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नैनपुर रेलवे जंक्शन से खुलेगी मंडला की किस्मत, रेलवे को भी होगा भारी मुनाफा - नैनपुर गुजरने वाली सभी नैरोगेज लाइनों

नैनपुर से गुजरने वाली सभी नैरोगेज लाइनों को ब्रॉडगेज में बदलने का काम हो रहा है. यह परिवर्तन इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मंडला, बालाघाट छिंदवाड़ा के साथ सीधे छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत से जुड़ जाएगा.

Mandla luck will open from Nainpur railway junction
नैनपुर रेलवे जंक्शन से खुलेगी मंडला की किस्मत
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Published : Nov 24, 2020, 8:57 AM IST

मंडला। नैनपुर रेलवे जंक्शन एशिया का सबसे बड़ा नैरोगेज जंक्शन कहलाता था, जिसका इतिहास एक सदी से ज्यादा पुराना है. अब यहां से गुजरने वाली सभी लाइनों को ब्रॉडगेज में बदलने का काम किया जा रहा है. यह परिवर्तन इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि मंडला, बालाघाट छिंदवाड़ा सीधे छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत से जुड़ जाएगा और यहां आवागमन के साथ-साथ व्यापार के रास्ते भी खुल जाएंगे.

नैनपुर रेलवे जंक्शन से खुलेगी मंडला की किस्मत

5 साल पहले शुरू हुआ गेज परिवर्तन का काम
बीते 5 साल पहले सौ साल से ज्यादा का सफर कर चुकी नैरोगेज लाइन पूरी तरह से बंद कर दी गई थी. इसके स्थान पर, बालाघाट से नैनपुर होते हुए जबलपुर, मण्डला फोर्ट से सिवनी, छिंदवाड़ा तक ब्राडगेज का काम शुरू किया गया था. अभी की स्थिती में नैनपुर से सिवनी, छिंदवाड़ा को छोड़कर सारी रेलवे लाइन का काम पूरा हो चुका है, जिनका सफल सीआरएस भी किया जा चुका है. वहीं जबलपुर से नैनपुर, चिरई डोंगरी तक लॉकडाउन में ट्रेनों का परिचालन भी शुरू हो गया था.

कितनी महत्वपूर्ण है यह लाइन

बंगाल या दक्षिण भारत से चलकर उत्तर दिशा को जाने वाली सभी ट्रेन अभी गोंदिया या नागपुर से वाया इटारसी होकर जाती है, लेकिन जब जबलपुर, नैनपुर के रास्ते होकर ट्रेनों का परिचालन किया जाएगा, तो न सिर्फ ट्रेनों का समय बचेगा, बल्की 273 किलोमीटर की फेरी से भी यात्री बच जाएंगे. वहीं गुड्स ट्रेनों के लिए भी व्यय कम होगा, जिससे रेलवे की अच्छी खासी कमाई हो जाएगी.

व्यापार के बेहतर अवसर

बदले गए रूट के बाद अगर नैनपुर से होकर रेलगाड़ियों को चलाया जाएगा, तो निश्चित ही मंडला जिले में लोगों को रोजगार के नए अवसर तो मिलेंगे. वहीं जो व्यापारी लंबी यात्रा कर सामान की खरीदी करने जाते हैं वे सीधे नागपुर, मुंबई, रायपुर, हैदराबाद जैसे शहरों में कम समय में पहुंच पाएंगे. साथ ही किराए में भी कमी आएगी.

किन ट्रेनों के रूट बदलने की उम्मीद

रेलवे के द्वारा अभी ट्रेनों के रूट को बदलने के कोई निर्देश तो नहीं दिए गए हैं, हालांकि अनुमान लगाया जा रहा है कि जबलपुर से होकर इटारसी के रास्ते जो ट्रेन दक्षिण भारत के लिए चल रही हैं, उन्हें इस रूट से चलाया जा सकता है. इसमें अलावा गंगा-कावेरी, पटना-बेंगलुरु, संघमित्रा एक्सप्रेस, दानापुर-सिकंदराबाद एक्सप्रेस, एर्नाकुलम-पटना एक्सप्रेस समेत कुल 10 से 15 ट्रेनों का रूट बदला जा सकता है.

