ETV Bharat / state

धरती से प्रकट हुई मां चौंसठ योगिनी, भक्तों ने बना दिया विशाल मंदिर - etv bharat

सुुसनेर शहर से भी पुराना है यहां माता चौंसठ योगिनी का मंदिर. वट वृक्ष के नीचे बने इस मंदिर में रोज हजारों भक्तों का तांता लगा रहता है.

मां चौसठ योगिनी
author img

By

Published : Sep 29, 2019, 1:12 PM IST

Updated : Sep 29, 2019, 1:54 PM IST

आगर-मालवा। सुसनेर के मेला ग्राउण्ड रोड पर स्थित चौंसठ योगिनी माता मंदिर में नवरात्रि में भक्तों का तांता लगा रहता है. लोगों की मान्यता है कि यह प्रतिमा धरती से प्रकट हुई थी. जिसके बाद उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया गया है. नवरात्रि के दौरान मातारानी की आरती ढोल-नगाड़ों के थाप खप्पर से की जाती है.

मां चौसठ योगिनी

वट वृक्ष के नीचे विराजित हैं माता
मेला ग्राउण्ड रोड पर स्थित इस मंदिर परिसर में एक वट वृक्ष भी है, जिसके नीचे माता विराजमान है. इस वृक्ष की पूजा कर महिलाएं मन्नतें मांगती हैं. नवरात्रि के चलते प्रतिदिन सुबह 8 बजे और रात में साढे 8 बजे महाआरती की जाती है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त मौजूद रहते हैं.

नगर की स्थापना से पहले का है मंदिर
मंदिर के पुजारी पुरूषोत्तम बैरागी के अनुसार यह मंदिर नगर की स्थापना से पहले का है. सुसनेर का प्राचीन नाम सुवानगर था. उस समय सुवानगर ग्राम सादलपुर के समीप स्थित था, बाद में प्राचीन समय में किसी राजा ने एक किला बनाकर नगर को नए सिरे से बसाया था. मंदिर की स्थापना के बाद सुवानगर का नाम सुसनेर पड़ गया.
मंदिर के पुजारी पण्डित पुरूषोत्तम बैरागी के अनुसार मां चौंसठ योगिनी का यह मंदिर अतिप्राचीन है जो नगर की स्थापना से पहले का है। यहां पूजा करते- करते उनकी तीन पीढ़ियां हो चुकी है. मंदिर में विराजित प्रतिमा को कही से लाया नहीं गया है, बल्कि यहां मातारानी स्वयं धरती में से प्रकट हुई थीं.

आगर-मालवा। सुसनेर के मेला ग्राउण्ड रोड पर स्थित चौंसठ योगिनी माता मंदिर में नवरात्रि में भक्तों का तांता लगा रहता है. लोगों की मान्यता है कि यह प्रतिमा धरती से प्रकट हुई थी. जिसके बाद उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया गया है. नवरात्रि के दौरान मातारानी की आरती ढोल-नगाड़ों के थाप खप्पर से की जाती है.

मां चौसठ योगिनी

वट वृक्ष के नीचे विराजित हैं माता
मेला ग्राउण्ड रोड पर स्थित इस मंदिर परिसर में एक वट वृक्ष भी है, जिसके नीचे माता विराजमान है. इस वृक्ष की पूजा कर महिलाएं मन्नतें मांगती हैं. नवरात्रि के चलते प्रतिदिन सुबह 8 बजे और रात में साढे 8 बजे महाआरती की जाती है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त मौजूद रहते हैं.

