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88 साल का हुआ भाप वाला इंजन, उज्जैन रेलवे ने धूमधाम से मनाया जन्मदिन

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Published : Jan 4, 2022, 1:19 PM IST

मध्यप्रदेश के उज्जैन में रखे सबसे पुराने रेल इंजन का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया. इंजन 88 साल का हो गया. जन्मदिन (Birthday of train engine) के जश्न में रेलवे अधिकारी से लेकर कुली तक शामिल हुए. सबने मिलकर केक काटा और भारतीय रेलवे के इस धरोहर की सेवाओं को याद किया.

Birthday celebrated of train engine
रेलवे ने मनाया इंजन का जन्मदिन

उज्जैन। आपने इंसानों और जानवरों के बर्थडे सेलिब्रेशन (Birthday of train engine) खूब देखे होंगे. लेकिन क्या कोई ट्रेन के इंजन का जन्मदिन मनाता होगा, सोचने में थोड़ा अजीब लग सकता है. लेकिन उज्जैन रेलवे स्टेशन पर एक इंजन का जन्मदिन हर साल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. ये भाप वाला इंजन स्टेशन के बाहर रखा हुआ है जो आज भी पुराने दिनों की यादें ताजा कराता है. 88 साल पहले उज्जैन रेलवे में अपनी सेवा दे चुका है. उज्जैन-आगर के बीच 70 के दशक के पूर्व नैरोगेज ट्रेन का संचालन किया जाता था. 88 साल पहले भाप का इंजन उज्जैन से आगर के बीच चला करता था. लेकिन नैरोगेज ट्रेन बंद होने के बाद से इंजन सर्विस से बाहर हो गया. जो 14 सालों से रेलवे डिपो में खड़ा था. लेकिन 2006 में यादगार के रूप में इंजन को स्टेशन परिसर के बाहर खड़ा कर दिया गया. तब से हर साल जनवरी में इंजन की वर्षगांठ मनाते हैं. हर साल की तरह इस साल भी इंजन को फूल और मालाओं से सजाया गया. रेलवे स्टाफ ने कुलीयों संग केक काट कर जन्मदिन को यादगार बनाया.

बड़ी हस्तियां कर चुकी हैं ट्रेन में सफर

एक कुली शफी बाबा ने बताया की एक वक्त उन्होंने इस ट्रेन में चाय बेची थी. इस इंजन के साथ उनकी और अन्य कुलियों की कई यादें जुड़ी हुई हैं. जिसके चलते वे लोग इंजन का जन्मदिन मनाते हैं. हर साल बड़ी संख्या में लोग इस नजारे को देखने के लिए आते हैं. हालांकि कोरोना के चलते इस साल ज्यादा लोगों को आमंत्रित नहीं किया गया. एक समय ये इंजन उज्जैन में जीवाजीराव सिंधिया की धरोहर रहा है. जो अब रेलवे स्टेशन की शोभा बढ़ा रहा है. कुली शफी बाबा के ने बताया कि नैरोगेज ट्रेन में पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू व इंदिरा गांधी सहित कई हस्तियों ने सफर किया था.

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इंजन में हैं 22 खूबियां

उज्जैन से आगर और आगर से उज्जैन के बीच करीब 70-80 किमी चलने वाले इस इंजन में 22 खूबियां हैं. Z-B टाइप का इंजन, जिसका नंबर 77 है, कुल 20 साल सर्विस में रहा, वॉटर कैपेसिटी 1300 गैलन, कोयला क्षमता 2.25 टन व कुल वजन 27.5 टन है. इसे डब्ल्यू.जी. बैगनालिट्टो द्वारा यह बनाया गया था. ये 1 लाख 61 हजार 276 रुपए की लागत में बनकर तैयार हुआ था. 13 अप्रैल 1988 को इसने आखिरी सफर तय किया था और 25 जून 2006 को यह उज्जैन स्टेशन पर लाया गया.

उज्जैन। आपने इंसानों और जानवरों के बर्थडे सेलिब्रेशन (Birthday of train engine) खूब देखे होंगे. लेकिन क्या कोई ट्रेन के इंजन का जन्मदिन मनाता होगा, सोचने में थोड़ा अजीब लग सकता है. लेकिन उज्जैन रेलवे स्टेशन पर एक इंजन का जन्मदिन हर साल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. ये भाप वाला इंजन स्टेशन के बाहर रखा हुआ है जो आज भी पुराने दिनों की यादें ताजा कराता है. 88 साल पहले उज्जैन रेलवे में अपनी सेवा दे चुका है. उज्जैन-आगर के बीच 70 के दशक के पूर्व नैरोगेज ट्रेन का संचालन किया जाता था. 88 साल पहले भाप का इंजन उज्जैन से आगर के बीच चला करता था. लेकिन नैरोगेज ट्रेन बंद होने के बाद से इंजन सर्विस से बाहर हो गया. जो 14 सालों से रेलवे डिपो में खड़ा था. लेकिन 2006 में यादगार के रूप में इंजन को स्टेशन परिसर के बाहर खड़ा कर दिया गया. तब से हर साल जनवरी में इंजन की वर्षगांठ मनाते हैं. हर साल की तरह इस साल भी इंजन को फूल और मालाओं से सजाया गया. रेलवे स्टाफ ने कुलीयों संग केक काट कर जन्मदिन को यादगार बनाया.

बड़ी हस्तियां कर चुकी हैं ट्रेन में सफर

एक कुली शफी बाबा ने बताया की एक वक्त उन्होंने इस ट्रेन में चाय बेची थी. इस इंजन के साथ उनकी और अन्य कुलियों की कई यादें जुड़ी हुई हैं. जिसके चलते वे लोग इंजन का जन्मदिन मनाते हैं. हर साल बड़ी संख्या में लोग इस नजारे को देखने के लिए आते हैं. हालांकि कोरोना के चलते इस साल ज्यादा लोगों को आमंत्रित नहीं किया गया. एक समय ये इंजन उज्जैन में जीवाजीराव सिंधिया की धरोहर रहा है. जो अब रेलवे स्टेशन की शोभा बढ़ा रहा है. कुली शफी बाबा के ने बताया कि नैरोगेज ट्रेन में पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू व इंदिरा गांधी सहित कई हस्तियों ने सफर किया था.

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इंजन में हैं 22 खूबियां

उज्जैन से आगर और आगर से उज्जैन के बीच करीब 70-80 किमी चलने वाले इस इंजन में 22 खूबियां हैं. Z-B टाइप का इंजन, जिसका नंबर 77 है, कुल 20 साल सर्विस में रहा, वॉटर कैपेसिटी 1300 गैलन, कोयला क्षमता 2.25 टन व कुल वजन 27.5 टन है. इसे डब्ल्यू.जी. बैगनालिट्टो द्वारा यह बनाया गया था. ये 1 लाख 61 हजार 276 रुपए की लागत में बनकर तैयार हुआ था. 13 अप्रैल 1988 को इसने आखिरी सफर तय किया था और 25 जून 2006 को यह उज्जैन स्टेशन पर लाया गया.

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