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ये है शहीदों का मंदिर, जहां होती है शहादत की पूजा, रिटायर्ड जज ने करवाया था निर्माण

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Published : Jan 25, 2020, 11:08 PM IST

उज्जैन में रिटायर्ड जज दान सिंह चौधरी अपनी रिटायरमेंट के पैसे से उज्जैन के नृसिंह घाट पर शहीदों के मंदिर का निर्माण कराया है. जहां देश के वीर जवानों की मूर्तियां लगी हुई हैं. इस मंदिर पर 26 जनवरी को लोगों की बड़ी संख्या में भीड़ जुटती है.

martyrs temple
शहीदों का मंदिर

उज्जैन। उज्जैन शहर यूं तो बाबा महाकाल के मंदिर के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है. लेकिन मध्य प्रदेश की धर्म नगरी का एक मंदिर ऐसा भी है जहां देश के लिए शहीद होने वाले भारत मां के वीर सपूतों की पूजा होती है. जिसे शहीदों के मंदिर के नाम से जाना जाता है.

शहीदों का मंदिर

तस्वीरों में दिख रही ये मूर्तिया उन वीर जवानों की हैं जो हंसते-हंसते देश के लिए कुर्बान हो गए. लेकिन इनकी यादों को सहेजने का काम किया रिटार्यड जज दान सिंह चौधरी ने. दान सिंह चौधरी ने अपनी रिटायरमेंट की राशि से उज्जैन के नृसिंह घाट के पास 10 हजार वर्गफुट की जमीन पर शहीदों के इस मंदिर का निर्माण कराया.

मंदिर में वीर जवानों की करीब 50 मूर्तिया लगी हुई हैं, हर मूर्ति के नीचे उनकी वीरता की वीरगाथा भी लिखी गई है. ताकि लोगों को उनके अदम्य साहस की जानकारी मिल सके. इन मूर्तियों में है पूर्व थल सेना अध्यक्ष जर्नल केएम करिअप्पा, प्रथम फील्ड मार्शल जनरल शेन मॉनिकशा, पूर्व वायु सेना अध्यक्ष अर्जुन सिंह जैसे दिग्गज सिपाहियों की मूर्तियां. जिनके साहस, और दृढ़ इच्छाशक्ति से आज पूरी दुनिया में भारतीय सेनाओं का लोहा माना जाता है.

शहीदों के इस मंदिर का निर्माण कराने वाले जज दानसिंह चौधरी तो अब इस दुनिया में नहीं रहे. लेकिन मंदिर की देखरेख करने वाले राम सिंह कहते हैं कि दानसिंह चौधरी का उद्देश्य केवल इतना ही था कि नई पीढ़ी देश के परमवीरों को पहचाने और उन्हें ही अपना आदर्श बनाए. रिटायर्ड जज दान सिंह का ये उद्देश्य आज सफल नजर आता है. क्योंकि जो भी यहां से गुजरता है वो इन वीरों जवानों के मंदिर में मत्था जरुर टेकता है. 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस के दिन इस मंदिर में लोग शहीदों को नमन करने पहुंचते हैं.

उज्जैन। उज्जैन शहर यूं तो बाबा महाकाल के मंदिर के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है. लेकिन मध्य प्रदेश की धर्म नगरी का एक मंदिर ऐसा भी है जहां देश के लिए शहीद होने वाले भारत मां के वीर सपूतों की पूजा होती है. जिसे शहीदों के मंदिर के नाम से जाना जाता है.

शहीदों का मंदिर

तस्वीरों में दिख रही ये मूर्तिया उन वीर जवानों की हैं जो हंसते-हंसते देश के लिए कुर्बान हो गए. लेकिन इनकी यादों को सहेजने का काम किया रिटार्यड जज दान सिंह चौधरी ने. दान सिंह चौधरी ने अपनी रिटायरमेंट की राशि से उज्जैन के नृसिंह घाट के पास 10 हजार वर्गफुट की जमीन पर शहीदों के इस मंदिर का निर्माण कराया.

मंदिर में वीर जवानों की करीब 50 मूर्तिया लगी हुई हैं, हर मूर्ति के नीचे उनकी वीरता की वीरगाथा भी लिखी गई है. ताकि लोगों को उनके अदम्य साहस की जानकारी मिल सके. इन मूर्तियों में है पूर्व थल सेना अध्यक्ष जर्नल केएम करिअप्पा, प्रथम फील्ड मार्शल जनरल शेन मॉनिकशा, पूर्व वायु सेना अध्यक्ष अर्जुन सिंह जैसे दिग्गज सिपाहियों की मूर्तियां. जिनके साहस, और दृढ़ इच्छाशक्ति से आज पूरी दुनिया में भारतीय सेनाओं का लोहा माना जाता है.

