नई दिल्ली : प्रयागराज महाकुंभ में इन दिनों आईआईटी वाले बाबा की खूब चर्चा हो रही है. उनका नाम अभय सिंह है. वह मूल रूप से हरियाणा के हिसार के रहने वाले हैं. उन्होंने आईआईटी मुंबई से एयरोस्पेस में इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की है. उसके बाद उन्होंने अध्यात्म का रास्ता अपना लिया.
प्रयागराज महाकुंभ में वह जूना अखाड़ा की ओर से आए हैं. हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि क्या आप इसी अखाड़े से संबंध रखते हैं, तो उन्होंने बहुत ही दिलचस्प जवाब दिया. उन्होंने साफ-साफ कह दिया कि वह मुक्त हैं और महाकुंभ में सिर्फ देखने, समझने और अनुभव करने के लिए आए हैं.
When you break the matrix of external illusion to embrace inner awakening 🙌
— Rishi Bagree (@rishibagree) January 15, 2025
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अभय सिंह अपने आप को कोई भी साधु, संत या महंत नहीं मानते हैं. उन्होंने कहा कि वह अभी तक दीक्षित नहीं हुए हैं और वह अपने आपको किसी भी मत से जुड़ा हुआ भी नहीं मानते हैं. एक चैनल से बात करते हुए अभय सिंह ने कहा कि वह मुक्त हैं और कुछ भी कर सकते हैं.
अपने अतीत के बारे में उन्होंने कहा कि जब वह आईआईटी में पढ़ाई कर रहे थे, तब उनके मन में यह सवाल बार-बार आता था कि इसके बाद मैं क्या करूंगा. अधिक से अधिक किसी कंपनी को ज्वाइन कर लूंगा और पैसे कमाऊंगा, लेकिन इससे मुझे शांति तो नहीं मिल सकेगी.
#WATCH | Prayagraj, UP: #MahaKumbh2025 | Baba Abhay Singh who is from Juna Akhada and was also an IIT student once, says, " i come from haryana, i went to iit, then changed to arts from engineering, that also didn't work so i kept changing and later i arrived at the final truth.… pic.twitter.com/Li6EwgCXbU
— ANI (@ANI) January 15, 2025
एएऩआई मीडिया को उन्होंने बताया, "मैंने जिंदगी की खोज शुरू की, संस्कृत किसने लिखी, कैसे लिखी और कब रची गई और संस्कृत इतनी खास क्यों है...मुझे ज्ञान की तलाश थी... बाद में यह बदल गया...फिर सवाल यह था कि मन कैसे काम करता है और आप इससे कैसे छुटकारा पाते हैं अवांछित विचारों का..."
अभय सिंह ने कहा कि डिग्री प्राप्त करने के दौरान और उसके बाद वह डिप्रेशन में भी चले गए थे, उनके मन में जिंदगी की सच्चाई को लेकर इतने सारे सवाल थे, लेकिन उसका कोई जवाब नहीं दे रहा था. बाद में उन्होंने इस्कॉन ज्वाइन किया. उन्हें लगा कि यहां पर आकर जिंदगी को समझेंगे. उन्होंने कृष्ण के बारे में बहुत अध्ययन किया.
एक चैनल से बात करते हुए अभय सिंह ने कहा कि उनकी जिंदगी में वैराग्य का भाव उसी समय आने लगा था, जब उन्होंने अपने घर में माता-पिता के बीच झगड़े को देखा. उन्होंने सोचा कि अगर झगड़ा ही करना है, तो फिर शादी क्यों की.
अभय सिंह बताते हैं कि उनकी भी गर्लफ्रेंड थी. लेकिन उन्होंने उससे भी दूरी बना ली और अपना रास्ता अलग चुन लिया. वह मोक्ष की सच्चाई की खोज में आगे बढ़ चले. अभय के गुरु संत बाबा सोमेश्वर हैं. दिलचस्प ये है कि बाबा सोमेश्वर इंडियन एयर फोर्स में फोटोग्राफी कर चुके हैं.
बाबा सोमेश्वर का भी साक्षात्कार अलग-अलग चैनलों पर दिखाया गया है. इसमें वह यह कहते हुए दिख रहे हैं कि अभय एक बहुत ही बुद्धिवान संत है, उन्होंने प्रथम प्रयास में ही आईआईटी पास कर लिया था, लेकिन उन्हें डिग्री रास नहीं आई. उनके जीवन का मकसद कुछ और है और इसे हर कोई नहीं समझ सकता है, वह खुद को भी मुक्त करना चाहते हैं.
इसलिए अभय सिंह कहते हैं वह दरअसल नो बॉडी रहना चाहते हैं और उनकी असल परीक्षा ही यही है कि वह इस रास्ते पर टिक सकते हैं या नहीं. उनका कहना है कि यदि वह परीक्षा में पास हो गए, तो ठीक है और नहीं पास हुए फिर आगे देखा जाएगा.
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