आगर मालवा। कमलनाथ सरकार के दौरान की गई किसान कर्ज माफी जिला सहकारी बैंक के लिए अब परेशानी का कारण बनती जा रही है. इससे जिला सहकारी बैंक की स्थानीय शाखा की आर्थिक हालत बिगड़ गई है, जिसके चलते किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड पर ऋण मिलने में परेशानी हो रही है.
बैंक किसानों को अलग-अलग कारणों का हवाला देकर केसीसी ऋण देने से मना कर रही है, जहां एक सप्ताह से 15 दिनों के अंदर फिर से संपर्क करने की बात कही जा रही है. कमलनाथ सरकार ने किसानों का कर्ज तो माफ कर दिया, लेकिन उस कर्जमाफी का पूरा पैसा जिला सहकारी बैंक को नहीं दिया. इसके अलावा जिन किसानों ने समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचा था, उन्होंने भी अभी तक अपने केसीसी ऋण की राशि जमा नहीं करवाई है.
सहकारी संस्थाएं अपने सदस्य किसानों को प्रति हेक्टेयर 36 हजार रुपये नगद और 12 हजार रुपये सामान (खाद-बीज) के रूप में देती हैं. इस तरह से कुल 48 हजार रुपए की राशि स्वीकृत कर दी जाती है. जहां सदस्य किसान के पास जितनी जमीन होती है, उसे उस आधार पर ही ऋण स्वीकृत किए जाते हैं.
खाली हाथ ही लौटना पड़ा
पिछले एक सप्ताह से सुसनेर नगर पंचायत की कुल 9 सहकारी संस्थाओं ने जितने भी किसानों के ऋण राशि के चेक बनाकर किसानों को दिए हैं, वे किसान उस चेक से राशि लेने के लिए जिला सहकारी बैंक पहुंचे, लेकिन अधिकांश किसानों को खाली हाथ ही लौटना पड़ा है. कर्जमाफी के बाद से जिला सहकारी बैंक की जमा राशि में भी लगातार गिरावट आई है. बैंको में लगातार हो रहे घौटालों के चलते लोग अपनी जमा राशि निकाल भी रहे हैं. इस वजह से जिला सहकारी बैंक की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है. अब जबकि किसानों को राशि की सख्त आवश्यकता है. उस समय उन्हें राशि नहीं मिल पा रही है. इसकी वजह से भी किसान ज्यादा ब्याज दर पर साहूकारों से ऋण लेने को मजबूर हैं, लेकिन किसानों की मजबूरी जिम्मेदारों को नजर नहीं आ रही है.
इस संबंध में जिला सहकारी बैंक के शाखा प्रबंधक शक्ति सिंह राणा ने बताया कि किसानों को केसीसी ऋण वितरण में कुछ परेशानी है. इस वजह से ऋण की राशि का चेक लेकर आ रहे किसानों को भुगतान नहीं कर पा रहे हैं. इन परेशानियों का जल्द से जल्द समाधान करने का प्रयास लगातार किया जा रहा है. एक सप्ताह के अंदर-अंदर समस्याओं का सामाधान करके किसानों को केसीसी ऋण का वितरण फिर से शुरू किया जाएगा.