शहीदों के इस मंदिर का निर्माण कराने वाले जज दानसिंह चौधरी तो अब इस दुनिया में नहीं रहे. लेकिन मंदिर की देखरेख करने वाले राम सिंह कहते हैं कि दानसिंह चौधरी का उद्देश्य केवल इतना ही था कि नई पीढ़ी देश के परमवीरों को पहचाने और उन्हें ही अपना आदर्श बनाए. रिटायर्ड जज दान सिंह का ये उद्देश्य आज सफल नजर आता है. क्योंकि जो भी यहां से गुजरता है वो इन वीरों जवानों के मंदिर में मत्था जरुर टेकता है. 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस के दिन इस मंदिर में लोग शहीदों को नमन करने पहुंचते हैं.

Intro:उज्जैन में देश का पहला भारत सेवा मंदिर जहां स्थापित है शहीद सैनिकों के साथ उत्कृष्टतम कार्य करने वालों की प्रतिमा


Body:उज्जैन मध्यप्रदेश का उज्जैन जिला वैसे तो 12 ज्योतिर्लिंग से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के साथ ही मंदिरों के शहर के रूप में प्रसिद्ध है पर यदि देशभक्ति के जज्बे को मंदिर के रूप में स्थापित कर दिया जाए तो सभी आश्चर्य करेंगे उज्जैन शहर में देश का पहला ऐसा ही भारत सेवा मंदिर स्थापित किया गया है यहां शहीद सैनिकों के साथ देश के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वालों की प्रतिमाएं स्थापित की गई है


Conclusion:उज्जैन वैसे तो अपने शहर की शोभा बढ़ाने के नाम पर चौराहे पर धूल खाते महापुरुषों की प्रतिमाएं देखी होगी जिसके लगाने के बाद उनके जन्मदिन या स्मृति दिवस पर ही उनको याद किया जाता है पर इन बातों के बाहर भी मध्य प्रदेश का उज्जैन जिला अपने आप में देश का पहला ऐसा जिला बन गया है यहां देश के लिए अपनी जान न्यौछावर कर देने वाले महापुरुषों का एक मंदिर शहर के नरसिंह घाट के पास स्थापित किया गया है वैसे तो उज्जैन 12 ज्योतिर्लिंग में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग समस्त नगरी और मंदिरों के शहर के रूप में प्रसिद्ध है अब इस शहर के इस मंदिर में परमवीर चक्र प्राप्त सैनिकों के साथ ही आजादी के लिए लड़ने वाले और आजादी के बाद देश को सफल नेतृत्व देने बालों के चेहरे भी नजर आने लगे हैं इस मंदिर में युवाओं को प्रेरणा देने के लिए यहां विवेकानंद है तो खिलाड़ियों को की प्रेरणा के लिए ध्यानचंद की मूर्ति भी स्थापित है इस मंदिर में सबसे पहले परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले 21 सैनिकों की प्रतिमा स्थापित की गई साथ ही आजाद हिंद फौज का गठन करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित हुई है इन के बाद भारत रत्नों के क्रम में सबसे पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा लगाई गई है भारत के प्रथम भारत रत्न डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन प्रथम नोबेल विजेता डॉ रविनाथ टैगोर तथा संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित है भारत रत्नों की संख्या करीब 45 है पदम थल सेना अध्यक्ष जर्नल केएम करिअप्पा प्रथम फील्ड मार्शल जनरल मानकशा तथ वायु सेना अध्यक्ष अर्जुन सिंह की प्रतिमा स्थापित की गई है सिनेमा जगत के लोगों को सम्मान देने के लिए दादा साहब फाल्के की प्रतिमा स्थापित की गई है राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ,प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ,प्रथम लोकसभा अध्यक्ष मावलणकर, प्रथम महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, प्रथम नोबल विजेता मदर टेरेसा की प्रतिमा भी यहां स्थापित की है। यहां आने वाले लोगो की जानकारी के लिए भारत के नक्शे पर 12 ज्योतिलिंग का आकार बनाया है।


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