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सरकार के दावों की पोल खोल रही ये तस्वीर, अब भी पैदल चलने को मजबूर हैं मजदूर

गुजरात से अपने गृह जिले राजगढ़ के लिए निकले दर्जनों मजदूर शनिवार को आगर पहुंचे. जिसके बाद गांधी उपवन स्थित राहत शिविर में सभी की स्क्रीनिंग कर उन्हें भोजन कराया गया. जिसके बाद प्रशासन ने उनको घर छोड़ने की व्यवस्था की.

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Published : May 23, 2020, 5:23 PM IST

The power of helplessness of laborers in agar malva
मजदूरों का बेबसी का आलम

आगर मालवा। कोरोना वायरस के चलते लगे लॉकडाउन ने सबसे ज्यादा मजदूरों के जीवन को प्रभावित किया है. लॉकडाउन के दो महीनों बाद भी मजदूरों का अपने घर की ओर लौटना जारी है. हालात ये हैं कि इन मजदूरों को अभी भी सैंकड़ों किमी का सफर तय करके अपने घर पैदल ही जाना पड़ रहा है. शनिवार को आगर पहुंचे राजगढ़ के एक दर्जन मजदूरों को प्रशासन ने उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था की.

The power of helplessness of laborers in agar malva
मजदूरों का बेबसी का आलम
शनिवार को करीब एक दर्जन मजदूर गुजरात से राजगढ़ के लिए निकलते समय आगर पहुंचे. मजदूरों ने बताया कि काम बंद होने के बाद जितने रुपये बचे थे, अब खत्म हो गए और काम नहीं मिला, तो फिर अपने घर जाने का निर्णय किया. अपने घर तक का करीब 600 किमी के सफर में कभी कोई वाहन मिल गया, तो कभी पैदल ही चलना पड़ा. आगर पहुंचने पर गांधी उपवन स्थित राहत शिविर में सभी की स्क्रीनिंग कर भोजन कराया गया. जिसके बाद प्रशासन ने उनको घर छोड़ने की व्यवस्था की.इस दौरान देखा गया कि इन मजदूरों में कुछ बच्चे भी शामिल थे. ये छोटे बच्चे कभी पैदल चलते, तो कभी पिता के कंधे पर बैठकर आगे का सफर तय कर रहे थे. वहीं कभी चिलचिलाती धूप इन्हें सताती तो परेशान होकर मां के आंचल में छुप जाते थे. मजदूरों के यह हालात सरकार के दावों की पोल खोलते नजर आ रहे हैं. हालांकि राजगढ़ के इन मजदूरों की प्रशासन ने इनके तक पहुंचाने की व्यवसथा की है, जिसके माध्यम से अब यह अपने घर तक पहुंच सकेंगे.

आगर मालवा। कोरोना वायरस के चलते लगे लॉकडाउन ने सबसे ज्यादा मजदूरों के जीवन को प्रभावित किया है. लॉकडाउन के दो महीनों बाद भी मजदूरों का अपने घर की ओर लौटना जारी है. हालात ये हैं कि इन मजदूरों को अभी भी सैंकड़ों किमी का सफर तय करके अपने घर पैदल ही जाना पड़ रहा है. शनिवार को आगर पहुंचे राजगढ़ के एक दर्जन मजदूरों को प्रशासन ने उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था की.

The power of helplessness of laborers in agar malva
मजदूरों का बेबसी का आलम
शनिवार को करीब एक दर्जन मजदूर गुजरात से राजगढ़ के लिए निकलते समय आगर पहुंचे. मजदूरों ने बताया कि काम बंद होने के बाद जितने रुपये बचे थे, अब खत्म हो गए और काम नहीं मिला, तो फिर अपने घर जाने का निर्णय किया. अपने घर तक का करीब 600 किमी के सफर में कभी कोई वाहन मिल गया, तो कभी पैदल ही चलना पड़ा. आगर पहुंचने पर गांधी उपवन स्थित राहत शिविर में सभी की स्क्रीनिंग कर भोजन कराया गया. जिसके बाद प्रशासन ने उनको घर छोड़ने की व्यवस्था की.इस दौरान देखा गया कि इन मजदूरों में कुछ बच्चे भी शामिल थे. ये छोटे बच्चे कभी पैदल चलते, तो कभी पिता के कंधे पर बैठकर आगे का सफर तय कर रहे थे. वहीं कभी चिलचिलाती धूप इन्हें सताती तो परेशान होकर मां के आंचल में छुप जाते थे. मजदूरों के यह हालात सरकार के दावों की पोल खोलते नजर आ रहे हैं. हालांकि राजगढ़ के इन मजदूरों की प्रशासन ने इनके तक पहुंचाने की व्यवसथा की है, जिसके माध्यम से अब यह अपने घर तक पहुंच सकेंगे.
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