अग्रंजों ने बनवाया था ये जंक्शन

अंग्रेजों ने 13 अप्रैल 1903 में गोंदिया से नैनपुर, 1904 में छिंदवाड़ा से नैनपुर, 1905 में नैनपुर से जबलपुर, 1906-1907 में छिंदवाड़ा-पेंच कोल्ड फील्ड लाइन, 1909 में नैनपुर से मंडला फोर्ट तक छोटी रेल लाइन का जाल बिछाया था, जो 115 साल से ज्यादा सेवाएं देने के बाद अब इतिहास में दर्ज हो चुकी हैं. इस रूट के बदलाव के बाद फिर नए इतिहास की शुरुआत होगी.

मंडला। नैनपुर रेलवे जंक्शन एशिया का सबसे बड़ा नैरोगेज जंक्शन कहलाता था, जिसका इतिहास एक सदी से ज्यादा पुराना है. अब यहां से गुजरने वाली सभी लाइनों को ब्रॉडगेज में बदलने का काम किया जा रहा है. यह परिवर्तन इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि मंडला, बालाघाट छिंदवाड़ा सीधे छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत से जुड़ जाएगा और यहां आवागमन के साथ-साथ व्यापार के रास्ते भी खुल जाएंगे.

नैनपुर रेलवे जंक्शन से खुलेगी मंडला की किस्मत

5 साल पहले शुरू हुआ गेज परिवर्तन का काम
बीते 5 साल पहले सौ साल से ज्यादा का सफर कर चुकी नैरोगेज लाइन पूरी तरह से बंद कर दी गई थी. इसके स्थान पर, बालाघाट से नैनपुर होते हुए जबलपुर, मण्डला फोर्ट से सिवनी, छिंदवाड़ा तक ब्राडगेज का काम शुरू किया गया था. अभी की स्थिती में नैनपुर से सिवनी, छिंदवाड़ा को छोड़कर सारी रेलवे लाइन का काम पूरा हो चुका है, जिनका सफल सीआरएस भी किया जा चुका है. वहीं जबलपुर से नैनपुर, चिरई डोंगरी तक लॉकडाउन में ट्रेनों का परिचालन भी शुरू हो गया था.

कितनी महत्वपूर्ण है यह लाइन

बंगाल या दक्षिण भारत से चलकर उत्तर दिशा को जाने वाली सभी ट्रेन अभी गोंदिया या नागपुर से वाया इटारसी होकर जाती है, लेकिन जब जबलपुर, नैनपुर के रास्ते होकर ट्रेनों का परिचालन किया जाएगा, तो न सिर्फ ट्रेनों का समय बचेगा, बल्की 273 किलोमीटर की फेरी से भी यात्री बच जाएंगे. वहीं गुड्स ट्रेनों के लिए भी व्यय कम होगा, जिससे रेलवे की अच्छी खासी कमाई हो जाएगी.

व्यापार के बेहतर अवसर

बदले गए रूट के बाद अगर नैनपुर से होकर रेलगाड़ियों को चलाया जाएगा, तो निश्चित ही मंडला जिले में लोगों को रोजगार के नए अवसर तो मिलेंगे. वहीं जो व्यापारी लंबी यात्रा कर सामान की खरीदी करने जाते हैं वे सीधे नागपुर, मुंबई, रायपुर, हैदराबाद जैसे शहरों में कम समय में पहुंच पाएंगे. साथ ही किराए में भी कमी आएगी.

किन ट्रेनों के रूट बदलने की उम्मीद

रेलवे के द्वारा अभी ट्रेनों के रूट को बदलने के कोई निर्देश तो नहीं दिए गए हैं, हालांकि अनुमान लगाया जा रहा है कि जबलपुर से होकर इटारसी के रास्ते जो ट्रेन दक्षिण भारत के लिए चल रही हैं, उन्हें इस रूट से चलाया जा सकता है. इसमें अलावा गंगा-कावेरी, पटना-बेंगलुरु, संघमित्रा एक्सप्रेस, दानापुर-सिकंदराबाद एक्सप्रेस, एर्नाकुलम-पटना एक्सप्रेस समेत कुल 10 से 15 ट्रेनों का रूट बदला जा सकता है.

अग्रंजों ने बनवाया था ये जंक्शन

अंग्रेजों ने 13 अप्रैल 1903 में गोंदिया से नैनपुर, 1904 में छिंदवाड़ा से नैनपुर, 1905 में नैनपुर से जबलपुर, 1906-1907 में छिंदवाड़ा-पेंच कोल्ड फील्ड लाइन, 1909 में नैनपुर से मंडला फोर्ट तक छोटी रेल लाइन का जाल बिछाया था, जो 115 साल से ज्यादा सेवाएं देने के बाद अब इतिहास में दर्ज हो चुकी हैं. इस रूट के बदलाव के बाद फिर नए इतिहास की शुरुआत होगी.

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