांव के लोग पानी के लिए नारकीय जीवन जीने को मजबूर है। 30 से अधिक घरों के इस गांव में सभी दलित समुदाय के लोग है। इन लोगो को पानी के लिये दर-दर भटकना पड़ रहा है। पूरे गांव के लोग नदी के किनारे खोदे गए एक गड्ढे का गंदा व मटमैले पानी का उपयोग करते है इस पानी को सभी पशु भी पीते इतना ही नही ये लोग पानी की ऐसी विकट समस्या से जूझ रहे है कि इस मटमैले और पशुओं के झूठे पानी को पीकर अपने कंठ की प्यास भी बुझा रहे है। वही पानी के अभाव में अभी तक इस गांव में करीब 10 गाये दम तोड़ चुकी है। इस गांव सहित क्षेत्र में पानी की विकराल समस्या होने के बावजूद प्रशासनिक अधिकारी पानी की कमी नही होने की बात कर रहे है।


Body:बता दे कि गांव के बच्चे, जवान, महिलाये व बुजुर्ग पानी कि जुगत में सुबह से ही जुट जाते है बिना सड़क वाले इस गांव में करीब 1 से 2 किमी का ऊंचा-नीचा रास्ता तय करने के बाद टिल्लर नदी के किनारे पर पानी के लिए खोदे गए एक गड्ढे से सभी लोग पानी भरते है। गंदगी को अलग कर थोड़ा बहुत छानकर ये लोग पानी भरते है हालांकि उसके बावजूद भी पानी गंदा और मटमैला ही आता है जब गड्ढे का पानी खत्म हो जाता है तो सभी लोग दूसरे दिन फिर इस गड्ढे के पानी से भर जाने का इंतजार करते है और पानी भरने के लिए निकल जाते है। यही प्रक्रिया प्रतिदिन चलती है। यह भी बता दे कि पालतू पशु को तो ग्रामीण अलग से पानी भरकर यही पिला देते है लेकिन आवारा पशु पानी के लिए इसी गड्ढे में पहुंच जाते है। ऐसे में यह पानी काफी ज्यादा दूषित हो जाता है उसके बावजूद भी ग्रामीणों को और कोई व्यवस्था न होने के कारण इसी पानी का उपयोग करना पड़ता है।
यह भी बता दे कि इस गांव में जिम्मेदारों द्वारा 2 हैंडपंप भी लगाए गए लेकिन दोनों हैंडपम्प बन्द पड़े है वही ग्रामीणों की प्यास बुझाने के लिए एक कुंआ भी खोदा गया लेकिन कम खुदाई किये जाने के कारण इसमें पानी नही निकल पाया।


Conclusion:ग्रामीणों का कहना है कि पानी के लिए बहुत परेशान होना पड़ रहा है। पशुओं के पीने वाले पानी को हम लोग पी रहे है गांव के जवाबदारों को समस्या बता-बताकर परेशान हो चुके है पानी की समस्या का कोई समाधान नही हो रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत द्वारा एक कुआ खोदा गया था उसको भी अधूरा खोदा गया। इसी कुवे में पानी भरने के दौरान एक बच्ची गिर गई थी।
जब इस संबंध में ग्राम पंचायत के जवाबदारों से बात करना चाही तो उन्होंने कुछ बोलने से पल्ला झाड़ लिया वही जिले के अपर कलेक्टर एनएस राजावत से जब इस संबंध में बात की गई बिना जानकारी के वे जवाब दिखाई देते हुवे दिखे राजावत ने बताया कि उनकी जानकारी में ऐसा कोई गांव नही है जहां पानी की समस्या है फिर भी आपके द्वारा जानकारी मिली है तो समस्या का निराकरण किया जाएगा।

बाइट- शुरुआती तीनो बाइट ग्रामीणों की है।

बाइट- अंतिम बाइट, अपर कलेक्टर- एनएस राजावत
Last Updated : Jun 7, 2019, 10:51 PM IST
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