नगर की स्थापना से पहले का है मंदिर
मंदिर के पुजारी पुरूषोत्तम बैरागी के अनुसार यह मंदिर नगर की स्थापना से पहले का है. सुसनेर का प्राचीन नाम सुवानगर था. उस समय सुवानगर ग्राम सादलपुर के समीप स्थित था, बाद में प्राचीन समय में किसी राजा ने एक किला बनाकर नगर को नए सिरे से बसाया था. मंदिर की स्थापना के बाद सुवानगर का नाम सुसनेर पड़ गया.
मंदिर के पुजारी पण्डित पुरूषोत्तम बैरागी के अनुसार मां चौंसठ योगिनी का यह मंदिर अतिप्राचीन है जो नगर की स्थापना से पहले का है। यहां पूजा करते- करते उनकी तीन पीढ़ियां हो चुकी है. मंदिर में विराजित प्रतिमा को कही से लाया नहीं गया है, बल्कि यहां मातारानी स्वयं धरती में से प्रकट हुई थीं.

Intro:आगर-मालवा। सुसनेर के मेला ग्राउण्ड रोड पर स्थित चौसठ याेगिनी माता मंदिर में मां की प्रतिमा स्वयं भू है। यहां प्रतिमा धरती से प्रकट हुई थी। उसके बाद भक्तो ने यहां मंदिर का निर्माण कर दिया। आज यह मंदिर शक्ति की भक्ति का सबसे बडा केन्द्र बना हुआ है। मातारानी का यह मंदिर सुसनेर की स्थापना से भी पहले का है। सालों पहले अच्छी वर्षा की कामना को लेकर पशुबली भी दी जाती थी। नवरात्रि के दौरान मातारानी की आरती ढोल-नगाडों के थाप खप्पर से की जाती है।Body:वट वृक्ष के नीचे विराजित है माता

मेला ग्राउण्ड रोड पर स्थित इस मंदिर परिसर में माता एक वट वृक्ष भी है। जिसके नीचे माता विराजमान है। जिस वृक्ष की पूजा कर महीलाए मन्नते मांगती है। नवरात्र के चलते प्रतिदिन सुबह 8 बजे व रात्रि में साढे 8 बजे महाआरती की जा रही है। जिसमें बडी संख्या में भक्त उपस्थित हो रहे है।

नगर की स्थापना से पहले का है मंदिर

मंदिर के पुजारी पुरूषोत्तम बैरागी के अनुसार यह मंदिर नगर की स्थापना से पहले का है। सुसनेर का प्राचीन नाम सुवानगर था। उस समय सुवानगर ग्राम सादलपुर के समीप स्थित था। बाद में प्राचीन समय में किसी राजा ने एक किला बनाकर नगर को नए सिरे से बसाया था। मंदिर की स्थापना के बाद सुवानगर का नाम सुसनेर पड गया।

Conclusion:मंदिर के पुजारी पण्डित पुरूषोत्तम बैरागी के अनुसार मां चौसट योगिनी का यह मंदिर अतिप्राचीन है जो नगर की स्थापना से पहले का है। यहां पूजा करते- करते उनकी तीन पीढीयां हो चुकी है। मंदिर में विराजित प्रतिमा को कही से लाया नही गया है। बल्की यहां मातारानी स्वयं धरती में से प्रकट हुई थी। उसके बाद श्रृद्धालुओ यहा मंदिर बना दिया। नगर में कुछ साल पहले जब कभी भी जलसंकट होता या समय पर बारिश नही होती तब यहां श्रृद्धालुओ के द्वारा बारिश होने की कामना के साथ पशु बली दी जाती थी। तथा बली का खून बारिश के पानी से ही धूलता था। बली देेने के 24 घंटे के अंदर बारिश हो जाया करती थी। इसके अतिरिक्त मंदिर में श्रृद्धालुओ की मन्नते भी पुरी हुई है। समय के साथ बली देने की परम्परा समाप्त हो गई।

विज्युअल- वट वृक्ष के नीचे विराजित है मां चौसठ योगिनी।
चौसठ योगिनी माता मंदिर, मंदिर में उमडी भक्तों की भीड। नगाड़ो की थाप पर खप्पर से होती आरती।

बाईट- पंडित पुरूषोत्तम बैरागी, पुजारी चोसठ योगिनी माता मंदिर, सुसनेर।
Last Updated : Sep 29, 2019, 1:54 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.